मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिले में कई बच्चे ऐसे हैं, जो पढ़ना तो चाहते है, लेकिन आधार कार्ड ना रहने के कारण स्कूल से टीचर भगा देते हैं. जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडों परिवार को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. साथ ही उनके बच्चों को स्कूल से टीचर भगा दे रहे हैं. कारण यह है कि उनके पास आधार कार्ड नहीं है. इस वजह से वो शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
ये है पूरा मामला: दरअसल, हम बात कर रहे हैं. एसीबी जिले के भरतपुर जनपद पंचायत के बरेल ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम मंटोलिया की. यहां आज भी गांव के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. मंटोलिया में 20 घर की बस्ती है, जहां आदिवासी पंडो समाज के लोग रहते हैं. बस्ती के बच्चे आधार कार्ड नहीं बनने के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. शासन के द्वारा शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कई गांव में प्राथमिक शिक्षा बदतर है. लोग अपने बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन विद्यालय के ना होने से उनके सपनों को पंख नहीं लग पा रहा है. एमसीबी जिले के भरतपुर तहसील में 10 से 12 बच्चे आधार कार्ड नही होने के कारण स्कूली शिक्षा से ये बच्चे वंचित हैं. बच्चों के माता-पिता की ओर से आधार कार्ड बनवाने के लिए तहसील, ग्राम पंचायत के सचिव, सरपंच के चक्कर लगाते थक गए हैं, लेकिन आधार कार्ड नहीं बन पाया.
गुरुजी स्कूल में बैठने नहीं दे रहे: गांव की बच्ची वर्षा बताती है कि, "मैं जब स्कूल जाती हूं तो गुरुजी लोग भगा देते हैं.कहते हैं कि तुम्हारा आधार कार्ड नहीं है, तुमको स्कूल में नहीं बैठाया जाएगा." वहीं, गांव के ही करमचंद्र बताते हैं कि मेरा आधार कार्ड नहीं बना है. ना बच्चे का बन रहा है. सचिव को कहते हैं तो वह भी नहीं सुनते हैं. ना सरपंच सुनते हैं. जनकपुर कई बार गए, तब भी नहीं बना. बच्चे को स्कूल में गुरुजी कहते हैं कि आधार कार्ड लाओगे तो पढ़ों नहीं तो मत पढ़ो. स्कूल जाने वाले 10-12 बच्चे हैं. कुछ मां-बाप भी हैं, जिनके आधार कार्ड नहीं बने हैं. बहुत दिक्कत हो रही है आधार कार्ड बनवाने में.
हमारी गलती नहीं है. कुछ लड़कों का बन गया, कुछ का नहीं बना है. कुछ उपाय लगाना पड़ेगा. इनका जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना है, ध्यान नहीं दे रहे तो कहां से बनेगा. एक मेरा भी भाई है. उसका भी आधार कार्ड नहीं बना है. कई जगह पैसा दे कर आया फिर भी नहीं बन रहा है. हमारी हमारी गलती नहीं है बच्चों के मां पिता की भी कमी है. -विजय चेरवा, सरपंच पति, बरेल
बच्चों की जिन्दगी हो रही खराब: वहीं, गांव की महिला मुन्नीबाई बताती है कि बच्ची स्कूल जाती है तो गुरुजी कहते हैं कि अपना आधार कार्ड लाई हो. नहीं लाई हो, तुम जाओ तुम्हारा आधार कार्ड नहीं बन रहा है. हम तुम्हें नहीं बैठायेगें. अपने घर में बैठो. गांव के ही समय लाल पंडो का कहना है, "यहां किसी बच्चे का आधार कार्ड नहीं बन पाया है. जाति पंडो है. सरपंच और सचिव नहीं सुनते है. गुरुजी कहते हैं कि हम नहीं पढ़ाएंगे. इनका आधार नहीं है. सब को बता चुके हैं. सोचते हैं कि बनेगा कि नहीं कोई नहीं पढ़ाते हैं, गुरुजी लोग आधार कार्ड ना बनने के कारण भगा देते है. बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो रही है."
बरेला ग्राम पंचायत के मंटोलिया गांव में पंडो जनजाति के बच्चों का भविष्य अंधकार में है. यहां आधार कार्ड न होने के कारण लोगों को ना तो शासकीय योजनाओं का ठीक से लाभ मिल पा रहा है, ना ही इनके बच्चों को स्कूल में बैठने दिया जा रहा है. ऐसे में साफ है कि इस गांव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र की स्थिति बद से बदतर है. साथ ही इनके बच्चों का भविष्य भी अंधकार में है.