जालना: महाराष्ट्र में लंबित मराठा आरक्षण मुद्दे को लेकर शिवबा संगठन के नेता मनोज जरांगे-पाटिल ने गुरुवार को छठे दिन अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त कर दी. वहीं राज्य सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात कर इस मुद्दे को हल करने के लिए समय मांगा है. राज्य मंत्री शंभुराज देसाई, सांसद संदीपन भूमरे, विधायक राणाजगजीतसिंह पी. पाटिल और अन्य अधिकारी जरांगे-पाटिल से मिलने अंतरावली-सरती गांव पहुंचे, जहां उन्होंने 8 जून को आंदोलन शुरू किया था.
मराठा नेता ने सरकार को मराठा आरक्षण मुद्दे को हल करने के लिए 24 घंटे का समय दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह शुक्रवार (14 जून) से अपना आंदोलन तेज कर देंगे. उनके इस फैसले पर तुरंत संज्ञान लेते हुए एक आधिकारिक टीम वहां पहुंची. जरांगे-पाटिल ने प्रतिनिधिमंडल की जोरदार अपील के बाद अपना अल्टीमेटम एक महीने यानी 13 जुलाई तक बढ़ाने पर सहमति जताई, ताकि सरकार मराठा आरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठा सके. जरांगे-पाटिल ने अपनी पूर्व चेतावनी को दोहराते हुए कहा कि मराठा न केवल अक्टूबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, बल्कि सभी दलों के उन उम्मीदवारों के नाम भी बताएंगे, जिनके खिलाफ समुदाय सामूहिक रूप से मतदान करेगा.
देसाई ने संवाददाताओं को बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि महायुति सरकार लंबित मांगों को बिना किसी अनावश्यक देरी के लागू करने के लिए ईमानदारी से काम कर रही है. उन्होंने कहा, "हम इसको लेकर प्रतिबद्ध हैं और हम मराठा आरक्षण के मुद्दे को कानून के दायरे में हल करेंगे. अगली कैबिनेट बैठक में आपत्तियां रखी जाएंगी. मामले को लटकाने या खींचने का हमारा कोई इरादा नहीं है. मंत्री ने कहा, ''लोकसभा चुनाव के दौरान दो महीने तक चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण मामले में निर्णय लेने में देरी हुई, लेकिन अब इस पर काम शुरू किया जाएगा. हम संबंधित अधिकारियों से इस पर बात करेंगे. साथ ही 'सेज-सोयारे' के लिए अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे.
आश्वासन के बाद जरांगे-पाटिल ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से संतरे का जूस पीकर अपनी भूख हड़ताल खत्म की. बता दें कि पिछले 11 महीनों में यह उनकी पांचवीं भूख हड़ताल थी. हड़ताल खत्म होने के बाद जरांगे-पाटिल को इलाज के लिए छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) के गैलेक्सी अस्पताल ले जाया गया. पिछले 6 दिनों से भोजन से परहेज करने के कारण वे कमजोर हो गए थे.
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