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लिथियम बैटरी निर्माण में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, कोरबा में खनन की तैयारी शुरू - LITHIUM BATTERY MANUFACTURING

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 28, 2024, 2:28 PM IST

Updated : Aug 13, 2024, 3:28 PM IST

LITHIUM BATTERY MANUFACTURING छत्तीसगढ़ का कोरबा देश के उन चुनिंदा स्थानों में शामिल है, जहां लिथियम के भंडार मिले हैं. केंद्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग नीति के तहत मैकी साउथ नामक कंपनी ने सबसे अधिक बोली लगाकर कोरबा में मौजूद लिथियम ब्लॉक को खरीद लिया है. लिथियम का भंडार कटघोरा क्षेत्र के घुंचापुर और आसपास के इलाकों में मिला है. अब जल्द ही इसके उत्खनन की तैयारी है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि लिथियम आखिर है क्या? विश्व स्तर पर क्यों इसकी इतनी अधिक डिमांड है?LITHIUM BLOCK MINING IN KORBA

PREPARATIONS FOR LITHIUM MINING in korba
कोरबा में लिथियम खनन की तैयारी शुरू (ETV Bharat Chhattisgarh)
लिथियम से पर्यावरण पर कितना पड़ेगा प्रभाव (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा में देश का सबसे बड़ा लिथियम ब्लॉक मिला है. मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (MSMPL) ने सबसे ऊंची बोला लगाकर नीलामी में भारत का पहला लिथियम ब्लॉक खरीद लिया है. कंपनी को यह कोरबा का 76.05 प्रतिशत लीथियम ब्लॉक की नीलामी प्रीमियम पर दिया गया है. कंपनी ने नीलामी में लिथियम ब्लॉक को खरीदने के बाद अब इसके उत्खनन की तैयारी शुरु कर दी है.

लिथियम क्या है ? : कमला नेहरू महाविद्यालय में केमिस्ट्री की सहायक अध्यापक स्वप्नील जयसवाल ने लिथियम के विषय में विस्तृत जानकारी दी. स्वप्निल जयसवाल ने बताया, "केमिस्ट्री के नजरिये से देखा जाए तो लिथियम एक अल्कलाइन एलिमेंट है. यह एक क्षारीय धातु है. यह देखने में काफी चमकीला होता है. प्योर व्हाइट तो नहीं होता, लेकिन कुछ-कुछ सफेद रंग का होता है. यह काफी हल्का भी होता है. इसका घनत्व काफी कम होता है."

"ऐसे धातु की प्रकृति होती है कि वह बहुत क्रियाशील धातु होते हैं. इसलिए इसे हम सोडियम की तरह ही मिट्टी तेल में डुबा कर रखते हैं. अन्यथा पर्यावरण में जो ऑक्सीजन है, उसके साथ रिएक्ट होने के बाद आग पकड़ने का भी खतरा रहता है. इसलिए लिथियम को काफी सुरक्षित तरीके से हैंडल किया जाता है." - स्वप्निल जयसवाल, सहायक अध्यापक, कमला नेहरू महाविद्यालय, कोरबा

किस काम आता है लिथियम ? : सहायक प्राध्यापक स्वप्निल जायसवाल ने आगे बताया, "आजकल हम आधुनिक समाज में जी रहे हैं. हम काफी सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं. उनमें से ज्यादातर गैजेट्स बैटरी से ऑपरेट होते हैं. इन सभी की बैटरी में लिथियम का ही इस्तेमाल होता है. फिर चाहे वह लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैब्लेट हो या एलईडी लाइट. इस तरह के सभी उत्पादों में लिथियम का इस्तेमाल होता है. लिथियम आयन के बैटरी की एक खामी भी है कि 500 डिस्चार्ज के बाद उसकी कार्य क्षमता 25 से 30 फीसदी तक काम हो जाती है."

लिथियम का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव : स्वप्निल जायसवाल के मुताबिक, "वैसे तो यह बेहद गर्व का विषय है कि हमारे जिले में लिथियम की मौजूदगी है. लेकिन लिथियम की माइंस जहां पर खोली जा रही है, वहां इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि लिथियम का विषाक्त असर फ्लोरा और फौना यानी पेड़ पौधे और जानवर दोनों पर ही पड़ता है. इसके दुष्प्रभाव से पर्यावरण को बचाने के लिए कई मापदंडों का भी पालन करना होगा. पूरे इलाके में सुनियोजित और योजना बद्ध तरीके से काम करना होगा. खनन से जिन बाय प्रोडक्ट का निर्माण होगा, उसे भी बेहतर तरीके से रि-सायकल करना होगा."

मानव शरीर में लिथियम पर रिसर्च के खुलेंगे रास्ते : एक जानकारी यह भी है कि हमारे शरीर में लिथियम एक माइक्रोन्यूट्रिएंट भी होता है. अनाज, टमाटर, आलू में लिथियम पाया जाता है. लेकिन यह एक निश्चित मात्रा में ही होता है. इसी निश्चित मात्रा में ही हमें लिथियम की जरूरत होती है. जरूरत से ज्यादा लिथियम होने पर यह हानिकारक होता है. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी हमें काफी अवसर मिलेंगे. पीएचडी करने के लिए भी यह एक अच्छा विषय हो सकता है. रिसर्च जनरल में जो लेख प्रकाशित होते हैं, उसके लिए भी यह एक अच्छा विषय है. लिथियम का जो इफ़ेक्ट होगा, जो उसका प्रभाव पर्यावरण पर पड़ेगा, इसे लेकर के रिसर्च किया जा सकता है. इसमें कई तरह के अवसर रिसर्च करने वाले स्कॉलर्स को प्राप्त होंगे.

256 हेक्टेयर में फैला है लिथियम का भंडार : केंद्रीय खान मंत्रालय ने रणनीतिक खनिजों (Critical and Strategic Minerals) को नीलामी प्रक्रिया के तहत देशभर में स्थित 20 मिनरल्य ब्लॉक्स के लिए बोली बुलाई थी. इसमें कटघोरा-घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) भी सम्मिलित था. जिसे बोली के बाद मैकी साउथ ने हासिल किया.सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है. कटघोरा- घुचापुर में 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है इसमें 84.86 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड है.

स्वदेशी बैटरी के निर्माण को मिलेगी रफ्तार : लिथियम के स्रोत मिलने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा. नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है, जिसमें भारत में बैटरी की गीगा फैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी. भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है. दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है. वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

देश का पहला लिथियम ब्लॉक मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम, कोरबा में मिला है खजाना - Maiki South Mining Private Limited
छत्तीसगढ़ में यूरेनियम की खोज, कोसगाई का पांच वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आरक्षित - Uranium
रासायनिक खाद के भरोसे किसान, लगातार बढ़ रही खपत, पर्यावरण के साथ इंसानों पर भी मंडरा रहा खतरा - chemical fertilizers

लिथियम से पर्यावरण पर कितना पड़ेगा प्रभाव (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा में देश का सबसे बड़ा लिथियम ब्लॉक मिला है. मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (MSMPL) ने सबसे ऊंची बोला लगाकर नीलामी में भारत का पहला लिथियम ब्लॉक खरीद लिया है. कंपनी को यह कोरबा का 76.05 प्रतिशत लीथियम ब्लॉक की नीलामी प्रीमियम पर दिया गया है. कंपनी ने नीलामी में लिथियम ब्लॉक को खरीदने के बाद अब इसके उत्खनन की तैयारी शुरु कर दी है.

लिथियम क्या है ? : कमला नेहरू महाविद्यालय में केमिस्ट्री की सहायक अध्यापक स्वप्नील जयसवाल ने लिथियम के विषय में विस्तृत जानकारी दी. स्वप्निल जयसवाल ने बताया, "केमिस्ट्री के नजरिये से देखा जाए तो लिथियम एक अल्कलाइन एलिमेंट है. यह एक क्षारीय धातु है. यह देखने में काफी चमकीला होता है. प्योर व्हाइट तो नहीं होता, लेकिन कुछ-कुछ सफेद रंग का होता है. यह काफी हल्का भी होता है. इसका घनत्व काफी कम होता है."

"ऐसे धातु की प्रकृति होती है कि वह बहुत क्रियाशील धातु होते हैं. इसलिए इसे हम सोडियम की तरह ही मिट्टी तेल में डुबा कर रखते हैं. अन्यथा पर्यावरण में जो ऑक्सीजन है, उसके साथ रिएक्ट होने के बाद आग पकड़ने का भी खतरा रहता है. इसलिए लिथियम को काफी सुरक्षित तरीके से हैंडल किया जाता है." - स्वप्निल जयसवाल, सहायक अध्यापक, कमला नेहरू महाविद्यालय, कोरबा

किस काम आता है लिथियम ? : सहायक प्राध्यापक स्वप्निल जायसवाल ने आगे बताया, "आजकल हम आधुनिक समाज में जी रहे हैं. हम काफी सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं. उनमें से ज्यादातर गैजेट्स बैटरी से ऑपरेट होते हैं. इन सभी की बैटरी में लिथियम का ही इस्तेमाल होता है. फिर चाहे वह लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैब्लेट हो या एलईडी लाइट. इस तरह के सभी उत्पादों में लिथियम का इस्तेमाल होता है. लिथियम आयन के बैटरी की एक खामी भी है कि 500 डिस्चार्ज के बाद उसकी कार्य क्षमता 25 से 30 फीसदी तक काम हो जाती है."

लिथियम का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव : स्वप्निल जायसवाल के मुताबिक, "वैसे तो यह बेहद गर्व का विषय है कि हमारे जिले में लिथियम की मौजूदगी है. लेकिन लिथियम की माइंस जहां पर खोली जा रही है, वहां इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि लिथियम का विषाक्त असर फ्लोरा और फौना यानी पेड़ पौधे और जानवर दोनों पर ही पड़ता है. इसके दुष्प्रभाव से पर्यावरण को बचाने के लिए कई मापदंडों का भी पालन करना होगा. पूरे इलाके में सुनियोजित और योजना बद्ध तरीके से काम करना होगा. खनन से जिन बाय प्रोडक्ट का निर्माण होगा, उसे भी बेहतर तरीके से रि-सायकल करना होगा."

मानव शरीर में लिथियम पर रिसर्च के खुलेंगे रास्ते : एक जानकारी यह भी है कि हमारे शरीर में लिथियम एक माइक्रोन्यूट्रिएंट भी होता है. अनाज, टमाटर, आलू में लिथियम पाया जाता है. लेकिन यह एक निश्चित मात्रा में ही होता है. इसी निश्चित मात्रा में ही हमें लिथियम की जरूरत होती है. जरूरत से ज्यादा लिथियम होने पर यह हानिकारक होता है. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी हमें काफी अवसर मिलेंगे. पीएचडी करने के लिए भी यह एक अच्छा विषय हो सकता है. रिसर्च जनरल में जो लेख प्रकाशित होते हैं, उसके लिए भी यह एक अच्छा विषय है. लिथियम का जो इफ़ेक्ट होगा, जो उसका प्रभाव पर्यावरण पर पड़ेगा, इसे लेकर के रिसर्च किया जा सकता है. इसमें कई तरह के अवसर रिसर्च करने वाले स्कॉलर्स को प्राप्त होंगे.

256 हेक्टेयर में फैला है लिथियम का भंडार : केंद्रीय खान मंत्रालय ने रणनीतिक खनिजों (Critical and Strategic Minerals) को नीलामी प्रक्रिया के तहत देशभर में स्थित 20 मिनरल्य ब्लॉक्स के लिए बोली बुलाई थी. इसमें कटघोरा-घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) भी सम्मिलित था. जिसे बोली के बाद मैकी साउथ ने हासिल किया.सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है. कटघोरा- घुचापुर में 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है इसमें 84.86 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड है.

स्वदेशी बैटरी के निर्माण को मिलेगी रफ्तार : लिथियम के स्रोत मिलने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा. नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है, जिसमें भारत में बैटरी की गीगा फैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी. भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है. दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है. वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

देश का पहला लिथियम ब्लॉक मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम, कोरबा में मिला है खजाना - Maiki South Mining Private Limited
छत्तीसगढ़ में यूरेनियम की खोज, कोसगाई का पांच वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आरक्षित - Uranium
रासायनिक खाद के भरोसे किसान, लगातार बढ़ रही खपत, पर्यावरण के साथ इंसानों पर भी मंडरा रहा खतरा - chemical fertilizers
Last Updated : Aug 13, 2024, 3:28 PM IST
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