चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के दिए गए कार्यक्रम के निमंत्रण को लेकर राज्य में तीखी बहस छिड़ गई है. इस निमंत्रण पत्र में तमिल कवि-संत तिरुवल्लुवर को भगवा कपड़े पहने हुए दिखाया गया था. मामले में अब एमडीएमके नेता वाइको ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि तिरुवल्लुवर जाति और धर्म से परे हैं.
वाइको ने कहा, 'यह निंदनीय है. कवि-संत तिरुवल्लुवर जाति और धर्म से ऊपर हैं. वह (राज्यपाल) राजभवन को हंसी का पात्र बना रहे हैं.' प्राचीन कवि-दार्शनिक के भगवाकरण ने राजनीतिक नेताओं के बीच एक नया विवाद पैदा कर दिया है.
राज्यपाल आरएन रवि ने पोस्ट की थी तिरुवल्लुवर तस्वीर
गौरतलब है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट शेयर की थी, जिसमें तिरुवल्लुवर को भगवा वस्त्र पहने और माथे पर राख लगाए हुए दिखाया गया है. वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सफेद पोशाक में कवि की एक तस्वीर और कन्नियाकुमारी में वल्लुवर प्रतिमा की एक इमेज शेयर की है.
स्टालिन ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, 'यह वल्लुवर ही थे, जिन्होंने सामाजिक न्याय के सिद्धांत का नेतृत्व किया. केवल आत्मनिर्भरता का प्रयास ही सफलता लाता है. तमिलनाडु के कुरालोवियन में वल्लुवर को कोई भी कलंकित नहीं कर सकता, जहां उनकी 133 फुट की प्रतिमा है.
BJP ने तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करने का किया था वादा
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने 14 अप्रैल को जारी लोकसभा 2024 चुनाव के अपने घोषणापत्र में तीसरी बार सत्ता में आने पर दुनियाभर में तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करने का वादा किया था. पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा था, 'हम भारत की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने और योग, आयुर्वेद में ट्रेनिंग देने के लिए दुनिया भर में तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करेंगे. हम लोकतंत्र की जननी के रूप में सदियों से चली आ रही भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक परंपराओं को भी बढ़ावा देंगे.'
पीएम मोदी ने तमिल भाषा को बताया गौरव
पीएम मोदी ने बीजेपी का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि हम दुनियाभर में तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र बनाएंगे. दुनिया की सबसे पुरानी तमिल भाषा हमारा गौरव है. बीजेपी तमिल भाषा की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी.
बता दें कि तिरुवल्लुवर, जिन्हें आमतौर पर वल्लुवर के नाम से जाना जाता है, एक प्राचीन तमिल दार्शनिक थे जो नैतिकता से लेकर अर्थशास्त्र तक के विषयों पर 1,330 दोहों में व्यक्त अपने ज्ञान के लिए जाने जाते थे.