नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनएआई) की जांच में पता चला है कि माओवादी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा माओवादी अपने ओवरग्राउंड वर्कर की मदद से जबरन वसूली रैकेट की भी योजना बना रहे हैं.
एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, "अब तक की जांच से पता चला है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में मौजूद प्रतिबंधित संगठन के कई समर्थक भर्ती पहल को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. वे ज्यादातर युवाओं को प्रतिबंधित संगठन से जोड़ने के लिए उन्हें निशाना बना रहे हैं."
हाल ही में, एनआईए ने पंजाब से संगठन के एक सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया था. अजय सिंघल उर्फ अमन माओवादी संगठन का प्रमुख सदस्य था, जिसे भर्ती के साथ-साथ जबरन वसूली का काम सौंपा गया था.
ओवर ग्राउंड वर्कर और फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन
माओवादियों के ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गए हैं. अधिकारी ने कहा, "वे समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ आसानी से घुलमिल सकते हैं. OGW छात्र, शिक्षाविद, NGO कार्यकर्ता या कोई भी हो सकता है."
ओजीडब्ल्यू के साथ-साथ माओवादियों के फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द हैं. हाल ही में, एनआईए की जांच में कई फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन और छात्र विंग की पहचान हुई है, जिन्हें भूमिगत कैडर के रूप में काम करने के लिए उपयुक्त लोगों की पहचान करने का काम सौंपा गया है. फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और हिंसक आतंकवादी हमलों को अंजाम देने का काम सौंपा गया है.
नॉर्दर्न रीजनल ब्यूरो
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश सहित सभी चार राज्यों को माओवादियों के नॉर्दर्न रीजनल ब्यूरो (एनआरबी) के रूप में जाना जाता है. अधिकारी ने कहा कि माओवादी वर्तमान में भारत के बाकी हिस्सों में अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए एनआरबी को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं.
हाल ही में, एनआईए ने इन सभी राज्यों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया और माओवादियों से जुड़े कई संदिग्धों के आवास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल फोन, पेन ड्राइव, कॉम्पैक्ट डिस्क, सिम कार्ड और पॉकेट डायरी सहित डिजिटल डिवाइस जब्त की.
माओवाद के मुद्दे पर गृह मंत्रालय में बैठक
हाल ही में गृह मंत्रालय में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति पर समीक्षा बैठक हुई, जिसमें वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव, डीजीपी, सीएपीएफ के डीजी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. यह बैठक मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के लिए 2024-25 के लिए वार्षिक कार्य योजना (एडब्ल्यूपी) को अंतिम रूप देने के लिए अतिरिक्त सचिव (एलडब्ल्यूई) प्रवीण वशिष्ठ की अध्यक्षता में हुई.
बैठक की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "बैठक में माओवादियों द्वारा खुद को विभिन्न क्षेत्रों में पुनर्जीवित करने के प्रयास के मुद्दे पर भी चर्चा की गई."
वामपंथी उग्रवाद को 2026 तक खत्म करने का लक्ष्य
माओवादियों के नॉर्दर्न रीजनल ब्यूरो को पुनर्जीवित करने की रणनीति से संबंधित घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब केंद्र सरकार ने देश से माओवाद के खतरे को खत्म करने के लिए 2026 तक का लक्ष्य रखा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक और बिना कोई समझौता किए अभियान शुरू किया गया है. माओवादियों के खिलाफ लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है. शाह ने दोहराया कि मार्च 2026 तक भारत माओवाद या नक्सल समस्या से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा.
यह भी पढ़ें- नक्सली भर्ती मामले में दिल्ली-UP समेत 4 राज्यों में NIA की छापेमारी, पंजाब में विरोध-प्रदर्शन