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सुप्रीम कोर्ट से समीर कुलकर्णी को बड़ा झटका! UAPA के तहत मंजूरी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज - Malegaon Blast Case - MALEGAON BLAST CASE

Supreme Court: बॉम्बे हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मालेगांव विस्फोट मामले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार समीर कुलकर्णी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 7:47 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार समीर कुलकर्णी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. महाराष्ट्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी दे दी है. नासिक जिले के मालेगांव शहर में मोटरसाइकिल पर बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हो गए थे.

इस मामले पर जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने कुलकर्णी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा कि अदालत बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है. इससे पहले हाई कोर्ट ने भी कुलकर्णी की याचिका खारिज कर दी थी.

कुलकर्णी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने यूएपीए की धारा 45(2) के तहत मंजूरी नहीं ली है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पृष्ठभूमि के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोपों को बरकरार नहीं रखा जा सकता है. पीठ ने कहा, "हमें आरोपित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला."

पीठ का हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार
दीवान ने तर्क दिया कि जब मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपा गया था तो केंद्र सरकार की मंजूरी होनी चाहिए थी. हालांकि, पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. इससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत के समक्ष कुलकर्णी के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई वैध मंजूरी का अभाव
2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के आरोपियों में से एक कुलकर्णी ने मुंबई की विशेष एनआईए अदालत में मुकदमे को चुनौती देते हुए कहा कि इसमें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 45 के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई वैध मंजूरी का अभाव है.

मामले में साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट
कुलकर्णी ने तर्क दिया कि उनका मामला राज्य सरकार या केंद्र सरकार से अभियोजन के लिए कोई वैध पूर्व अनुमति नहीं होने के कारण मुकदमा आगे नहीं बढ़ सकता. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को उसी साल विस्फोट की साजिश के लिए नौ अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. महाराष्ट्र एटीएस से जांच का जिम्मा संभालने वाली एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट की आईएमए प्रमुख को हिदायत, 'माफीनामा हर उस अखबार में हो, जिसमें इंटरव्यू छपा था'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार समीर कुलकर्णी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. महाराष्ट्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी दे दी है. नासिक जिले के मालेगांव शहर में मोटरसाइकिल पर बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 लोग घायल हो गए थे.

इस मामले पर जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने कुलकर्णी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा कि अदालत बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है. इससे पहले हाई कोर्ट ने भी कुलकर्णी की याचिका खारिज कर दी थी.

कुलकर्णी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने यूएपीए की धारा 45(2) के तहत मंजूरी नहीं ली है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पृष्ठभूमि के खिलाफ यूएपीए के तहत आरोपों को बरकरार नहीं रखा जा सकता है. पीठ ने कहा, "हमें आरोपित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला."

पीठ का हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार
दीवान ने तर्क दिया कि जब मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपा गया था तो केंद्र सरकार की मंजूरी होनी चाहिए थी. हालांकि, पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. इससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत के समक्ष कुलकर्णी के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई वैध मंजूरी का अभाव
2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के आरोपियों में से एक कुलकर्णी ने मुंबई की विशेष एनआईए अदालत में मुकदमे को चुनौती देते हुए कहा कि इसमें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 45 के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई वैध मंजूरी का अभाव है.

मामले में साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट
कुलकर्णी ने तर्क दिया कि उनका मामला राज्य सरकार या केंद्र सरकार से अभियोजन के लिए कोई वैध पूर्व अनुमति नहीं होने के कारण मुकदमा आगे नहीं बढ़ सकता. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को उसी साल विस्फोट की साजिश के लिए नौ अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. महाराष्ट्र एटीएस से जांच का जिम्मा संभालने वाली एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी.

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