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मिलिए महाराष्ट्र के ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार से जिन्होंने लड़े 14 विधानसभा व 9 लोकसभा चुनाव, पर जीते एक भी नहीं

Lok Sabha Elections 2024, लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और अब किसी भी समय नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. जहां पार्टियां अपने उम्मीदवार उतार रही हैं, वहीं कई निर्दलीय उम्मीदवार भी खड़े हो रहे हैं. यहां हम आपको एक ऐसे ही निर्दलीय उम्मीदवार से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने अब तक 14 बार विधानसभा और 9 बार लोकसभा के चुनाव लड़े हैं, लेकिन एक बार भी जीते नहीं हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 20, 2024, 8:13 PM IST

independent candidate
निर्दलीय उम्मीदवार

जालना: महाराष्ट्र के जालना जिले के बापकल से बाबासाहेब शिंदे विधायक और सांसद बनना चाहते थे. उन्होंने 1980 में बदनापुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गये. फिर भी बाबा साहब शिंदे नहीं रुके. इसके बाद लोकतंत्र में उनकी आस्था और बढ़ी और अब तक वे 14 विधानसभा चुनाव और 9 लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.

इन सभी चुनावों में उनकी जमानत जब्त हो गई. हालांकि, अब वह 2024 के लोकसभा चुनाव के मैदान में उतर चुके हैं. वह नए जोश और ताकत के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. वह फिर से लोकसभा चुनाव के लिए 10वीं बार अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए तैयार हैं. इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि मेरी एक ही मंशा है कि लोकतंत्र द्वारा दिये गये अधिकार हर स्तर पर नागरिकों तक पहुंचें.

उन्होंने कहा कि मैं नागरिकों की सेवा करने का अवसर पाने के लिए राजनीति में आया हूं. वह खुद कहते हैं कि वह अब तक 9 बार लोकसभा चुनाव और 14 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी के कई अनुभव बताए हैं. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने अपने जीवन की एक घटना को याद करते हुए कहा कि '1978 में जब मैं पढ़ाई कर रहा था, उस वक्त मुझे एक खास पार्टी से ऑफर मिला था. लेकिन मैंने इसे स्वीकार नहीं किया.'

इसी दौरान उन्होंने एक और घटना को याद करते हुए कहा कि 'मेरे पास 50 एकड़ जमीन थी, जो मैंने चुनाव के लिए बेच दी. क्योंकि मेरा सपना सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से जनता की सेवा करना था और वो सेवा विधायक और सांसद बनने के बाद ही हो सकती है. लेकिन मेरा यह सपना अधूरा रह जाएगा और मेरी 50 एकड़ जमीन चली जाएगी. मैंने अपने रिश्तेदारों और प्रियजनों को भी छोड़ दिया है.'

उन्होंने कहा कि 'अब मैं भूमिहीन हूं. फिर भी मैं 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहा हूं. मेरा घोषणापत्र यह होगा कि इस राज्य में इस देश के अंतिम व्यक्ति को कैसे न्याय मिलेगा, जिसे संविधान में दिए गए अधिकार मिलने चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि 'आज़ादी के बाद से किसी को अपना हक़ नहीं मिला, सरकार दिखाती कुछ है और करती कुछ और है. सरकार सिर्फ झूठी पीठ थपथपा रही है और नागरिक झूठी पीठ थपथपा कर चुप बैठे हैं.'

जालना: महाराष्ट्र के जालना जिले के बापकल से बाबासाहेब शिंदे विधायक और सांसद बनना चाहते थे. उन्होंने 1980 में बदनापुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गये. फिर भी बाबा साहब शिंदे नहीं रुके. इसके बाद लोकतंत्र में उनकी आस्था और बढ़ी और अब तक वे 14 विधानसभा चुनाव और 9 लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.

इन सभी चुनावों में उनकी जमानत जब्त हो गई. हालांकि, अब वह 2024 के लोकसभा चुनाव के मैदान में उतर चुके हैं. वह नए जोश और ताकत के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. वह फिर से लोकसभा चुनाव के लिए 10वीं बार अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए तैयार हैं. इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि मेरी एक ही मंशा है कि लोकतंत्र द्वारा दिये गये अधिकार हर स्तर पर नागरिकों तक पहुंचें.

उन्होंने कहा कि मैं नागरिकों की सेवा करने का अवसर पाने के लिए राजनीति में आया हूं. वह खुद कहते हैं कि वह अब तक 9 बार लोकसभा चुनाव और 14 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने अपनी जिंदगी के कई अनुभव बताए हैं. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने अपने जीवन की एक घटना को याद करते हुए कहा कि '1978 में जब मैं पढ़ाई कर रहा था, उस वक्त मुझे एक खास पार्टी से ऑफर मिला था. लेकिन मैंने इसे स्वीकार नहीं किया.'

इसी दौरान उन्होंने एक और घटना को याद करते हुए कहा कि 'मेरे पास 50 एकड़ जमीन थी, जो मैंने चुनाव के लिए बेच दी. क्योंकि मेरा सपना सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से जनता की सेवा करना था और वो सेवा विधायक और सांसद बनने के बाद ही हो सकती है. लेकिन मेरा यह सपना अधूरा रह जाएगा और मेरी 50 एकड़ जमीन चली जाएगी. मैंने अपने रिश्तेदारों और प्रियजनों को भी छोड़ दिया है.'

उन्होंने कहा कि 'अब मैं भूमिहीन हूं. फिर भी मैं 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहा हूं. मेरा घोषणापत्र यह होगा कि इस राज्य में इस देश के अंतिम व्यक्ति को कैसे न्याय मिलेगा, जिसे संविधान में दिए गए अधिकार मिलने चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि 'आज़ादी के बाद से किसी को अपना हक़ नहीं मिला, सरकार दिखाती कुछ है और करती कुछ और है. सरकार सिर्फ झूठी पीठ थपथपा रही है और नागरिक झूठी पीठ थपथपा कर चुप बैठे हैं.'

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