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बिना तलाक किसी और के साथ लिव इन में नहीं रह सकती विवाहित महिला, सामाजिक ताना-बाना नष्ट होगा: हाईकोर्ट - Married woman

विवाहिता पति से तलाक लिए बिना लिव इन में नहीं रह सकती. यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक आदेश में कही. ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट होगा

Etv Bharat पति से तलाक लिए बिना लिव इन में नहीं रह सकती विवाहिता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 8:06 PM IST

Updated : Mar 13, 2024, 11:53 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है तो उनमें से कोई दूसरी शादी नहीं कर सकते. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून के विरुद्ध संबंधों को न्यायालय का समर्थन नहीं मिल सकता. इसी के साथ कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली विवाहिता की याचिका खारिज कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने कासगंज की एक विवाहिता व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि कहा कि विवाहित महिला पति से तलाक लिए बिना किसी अन्य के साथ लिव इन में नहीं रह सकती. ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट होगा. याचियों ने सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी.

याचिका में कहा गया था कि दोनों याची लिव इन पार्टनर हैं. उन्होंने एसपी कासगंज से सुरक्षा की मांग की थी. कोई सुनवाई न होने पर यह याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान दूसरे याची की पत्नी के अधिवक्ता ने आधार कार्ड प्रस्तुत कर बताया कि वह उसकी शादीशुदा पत्नी है. यह भी बताया कि पहली याची भी एक व्यक्ति की पत्नी है.

दोनों में से किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है. विवाहिता याची दो बच्चों की मां है और दूसरे याची के साथ लिव इन में रह रही है. कोर्ट ने इसे विधि विरुद्ध माना और सुरक्षा देने से इनकार करते हुए याचिका को दो हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दिया.

पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने सजा के खिलाफ दाखिल की अपील
प्रयागराज: पूर्वांचल के बाहुबली व पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने जौनपुर की स्पेशल कोर्ट (एमपी/एमएलए) से सजा के निर्णय के को चुनौती दी है. अपील में सजा का आदेश निरस्त करने और जमानत पर रिहाई की मांग की गई है. धनंजय सिंह की अपील पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है. स्पेशल कोर्ट ने नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी मांगने, धमकाने और आपराधिक साजिश के अपराध के लिए पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास और डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. धनंजय सिंह ने अपील में स्पेशल कोर्ट (एमपी/एमएलए) के इस फैसले को चुनौती दी है. साथ ही सजा निरस्त करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें- रोडवेज का सेंट्रल कंट्रोल एंड कमांड सेंटर: बस में इमरजेंसी तो पैनिक बटन दबाते ही जाएगा मैसेज, आएगी मदद

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है तो उनमें से कोई दूसरी शादी नहीं कर सकते. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून के विरुद्ध संबंधों को न्यायालय का समर्थन नहीं मिल सकता. इसी के साथ कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली विवाहिता की याचिका खारिज कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने कासगंज की एक विवाहिता व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि कहा कि विवाहित महिला पति से तलाक लिए बिना किसी अन्य के साथ लिव इन में नहीं रह सकती. ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट होगा. याचियों ने सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी.

याचिका में कहा गया था कि दोनों याची लिव इन पार्टनर हैं. उन्होंने एसपी कासगंज से सुरक्षा की मांग की थी. कोई सुनवाई न होने पर यह याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान दूसरे याची की पत्नी के अधिवक्ता ने आधार कार्ड प्रस्तुत कर बताया कि वह उसकी शादीशुदा पत्नी है. यह भी बताया कि पहली याची भी एक व्यक्ति की पत्नी है.

दोनों में से किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है. विवाहिता याची दो बच्चों की मां है और दूसरे याची के साथ लिव इन में रह रही है. कोर्ट ने इसे विधि विरुद्ध माना और सुरक्षा देने से इनकार करते हुए याचिका को दो हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दिया.

पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने सजा के खिलाफ दाखिल की अपील
प्रयागराज: पूर्वांचल के बाहुबली व पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने जौनपुर की स्पेशल कोर्ट (एमपी/एमएलए) से सजा के निर्णय के को चुनौती दी है. अपील में सजा का आदेश निरस्त करने और जमानत पर रिहाई की मांग की गई है. धनंजय सिंह की अपील पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है. स्पेशल कोर्ट ने नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी मांगने, धमकाने और आपराधिक साजिश के अपराध के लिए पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास और डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. धनंजय सिंह ने अपील में स्पेशल कोर्ट (एमपी/एमएलए) के इस फैसले को चुनौती दी है. साथ ही सजा निरस्त करने की मांग की है.

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Last Updated : Mar 13, 2024, 11:53 AM IST
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