मेरठ : जिले के गंगानगर के आई ब्लॉक की रहने वाली सोनिया की कहानी बेहद ही अलग है. सोनिया को लोग स्ट्रीट डाॅग लवर (street dog lover) के नाम से भी जानते हैं. उन्हें कहीं भी अगर कोई बेजुबान डॉगी घायल या परेशान अवस्था में मिल जाता है तो उसे वो अपने घर ले आती हैं. उनकी देखभाल करती हैं और पूरा दिन उन्हीं की सेवा में रहती हैं. बे जुबानों की सेवा की धुन इस कदर तक सोनिया पर सवार है कि इनकी सेवा के लिए नौकरी तक छोड़ चुकी हैं.
2021 में पैरामिलिट्री फोर्स में लग गई थी नौकरी : ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सोनिया ने बताया कि उन्हें कहीं भी अगर कोई बेजुबान डॉगी घायल या परेशान अवस्था में मिल जाता है तो उसे वह अपने घर ले आती हैं. कहती हैं कि वह किसी को तड़पते बिलखते नहीं देख सकतीं. बता दें कि सोनिया की 2021 में पैरामिलिट्री फोर्स में नौकरी लग गई थी. वह कहती हैं कि घर में उनके द्वारा कुत्तों की सेवा के लिए बनाए गए आश्रय स्थल में लगभग 25 से अधिक ऐसे स्ट्रीट डॉग थे, जिनके अंग भंग थे. जिनमें से किसी के पैर नहीं है तो कोई देख नहीं सकता, किसी को लकवा मार गया है या कोई किसी दुर्घटना में शिकार होकर चलने फिरने से मोहताज था. सोनिया का कहना है कि जब उनकी पहले यूपी पुलिस में नौकरी लगी थी तो उन्होंने कुत्तों की सेवा करने के लिए नौकरी ज्वॉइन ही नहीं की. उसके बाद उन्हें फिर से नौकरी मिली. इस बार SSB में नौकरी मिली और परिवार वालों के इस भरोसे पर कि वह उसके द्वारा शुरु किए गए सेवाभाव के कार्य को आगे बढ़ाते रहेंगे, एसएसबी में नौकरी कर ली.
गोरखपुर जिले में मिली थी तैनाती : सोनिया कहती हैं कि हिमाचल प्रदेश में प्रशिक्षण के उपरांत उनको तैनाती गोरखपुर जिले में मिली. सोनिया कहती हैं कि उन्हें तमाम फोन आते थे, जब लोग बताते थे कि कहीं किसी बेज़ुबान को किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी, कहीं कोई डॉगी तड़प रहा है. वह कहती हैं कि हालांकि उनके परिवार वाले भी उसके द्वारा शुरू की गई सेवा की मुहीम को आगे बढ़ा रहे थे, लेकिन उसका मन नहीं लग पा रहा था. उन्हें उनकी याद सताती रहती थी. डॉग लवर सोनिया कहती हैं कि सेवा चाहे देश की सीमा पर करो या आसपास में रहकर बेज़ुबानों की सेवा तो सेवा ही है. बस उसके बाद पिछले साल 2023 में नौकरी छोड़ दी. वह कहती हैं कि अब वह संतुष्ट हैं और उन्हें तड़पते बिलखते कुत्तों के बारे में अगर कहीं से भी कोई सूचना आती है तो वे तुरंत उन्हें अपने यहां ले आती हैं ऐसा करके उन्हें संतोष मिलता है.
सैकड़ों कुत्तों को दिया जीवनदान : सोनिया बताती हैं कि कहीं भी कोई जानवर दुर्घटनाग्रस्त होता है या उसे कोई शारीरिक परेशानी हो जाती है तो लोग उनके नंबर पर सूचना दे देते हैं. सोनिया बताती हैं कि आसपास के लोग भी उनका सहयोग करते हैं. किसी भी बेजुबान को लाकर उनका इलाज करती हैं, इसमें उन्हें कुछ अच्छे लोगों का सहयोग भी मिल जाता है. सोनिया ने बताया कि जो डॉगी बिल्कुल स्वस्थ हो जाते हैं फिर उन्हें उसी जगह पर छोड़ दिया जाता है जहां से उन्हें रेस्क्यू करके लाया गया था. आसपास के लोग भी सोनिया के बारे में बताते हैं कि सोनिया ने सैकड़ों तड़पते हुए कुत्तों को जीवनदान दिया है. सोनिया के पिता श्रीकृष्ण बताते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को समझाया भी था कि नौकरी न छोड़े, लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी. वह कहते हैं कि लेकिन उनकी बेटी की खुशी में ही उनकी खुशी है.
हमेशा पास में रखती हैं दवाइयां : सोनिया बताती हैं कि सभी आश्रय दिए हुए डॉगी के लिए दलिया और अन्य भोजन वह तैयार करती हैं, वहीं आवश्यक दवाइयां भी हमेशा पास में रखती हैं. इस काम में उनको कुछ लोग आर्थिक मदद भी करते हैं, वहीं जो नौकरी करके उन्होंने सेविंग की थी उस पैसे में से अभी खर्च चला रही हैं. सोनिया बताती हैं कि ऐसे भी काफी लोग हैं जो इन बेजुबान कुत्तों की मदद के लिए आगे आकर मदद करते हैं. वह यही चाहती हैं कि भविष्य में प्रशासन कुछ सहयोग करे तो एक परमानेंट आश्रय स्थल ऐसे बेज़ुबानों के लिए बन सके, जिसमें किसी भी दुर्घटना के शिकार कुत्तों का उपचार हो सके. क्योंकि इन बेज़ुबानों का दर्द समझना बेहद जरूरी है.
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