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मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र का कमाल, बनाया इंटरकंट्री ड्रोन ऑपरेशन सिस्टम, जानें खासियतें

Intercountry Drone Operation System : अर्थ चौधरी ने बनाया इंटरकंट्री ड्रोन ऑपरेशन सिस्टम, हजारों किलोमीटर दूर से भी इस ड्रोन को कर सकते है ऑपरेट. गलवान घाटी में हुए झड़प के बाद शहीद भारतीय जवानों को ध्यान में रखकर किया गया इसका निर्माण.

Intercountry Drone Operation System
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र का कमाल
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 16, 2024, 4:05 PM IST

सूरत: गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद शहीद हुए भारतीय जवानों को देखकर सूरत के एक छात्र ने सेना की ताकत बढ़ाने का फैसला किया. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र अर्थ चौधरी ने स्टार्टअप की शुरूआत की और एक ऐसी सिस्टम बनाई है जो निगरानी और गश्त के लिए हजारों किलोमीटर दूर ड्रोन उड़ा सकती है. जिसके जरिए 7000 किलोमीटर की दूरी से ड्रोन को ऑपरेट किया जा सकता है. फिलहाल ओमान, नीदरलैंड और बेंगलुरु में बैठे लोगों से इस सिस्टम के जरिए सूरत में ड्रोन ऑपरेट करते हुए दिखाया गया है.

अर्थ चौधरी केवल 24 साल के हैं. वहीं, जब वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में थे, तब उन्होंने गलवान में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प और भारतीय सैनिकों की शहादत के बारे में पढ़ा था. अर्थ का मानना ​​था कि एक ऐसा सिस्टम बनाया जाना चाहिए जिससे सुरक्षा बलों को तकनीकी रूप से सुविधा हो और भविष्य में गलवान घाटी जैसी घटनाएं ना हों. चीन जिस तकनीकी सुविधा का उपयोग करता है, वह सुविधा और सुरक्षा भारतीय सेना को मिलनी चाहिए.

अर्थ चौधरी ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जिसके माध्यम से भारत में ड्रोन अब दूसरे देश से संचालित किए जा सकते हैं और भारत से ड्रोन दूसरे देश में संचालित किए जा सकते हैं. इस इंटरकंट्री ड्रोन ऑपरेशन सिस्टम के माध्यम से वर्तमान में सूरत में ड्रोन द्वारा बेंगलुरु, ओमान और नीदरलैंड में सिस्टम को कंट्रोल कर इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है. इस प्रणाली के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे स्थानों पर आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी, ​​निरीक्षण, क्षेत्र की कल्पना और ट्रैकिंग भी की जा सकती है.

इस इंटरकंट्री ड्रोन ऑपरेशन सिस्टम को विकसित करने के लिए अर्थ चौधरी की टीम पिछले 3 साल से काम कर रही है.जिसके लिए उन्होंने करीब 2 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. यह भारत की पहली प्रणाली है जो सूरत में ड्रोन को 7,000 किमी दूर स्थित नियंत्रक से संचालित करने की अनुमति देती है. इस पर अर्थ चौधरी ने कहा कि हमने गलवान घटना के बाद सोचकर यह स्टार्टअप शुरू किया. इस सिस्टम के माध्यम से हम किसी भी सुरक्षा बल के साथ उनकी आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार के ड्रोन विकसित करने के लिए काम करेंगे. गलवान की घटना तब हुई जब मैं दूसरे वर्ष में था, चीन ने इसी तरह के सिस्टम का उपयोग किया. तभी से मैंने इस दिशा में सोचना शुरू कर दिया.

अर्थ चौधरी ने आगे कहा कि मुझे एहसास हुआ कि अगर हम उनके ड्रोन को ट्रैक कर सकें तो इस हमले को रोक सकते हैं. फिर इस प्रणाली का विकास शुरू हुआ. इस सिस्टम का दूसरे देश में परीक्षण करने का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि क्या हम इस ड्रोन को अपने देश में कहीं से भी उड़ा सकते हैं. ड्रोन को हजारों किलोमीटर दूर से कहीं भी निगरानी और गश्त के लिए संचालित किया जा सकता है.

इस सिस्टम के लिए एक एप्लिकेशन विकसित किया गया है जिसे मोबाइल, कंप्यूटर और आईपैड जैसे नियंत्रक उपकरणों में स्थापित और संचालित किया जा सकता है. जिसके जरिए ड्रोन को नियंत्रित किया जाता है. इस सिस्टम में, लंबी दूरी पर ड्रोन को संचालित करने के लिए ड्रोन और कंट्रोलर डिवाइस को 4G या 5G नेटवर्क से जोड़ा जाता है. फिर इस ड्रोन को कोई भी कहीं से भी आसानी से उड़ा सकता है.

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अर्थ चौधरी केवल 24 साल के हैं. वहीं, जब वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में थे, तब उन्होंने गलवान में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प और भारतीय सैनिकों की शहादत के बारे में पढ़ा था. अर्थ का मानना ​​था कि एक ऐसा सिस्टम बनाया जाना चाहिए जिससे सुरक्षा बलों को तकनीकी रूप से सुविधा हो और भविष्य में गलवान घाटी जैसी घटनाएं ना हों. चीन जिस तकनीकी सुविधा का उपयोग करता है, वह सुविधा और सुरक्षा भारतीय सेना को मिलनी चाहिए.

अर्थ चौधरी ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जिसके माध्यम से भारत में ड्रोन अब दूसरे देश से संचालित किए जा सकते हैं और भारत से ड्रोन दूसरे देश में संचालित किए जा सकते हैं. इस इंटरकंट्री ड्रोन ऑपरेशन सिस्टम के माध्यम से वर्तमान में सूरत में ड्रोन द्वारा बेंगलुरु, ओमान और नीदरलैंड में सिस्टम को कंट्रोल कर इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है. इस प्रणाली के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे स्थानों पर आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी, ​​निरीक्षण, क्षेत्र की कल्पना और ट्रैकिंग भी की जा सकती है.

इस इंटरकंट्री ड्रोन ऑपरेशन सिस्टम को विकसित करने के लिए अर्थ चौधरी की टीम पिछले 3 साल से काम कर रही है.जिसके लिए उन्होंने करीब 2 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. यह भारत की पहली प्रणाली है जो सूरत में ड्रोन को 7,000 किमी दूर स्थित नियंत्रक से संचालित करने की अनुमति देती है. इस पर अर्थ चौधरी ने कहा कि हमने गलवान घटना के बाद सोचकर यह स्टार्टअप शुरू किया. इस सिस्टम के माध्यम से हम किसी भी सुरक्षा बल के साथ उनकी आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार के ड्रोन विकसित करने के लिए काम करेंगे. गलवान की घटना तब हुई जब मैं दूसरे वर्ष में था, चीन ने इसी तरह के सिस्टम का उपयोग किया. तभी से मैंने इस दिशा में सोचना शुरू कर दिया.

अर्थ चौधरी ने आगे कहा कि मुझे एहसास हुआ कि अगर हम उनके ड्रोन को ट्रैक कर सकें तो इस हमले को रोक सकते हैं. फिर इस प्रणाली का विकास शुरू हुआ. इस सिस्टम का दूसरे देश में परीक्षण करने का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि क्या हम इस ड्रोन को अपने देश में कहीं से भी उड़ा सकते हैं. ड्रोन को हजारों किलोमीटर दूर से कहीं भी निगरानी और गश्त के लिए संचालित किया जा सकता है.

इस सिस्टम के लिए एक एप्लिकेशन विकसित किया गया है जिसे मोबाइल, कंप्यूटर और आईपैड जैसे नियंत्रक उपकरणों में स्थापित और संचालित किया जा सकता है. जिसके जरिए ड्रोन को नियंत्रित किया जाता है. इस सिस्टम में, लंबी दूरी पर ड्रोन को संचालित करने के लिए ड्रोन और कंट्रोलर डिवाइस को 4G या 5G नेटवर्क से जोड़ा जाता है. फिर इस ड्रोन को कोई भी कहीं से भी आसानी से उड़ा सकता है.

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