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इसरो ने तीसरी पीढ़ी के मौसम उपग्रह इनसेट-3डीएस को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया - ISRO

weather observation satellite INSAT-3DS : मौसम उपग्रह इनसेट-3डीएस को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया गया. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस सफलता पर टीम के सदस्यों को बधाई दी है.

satellite INSAT 3DS
उपग्रह इनसैट-3डीएस
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By PTI

Published : Feb 17, 2024, 7:47 PM IST

Updated : Feb 17, 2024, 8:48 PM IST

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को जीएसएलवी रॉकेट के साथ तीसरी पीढ़ी के एक मौसम पूर्वानुमान संबंधी उपग्रह 'इनसेट-3डीएस' को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया. इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों के अध्ययन को बढ़ावा देना है. 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट यहां से प्रक्षेपित किया गया. मौजूदा मिशन के निदेशक ने कहा कि उपग्रह को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित कर लिया गया है.

इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि इस सफलता ने अंतरिक्ष एजेंसी को अधिक आत्मविश्वास दिया है क्योंकि जीएसएलवी को अगली बार एनआईएसएआर मिशन में तैनात किया जाएगा, जो अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास है. प्रक्षेपण को देखने के लिए एकत्र भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजाकर खुशी जताई.

इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी उपग्रह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा. मिशन का वित्त पोषण पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने किया है. मिशन का उद्देश्य मौजूदा परिचालन इनसेट-3डी (2013 में प्रक्षेपित) और इनसेट-3डीआर (सितंबर 2016 में प्रक्षेपित) को मौसम संबंधी उन्नत पूर्वानुमानों, भूमि और महासागर सतहों की निगरानी और आपदा संबंधी चेतावनी के लिए सेवाओं को निरंतरता प्रदान करना है.

तीन चरणों वाला यह प्रक्षेपण यान लगभग 20 मिनट की उड़ान के बाद योजना के अनुसार रॉकेट से अलग हो गया और उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया. एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है.

ये भी पढ़ें - मार्च 2025 तक 30 भारतीय अंतरिक्ष मिशनों की योजना

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को जीएसएलवी रॉकेट के साथ तीसरी पीढ़ी के एक मौसम पूर्वानुमान संबंधी उपग्रह 'इनसेट-3डीएस' को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया. इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों के अध्ययन को बढ़ावा देना है. 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट यहां से प्रक्षेपित किया गया. मौजूदा मिशन के निदेशक ने कहा कि उपग्रह को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित कर लिया गया है.

इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि इस सफलता ने अंतरिक्ष एजेंसी को अधिक आत्मविश्वास दिया है क्योंकि जीएसएलवी को अगली बार एनआईएसएआर मिशन में तैनात किया जाएगा, जो अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास है. प्रक्षेपण को देखने के लिए एकत्र भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजाकर खुशी जताई.

इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी उपग्रह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा. मिशन का वित्त पोषण पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने किया है. मिशन का उद्देश्य मौजूदा परिचालन इनसेट-3डी (2013 में प्रक्षेपित) और इनसेट-3डीआर (सितंबर 2016 में प्रक्षेपित) को मौसम संबंधी उन्नत पूर्वानुमानों, भूमि और महासागर सतहों की निगरानी और आपदा संबंधी चेतावनी के लिए सेवाओं को निरंतरता प्रदान करना है.

तीन चरणों वाला यह प्रक्षेपण यान लगभग 20 मिनट की उड़ान के बाद योजना के अनुसार रॉकेट से अलग हो गया और उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया. एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है.

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Last Updated : Feb 17, 2024, 8:48 PM IST
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