जमशेदपुर: दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो अपने अंदाज में कुछ ऐसा करते हैं, जो एक मिसाल बन जाता है. वैसे लोगों की सोच से अन्य लोगों को एक संदेश भी मिलता है. कुछ ऐसा ही है जर्मनी के रहने वाले मैक्स की अनोखी यात्रा की कहानी, जो जमशेदपुर पहुंचे हैं. जर्मनी के रहने वाले 35 वर्षीय मैक्स शनिवार को जमशेदपुर पहुंचे. मैक्स जर्मनी से साइकिल यात्रा पर निकले हैं. जमशेदपुर में एचआरएस स्पोर्ट्स क्लब के खिलाड़ियों द्वारा मैक्स का स्वागत किया गया. मैक्स को थोड़ी बहुत हिंदी आती है.
प्रेरणादायक किस्से को किया साझा
जमशेदपुर में मैक्स क्लब के खिलाड़ियों को अपनी जर्मन से साइकिल यात्रा के अनुभव के साथ साइकिलिंग के माध्यम से अपने जीवन को बदलने के प्रेरणादायक किस्से को साझा किया. छात्रों के साथ बातचीत करते हुए मैक्स ने शिक्षा और यात्रा के महत्व पर चर्चा की और छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया.
बता दें कि मैक्स ने जर्मनी से 20 अप्रैल 2023 से साइकिल से अपनी यात्रा की शुरुआत की है. जर्मनी से साइकिल की यात्रा से वे ऑस्ट्रिया, इटली, क्रोएशिया, स्लोवेनिया, बोस्निया, श्रीबिया, बुल्गारिया, रोमानिया, तुर्की होते हुए जहाज के जरिए स्वेज कैनाल पार करके ईरान पहुंचे. उसके बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान के बाद भारत में भ्रमण करते हुए जमशेदपुर पहुंचे है.
भाषा में परेशानी हुई, लेकिन निराशा नहीं: मैक्स
मैक्स बताते हैं कि दिन में वे साइकिल यात्रा करते हैं और रात में किसी सुरक्षित जगह पर टेंट लगाकर आराम करते हैं. ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं. मैक्स ने बताया कि पाकिस्तान में उन्हें परेशानी हुई लेकिन इंडिया आने के बाद उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. यहां के लोग दिलवाले हैं. हर कोई मदद के लिए तैयार रहता है. भाषा में उन्हें परेशानी जरूर हुई लेकिन उन्हें निराश नहीं होना पड़ा.
उन्होंने बताया कि कई देशों में उन्होंने जहाज पर अपनी साइकिल लेकर यात्रा किया है, क्योंकि सड़क नहीं था. उन्होंने स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद बेकरी का काम सीखा. उन्होंने अभी शादी नहीं की है. यात्रा में प्रतिदिन लगभग उनका सौ रुपए का खर्च होता है.
मैक्स बताते हैं कि पिछले 20 महीनों से वे साइकिल यात्रा कर रहे हैं. उनकी इस यात्रा का उद्देश्य दुनिया भर के विभिन्न लोगों और संस्कृति से जुड़ना और उन्हें समझना है. जमशेदपुर से वे ओडिशा जगन्नाथपुरी जाएंगे. जहां संत प्रज्ञानंद जी से मिलेंगे और फिर वापस जर्मनी लौट जाएंगे. मैक्स ने बताया कि वे अपनी यात्रा और अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक का जर्मन भाषा में अनुवाद कराने की योजना बना रहे हैं.
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