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देश का एक ऐसा मंदिर जहां शहीदों की होती है पूजा, डिफेंस में जानें वाले युवाओं के लिए है तीर्थ - Martyrs temple

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 12, 2024, 5:26 PM IST

Updated : Aug 12, 2024, 10:58 PM IST

भारत का ऐसा मंदिर जहां पर देश के लिए जान कुर्बान करने वाले वीर शहीदों की पूजा किसी देवी देवताओं की तरह की जाती है. खास बात ये है कि ये मंदिर, देश पर जान न्योछावर करने का जज्बा रखने वाले युवाओं के लिए, किसी तीर्थ से कम नहीं है. इसीलिए देवी देवताओं की तरह यहां पर शहीदों से मन्नतें मांगी जाती हैं. देश सेवा का भाव रखने वाले, डिफेंस में जाने वाले युवाओं की यहां पर हर मुराद पूरी होती है. पढ़ें पूरी खबर-

Etv Bharat
देश के शहीदों का मंदिर (Etv Bharat)
देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

बेगूसराय : भारत के स्वतंत्रता इतिहास में अनगिनत ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी आहुति देकर देश को आजाद कराया. शहीदों के इतिहास में कुछ नाम चर्चित हुए तो कुछ गुमनाम रहे. पर देश का बच्चा-बच्चा अपनी मातृभूमि के लिए शहीद वीर सपूतों को न सिर्फ अपना श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं बल्कि शहीदों की पूजा अर्चना भी करते हैं. बेगूसराय में देश का ऐसा मंदिर है जहां देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले वीर शहीद और देश के नव निर्माण में अपना योगदान देने वाले महापुरुषों की पूजा अर्चना देवी-देवताओं के समान की जाती है.

देवी देवता की तरह पूजे जाते हैं शहीद : गांव के देवालय में देवी-देवताओं की स्थापित प्रतिमाओं के बीच शहीदों की आदम कद प्रतिमा को यहां न सिर्फ पूजा जाता है, बल्कि लोग इनसे अपने मन की मुराद भी मांगते हैं. मान्यता है कि इनसे मांगी गईं हर मुरादें भी पूरी हाेती है. दिलचस्प बात यह है कि हिंदू हो या मुस्लिम देश सेवा का भाव रखने वाले नौजवान, डिफेंस की तैयारी करने से पूर्व यहां आते है. जहां पूजा अर्चना के बाद अपनी सफलता के लिए मन्नत मांगते हैं और उसी दिन से तैयारी में जुट जाते हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

मुस्लिम हो या हिन्दू सभी झुकाते हैं शीश : शहीदों के ग्रामीणों की माने तो दर्जनों ऐसे उदाहरण है जहां हिंदू और मुस्लिम लड़के देश और बिहार सरकार में अपनी सेवा दे रहें हैं. इसमें दूसरे जिला के लोग भी आशीर्वाद लेने आते हैं. जिसके बाद वो इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. इसके अलावा भी इलाके में कई ऐसे लोग हैं जिनके मन की मुराद यहां पूरी हुईं है.

कहां ये अनोखा मंदिर? : बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 12 से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित परना गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अत्यंत पिछड़ा होने के बाद भी इस गांव के लोगों की सोच देश भक्ति से लबालब है. जिसका परिणाम है कि यहां के लोगों ने देश की स्वतंत्रता, इतिहास में शहीद लोगों को भगवान मान कर पूजते हैं. दस हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव के लोग आपसी भाई चारे की भी मिसाल बने हुए हैं.

भारत माता के वीर सपूत
भारत माता के वीर सपूत (ETV Bharat)

''हिंदू हो या मुस्लिम हर कोई इन शहीदों को अपना आदर्श मानते हैं. खुद के संसाधन से मंदिर की देखरेख करते हैं. इस मंदिर में देवी देवताओं की तरह सुबह शाम इन देश भक्तों की भी पूजा अर्चना विधिवत होती है. मन्दिर और इसके परिसर की साफ सफाई के लिय पचास से भी अधिक युवा हर रविवार को इस काम को अंजाम देते हैं.''- स्थानीय ग्रामीण

मंदिर में स्थापित हैं मूर्तियां : इस मन्दिर में मां दुर्गा, भगवान शिव और हनुमान जी की मूर्ति के आलावा झांसी की रानी लक्ष्मीवाई, वीर कुंवर सिंह, भगत सिंह महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद की आदम कद प्रतिमा के आलावा लोगों के आदर्श सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, अंबेडकर, कॉमरेड चंद्र शेखर, दिनकर और रामचंद्र सिंह की भी प्रतिमा स्थापित है.

शहीद रामचन्द्र सिंह और वीर भगत सिंह की प्रतिमा
शहीद रामचन्द्र सिंह और वीर भगत सिंह की प्रतिमा (ETV Bharat)

दूसरे मंदिरों से अलग है यह मंदिर : यह मंदिर सिर्फ बेगूसराय ही नहीं बल्कि अन्य जिले के लोगों के लिए भी आर्दश है. इस मंदिर का निर्माण 1989 में गांव के पूर्व मुखिया शिव राम महतो के द्वारा गांव के लोगों के सहयोग से किया गया था. समय के साथ गांव के लोगों का झुकाव इस तरफ बढ़ा तो यह मंदिर लोगों के प्रेरणा का श्रोत बन गया. इस संबंध में मंदिर के मुख्य पुजारी शिव ज्योति झा ने बताया कि यह मंदिर अन्य दूसरे मंदिरों से अलग है.

मंदिर में देशभक्ति की भावना : इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां देवी देवताओं के सामान देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सपूतों की पूजा अर्चना देवी देवताओं के सामान होती है. मंदिर के पुजारी शिव ज्योति झा ने बताया की सेना की तैयारी शुरु करने से पहले दूर-दूर से युवा आते हैं और यहां माथा टेककर तैयारी में जुट जाते हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यहां दूर-दूर से पर्यटक माथा टेकने और इस मंदिर को देखने आते हैं. इसमें हिंदू मुस्लिम और अन्य दूसरे धर्म के लोग भी शामिल होते हैं.

शहीदों का मंदिर
शहीदों का मंदिर (ETV Bharat)

देशभक्ति वाला मंदिर : देश भक्ति का जज्बा पैदा करने वाले इस मंदिर के संबंध में गांव के युवा राम लगन कुमार ने बताया की इलाके के लोगों को जिस तरह सनातन के देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा रहती है ठीक उसी भाव से देश की आजादी में अपना बलिदान देने वाले लोगों की भी सुबह शाम पूजा होती है. खास कर युवा पीढ़ी में एक खास झलक होती है, जब कोइ युवक डिफेंस में जाना चाहता है तो सबसे पहले शहीदों के सामने माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं और उनकी मन्नतें पूरी होती हैं.

देशभक्तों की मुराद होती है पूरी : इसका कई उदाहरण सिर्फ दो वार्ड में ही करे तो कई युवा भारत सरकार और बिहार सरकार में एसआई के पद पर तैनात हैं. ये सब यहां से ही मन्नत मानकर कामयाब हुए. इस मंदिर में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी आते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं. हाल ही में एक मुस्लिम युवक का चयन एसआई के पद पर हुआ है. ग्रामीण हितेश कुमार बताते हैं कि यह लोगों के श्रद्धा का बड़ा केंद्र है. जहां लोग देवी देवताओं के समान देश भक्तों की भी पूजा अर्चना करते हैं.

सुबह शाम होती है पूजा : यहां देवी देवता के साथ-साथ सुबह शाम वीर शहीदों की भी पूजा अर्चना होती है. इस संबंध में ग्रामीण रामपुकारी देवी बताती हैं कि ये उनके दिनचर्या में शामिल है. वो प्रतिदिन यहां आती हैं और भगवान शिव पार्वती, दुर्गा और हनुमान जी की पूजा के बाद देश भक्तों की भी पूजा अर्चना करते हैं. वहीं ग्रामीण रविंद्र कुमार निराला बताते हैं कि ग्रामीण युवाओं में इस स्थान को देखकर राष्ट्रीयता कूट-कूट में भरती है और वह जज्बे के साथ सेना में भर्ती होते हैं.

पर्यटन के रूप में विकास की मांग : युवा इनका अनुसरण करते हैं इनसे सीख लेते है. रविन्द्र कुमार निराला बताते हैं कि इस मन्दिर का मेंटेनेस ग्रामीण अपने सीमित संसाधन के बीच करते हैं. लेकिन अफसोसजनक बात है कि देश के इस आदर्श मंदिर का पर्यटन के रूप में विकास होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया. ग्रामीणों के अंदर यह सोच है, यह भावना है कि ये हमारे देश के पुरोधा हैं. हमारे देश के लिए शहीद हुए हैं, इसलिए ये हमारे लिए देवी देवता से कम नहीं है. यहीं सोच के साथ ग्रामीण भक्ति भाव से इनकी पूजा अर्चना करते आ रहे हैं.

''यह हम और हमारे गांव के लोगों के लिय श्रद्धा का केंद्र है. हम लोग यहां हर दिन पूजा-अर्चना करने आते हैं. दूसरे देवी देवता के साथ मैं शहीदों की पूजा अर्चना करता हूं. हमने जो मन्नत यहां मांगी थी हमारी वो मन्नत पूरी हुई है.''- सोनी कुमारी, महिला श्रद्धालु

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देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

बेगूसराय : भारत के स्वतंत्रता इतिहास में अनगिनत ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी आहुति देकर देश को आजाद कराया. शहीदों के इतिहास में कुछ नाम चर्चित हुए तो कुछ गुमनाम रहे. पर देश का बच्चा-बच्चा अपनी मातृभूमि के लिए शहीद वीर सपूतों को न सिर्फ अपना श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं बल्कि शहीदों की पूजा अर्चना भी करते हैं. बेगूसराय में देश का ऐसा मंदिर है जहां देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वाले वीर शहीद और देश के नव निर्माण में अपना योगदान देने वाले महापुरुषों की पूजा अर्चना देवी-देवताओं के समान की जाती है.

देवी देवता की तरह पूजे जाते हैं शहीद : गांव के देवालय में देवी-देवताओं की स्थापित प्रतिमाओं के बीच शहीदों की आदम कद प्रतिमा को यहां न सिर्फ पूजा जाता है, बल्कि लोग इनसे अपने मन की मुराद भी मांगते हैं. मान्यता है कि इनसे मांगी गईं हर मुरादें भी पूरी हाेती है. दिलचस्प बात यह है कि हिंदू हो या मुस्लिम देश सेवा का भाव रखने वाले नौजवान, डिफेंस की तैयारी करने से पूर्व यहां आते है. जहां पूजा अर्चना के बाद अपनी सफलता के लिए मन्नत मांगते हैं और उसी दिन से तैयारी में जुट जाते हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

मुस्लिम हो या हिन्दू सभी झुकाते हैं शीश : शहीदों के ग्रामीणों की माने तो दर्जनों ऐसे उदाहरण है जहां हिंदू और मुस्लिम लड़के देश और बिहार सरकार में अपनी सेवा दे रहें हैं. इसमें दूसरे जिला के लोग भी आशीर्वाद लेने आते हैं. जिसके बाद वो इसकी तैयारी में जुट जाते हैं. इसके अलावा भी इलाके में कई ऐसे लोग हैं जिनके मन की मुराद यहां पूरी हुईं है.

कहां ये अनोखा मंदिर? : बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 12 से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित परना गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अत्यंत पिछड़ा होने के बाद भी इस गांव के लोगों की सोच देश भक्ति से लबालब है. जिसका परिणाम है कि यहां के लोगों ने देश की स्वतंत्रता, इतिहास में शहीद लोगों को भगवान मान कर पूजते हैं. दस हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव के लोग आपसी भाई चारे की भी मिसाल बने हुए हैं.

भारत माता के वीर सपूत
भारत माता के वीर सपूत (ETV Bharat)

''हिंदू हो या मुस्लिम हर कोई इन शहीदों को अपना आदर्श मानते हैं. खुद के संसाधन से मंदिर की देखरेख करते हैं. इस मंदिर में देवी देवताओं की तरह सुबह शाम इन देश भक्तों की भी पूजा अर्चना विधिवत होती है. मन्दिर और इसके परिसर की साफ सफाई के लिय पचास से भी अधिक युवा हर रविवार को इस काम को अंजाम देते हैं.''- स्थानीय ग्रामीण

मंदिर में स्थापित हैं मूर्तियां : इस मन्दिर में मां दुर्गा, भगवान शिव और हनुमान जी की मूर्ति के आलावा झांसी की रानी लक्ष्मीवाई, वीर कुंवर सिंह, भगत सिंह महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद की आदम कद प्रतिमा के आलावा लोगों के आदर्श सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, अंबेडकर, कॉमरेड चंद्र शेखर, दिनकर और रामचंद्र सिंह की भी प्रतिमा स्थापित है.

शहीद रामचन्द्र सिंह और वीर भगत सिंह की प्रतिमा
शहीद रामचन्द्र सिंह और वीर भगत सिंह की प्रतिमा (ETV Bharat)

दूसरे मंदिरों से अलग है यह मंदिर : यह मंदिर सिर्फ बेगूसराय ही नहीं बल्कि अन्य जिले के लोगों के लिए भी आर्दश है. इस मंदिर का निर्माण 1989 में गांव के पूर्व मुखिया शिव राम महतो के द्वारा गांव के लोगों के सहयोग से किया गया था. समय के साथ गांव के लोगों का झुकाव इस तरफ बढ़ा तो यह मंदिर लोगों के प्रेरणा का श्रोत बन गया. इस संबंध में मंदिर के मुख्य पुजारी शिव ज्योति झा ने बताया कि यह मंदिर अन्य दूसरे मंदिरों से अलग है.

मंदिर में देशभक्ति की भावना : इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां देवी देवताओं के सामान देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सपूतों की पूजा अर्चना देवी देवताओं के सामान होती है. मंदिर के पुजारी शिव ज्योति झा ने बताया की सेना की तैयारी शुरु करने से पहले दूर-दूर से युवा आते हैं और यहां माथा टेककर तैयारी में जुट जाते हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यहां दूर-दूर से पर्यटक माथा टेकने और इस मंदिर को देखने आते हैं. इसमें हिंदू मुस्लिम और अन्य दूसरे धर्म के लोग भी शामिल होते हैं.

शहीदों का मंदिर
शहीदों का मंदिर (ETV Bharat)

देशभक्ति वाला मंदिर : देश भक्ति का जज्बा पैदा करने वाले इस मंदिर के संबंध में गांव के युवा राम लगन कुमार ने बताया की इलाके के लोगों को जिस तरह सनातन के देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा रहती है ठीक उसी भाव से देश की आजादी में अपना बलिदान देने वाले लोगों की भी सुबह शाम पूजा होती है. खास कर युवा पीढ़ी में एक खास झलक होती है, जब कोइ युवक डिफेंस में जाना चाहता है तो सबसे पहले शहीदों के सामने माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं और उनकी मन्नतें पूरी होती हैं.

देशभक्तों की मुराद होती है पूरी : इसका कई उदाहरण सिर्फ दो वार्ड में ही करे तो कई युवा भारत सरकार और बिहार सरकार में एसआई के पद पर तैनात हैं. ये सब यहां से ही मन्नत मानकर कामयाब हुए. इस मंदिर में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी आते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं. हाल ही में एक मुस्लिम युवक का चयन एसआई के पद पर हुआ है. ग्रामीण हितेश कुमार बताते हैं कि यह लोगों के श्रद्धा का बड़ा केंद्र है. जहां लोग देवी देवताओं के समान देश भक्तों की भी पूजा अर्चना करते हैं.

सुबह शाम होती है पूजा : यहां देवी देवता के साथ-साथ सुबह शाम वीर शहीदों की भी पूजा अर्चना होती है. इस संबंध में ग्रामीण रामपुकारी देवी बताती हैं कि ये उनके दिनचर्या में शामिल है. वो प्रतिदिन यहां आती हैं और भगवान शिव पार्वती, दुर्गा और हनुमान जी की पूजा के बाद देश भक्तों की भी पूजा अर्चना करते हैं. वहीं ग्रामीण रविंद्र कुमार निराला बताते हैं कि ग्रामीण युवाओं में इस स्थान को देखकर राष्ट्रीयता कूट-कूट में भरती है और वह जज्बे के साथ सेना में भर्ती होते हैं.

पर्यटन के रूप में विकास की मांग : युवा इनका अनुसरण करते हैं इनसे सीख लेते है. रविन्द्र कुमार निराला बताते हैं कि इस मन्दिर का मेंटेनेस ग्रामीण अपने सीमित संसाधन के बीच करते हैं. लेकिन अफसोसजनक बात है कि देश के इस आदर्श मंदिर का पर्यटन के रूप में विकास होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया. ग्रामीणों के अंदर यह सोच है, यह भावना है कि ये हमारे देश के पुरोधा हैं. हमारे देश के लिए शहीद हुए हैं, इसलिए ये हमारे लिए देवी देवता से कम नहीं है. यहीं सोच के साथ ग्रामीण भक्ति भाव से इनकी पूजा अर्चना करते आ रहे हैं.

''यह हम और हमारे गांव के लोगों के लिय श्रद्धा का केंद्र है. हम लोग यहां हर दिन पूजा-अर्चना करने आते हैं. दूसरे देवी देवता के साथ मैं शहीदों की पूजा अर्चना करता हूं. हमने जो मन्नत यहां मांगी थी हमारी वो मन्नत पूरी हुई है.''- सोनी कुमारी, महिला श्रद्धालु

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Last Updated : Aug 12, 2024, 10:58 PM IST
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