इंफाल: मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम रखने को लेकर पुलिस प्रशासन सख्त है. इस बीच पुलिस राज्य के सीमांत और संवेदनशील क्षेत्रों में अपना तलाशी अभियान जारी रखी है. इस अभियान के दौरान भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त भी जब्त किए जा रहे हैं.
मणिपुर पुलिस के एक महत्वपूर्ण अभियान में सुरक्षा बलों ने मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों के सीमांत और संवेदनशील क्षेत्रों में तलाशी अभियान चलाया. इसके अलावा आवश्यक वस्तुओं के साथ क्रमशः एनएच-37 और एनएच-2 पर 172 और 169 वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की गई.
सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के कड़े उपाय किए गए हैं. वाहनों की स्वतंत्र एवं सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा काफिला उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा मणिपुर के विभिन्न जिलों में कुल 110 चौकियां (नाके) बनाए गए हैं. ये पहाड़ी और घाटी दोनों क्षेत्रों को कवर करती हैं.
बता दें कि राज्य के विभिन्न जिलों में उल्लंघन के संबंध में पुलिस द्वारा किसी को हिरासत में नहीं लिया गया. बुधवार को राज्य में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए एक अन्य तलाशी अभियान और क्षेत्र में छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया.
इस अभियान के दौरान टेंग्नौपाल जिले के सेनम गांव से देशी निर्मित बंदूक, आईईडी, ग्रेनेड, पेट्रोल बम, राइफल, गोला-बारूद, डेटोनेटर और अन्य सामान बरामद किए गए. इस बीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने गुरुवार को 27 सितंबर को कांगपोकपी से कथित रूप से अपहृत किए गए दो मणिपुर युवकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों के प्रयासों की सराहना की.
सीएम सिंह ने गुरुवार को कहा, '27 सितंबर 2024 को कांगपोकपी में अपहृत दो युवकों को सुरक्षित रूप से मणिपुर पुलिस की हिरासत में वापस लाया गया है. मैं राज्य और केंद्र सरकार दोनों के सभी लोगों की ईमानदारी से सराहना करता हूं जिन्होंने उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किया. आपके प्रयासों का बहुत महत्व है.'
गौरतलब है कि पिछले साल 3 मई को पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी, जब अखिल आदिवासी छात्र संघ (एटीएसयू) द्वारा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में आयोजित एक रैली के दौरान झड़पें हुई.