प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में दाखिल 18 दीवानी मुकदमों की पोषणीयता पर फैसला सुरक्षित कर लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने विभिन्न पक्षकारों को सुनने के बाद शुक्रवार को दिया.
शुक्रवार से पहले कोर्ट में 29 कार्य दिवसों पर हुई सुनवाई में मस्जिद पक्ष की ओर से 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट और स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट का हवाला देकर कहा गया कि यह विवाद इन चारों एक्ट से बाधित है, इसलिए मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल डेढ़ दर्जन मुकदमों पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं की जा सकती. हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि विवादित स्थल ऐतिहासिक धरोहर घोषित है.
यह स्थल राष्ट्रीय महत्व का है, इसलिए इससे जुड़ा वाद भी राष्ट्रीय महत्व का होगा. यह भी कहा गया कि भवन वास्तव में मस्जिद नहीं है. हिंदू मंदिर पर कब्जा कर मस्जिद का रूप दिया गया. 15 वीं सदी में मस्जिद का ऐसा स्ट्रक्चर नहीं होता था. बज्रनाभ भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ने मंदिर बनवाया. चार बीघा जमीन में मंदिर केशव देव मंदिर बनवाया गया. यहां पहले परिक्रमा होती थी, बाद में मंदिर ध्वस्त किया गया.
विष्णु पुराण कहता है श्रीकृष्ण के जाने के बाद कलियुग शुरू हुआ. ईदगाह कमेटी के पास मालिकाना हक को लेकर कोई दस्तावेज नहीं है. गौरतलब है कि अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट सीधे तौर पर मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल 18 मुकदमों पर एकसाथ सुनवाई कर रहा है. मस्जिद पक्ष ने सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत अर्जी दाखिल कर इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की अपील की है.
ये भी पढ़ें- कोर्ट परिसर में पिस्टल के साथ पहुंचा अपराधी, जज की गाड़ियों के पास कर रहा था रेकी