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फिर 'फुस्स' हुआ MNS का गुब्बारा, राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने भी नहीं चखा जीत का स्वाद

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में MNS ने फिर से खराब प्रदर्शन किया है. यहां तक कि राज ठाकरे के बेटे अमित भी चुनाव हार गए हैं.

राज ठाकरे
राज ठाकरे (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2024, 4:49 PM IST

मुंबई: राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने एक बार फिर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन किया. पार्टी ने 125 उम्मीदवार मैदान में उतारे, लेकिन अभी तक अपना खाता नहीं खोल पाई है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी माहिम से चुनाव हार गए हैं. वह चचेरे भाई आदित्य के बाद चुनाव लड़ने वाले ठाकरे परिवार के दूसरे सदस्य हैं.

अपने पहले विधानसभा चुनाव में MNS ने 13 सीटें जीतकर अपना बेस्ट प्रदर्शन दर्ज किया था, लेकिन पार्टी 2019 के चुनावों में इस प्रदर्शन को दोहराने में विफल रही और उसे सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही.2014 के लोकसभा चुनावों में MNS का वोट शेयर 2009 के चुनावों मुकाबले 4.1% से गिरकर 1.5% रह गया था.

2019 में घटा वोट प्रतिशत
2009 के विधानसभा चुनावों में MNS को 5.71 फीसदी वोट मिले थे, जो 2014 में घटकर 3.15 प्रतिश और 2019 में 2.25 पर्सेंट रह गया. हालांकि पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे.

वहीं, इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी एमएनएस ने सत्तारूढ़ महायुति का समर्थन किया था, लेकिन 20 नवंबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही है. राज अपनी रैलियों में ठाकरे ने कहा कि राज्य का नेतृत्व पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे बुनियादी मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहा है.

राज ठाकरे ने चुनाव से पहले ठाणे में एक रैली में कहा, "हम उन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ते रहते हैं, जबकि हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की कमी है. दुबई जैसे ग्लोबल सेंट्र की तुलना में ठाणे और मुंबई ने सार्थक प्रगति क्यों नहीं की है."

राज ठाकरे का उद्धव ठाकरे से मतभेद
शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने 2006 में उद्धव ठाकरे के साथ मतभेदों के चलते पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने उसी साल एमएनएश का गठन किया और अपनी पार्टी को हिंदुत्व और मराठी मानुस के एजेंडे पर खड़ा किया.

इस दौरान पार्टी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि इसके कार्यकर्ताओं ने मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासियों को निशाना बनाया. एमएनएस ने 2009 के लोकसभा चुनावों में भी मराठी भाषी वोटर्स को विभाजित करके शिवसेना की उम्मीदों को नुकसान पहुंचाया.

यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव के बाद विदर्भ में BJP की जोरदार वापसी, कांग्रेस को झटका

मुंबई: राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने एक बार फिर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन किया. पार्टी ने 125 उम्मीदवार मैदान में उतारे, लेकिन अभी तक अपना खाता नहीं खोल पाई है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी माहिम से चुनाव हार गए हैं. वह चचेरे भाई आदित्य के बाद चुनाव लड़ने वाले ठाकरे परिवार के दूसरे सदस्य हैं.

अपने पहले विधानसभा चुनाव में MNS ने 13 सीटें जीतकर अपना बेस्ट प्रदर्शन दर्ज किया था, लेकिन पार्टी 2019 के चुनावों में इस प्रदर्शन को दोहराने में विफल रही और उसे सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही.2014 के लोकसभा चुनावों में MNS का वोट शेयर 2009 के चुनावों मुकाबले 4.1% से गिरकर 1.5% रह गया था.

2019 में घटा वोट प्रतिशत
2009 के विधानसभा चुनावों में MNS को 5.71 फीसदी वोट मिले थे, जो 2014 में घटकर 3.15 प्रतिश और 2019 में 2.25 पर्सेंट रह गया. हालांकि पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे.

वहीं, इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी एमएनएस ने सत्तारूढ़ महायुति का समर्थन किया था, लेकिन 20 नवंबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही है. राज अपनी रैलियों में ठाकरे ने कहा कि राज्य का नेतृत्व पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे बुनियादी मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहा है.

राज ठाकरे ने चुनाव से पहले ठाणे में एक रैली में कहा, "हम उन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ते रहते हैं, जबकि हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की कमी है. दुबई जैसे ग्लोबल सेंट्र की तुलना में ठाणे और मुंबई ने सार्थक प्रगति क्यों नहीं की है."

राज ठाकरे का उद्धव ठाकरे से मतभेद
शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने 2006 में उद्धव ठाकरे के साथ मतभेदों के चलते पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने उसी साल एमएनएश का गठन किया और अपनी पार्टी को हिंदुत्व और मराठी मानुस के एजेंडे पर खड़ा किया.

इस दौरान पार्टी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि इसके कार्यकर्ताओं ने मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासियों को निशाना बनाया. एमएनएस ने 2009 के लोकसभा चुनावों में भी मराठी भाषी वोटर्स को विभाजित करके शिवसेना की उम्मीदों को नुकसान पहुंचाया.

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