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आपराधिक मानहानि मामले में सजा को मेधा पाटकर ने सेशंस कोर्ट में दी चुनौती - Medha Patkar Case - MEDHA PATKAR CASE

Medha Patkar: LG वीके सक्सेना के मानहानि मामले में कोर्ट ने मेधा पाटकर को 5 महीने कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. मेधा पाटकर ने मानहानि मामले में मिली सजा को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है.

मेधा पाटकर
मेधा पाटकर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 27, 2024, 10:49 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपनी सजा को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है. मामले में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 1 जुलाई को मेधा पाटकर को पांच महीने की कैद और दस लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने सजा पर 30 दिनों तक निलंबित रखने का भी आदेश दिया था. कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था.

बता दें कि 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था. मेधा पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. ऐसे में पाटकर का ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था.

मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था, जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था. मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे. वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

बता दें, मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था. मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दी गई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपनी सजा को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है. मामले में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 1 जुलाई को मेधा पाटकर को पांच महीने की कैद और दस लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने सजा पर 30 दिनों तक निलंबित रखने का भी आदेश दिया था. कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था.

बता दें कि 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था. मेधा पाटकर ने कहा था वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. ऐसे में पाटकर का ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था.

मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था, जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था. मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे. वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

बता दें, मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था. मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.

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