मुंबई: पुलिस की तरह बैंक अधिकारी भी बार-बार साइबर चोरों से सावधान रहने की अपील करते रहते हैं. ग्राहकों को साइबर अपराध से बचने के लिए मार्गदर्शन करते हुए पोस्टर भी लगाए जाते हैं. लेकिन मुंबई में एक महिला बैंक अधिकारी को ही डरा-धमका कर लाखों रुपये हड़प लिए गए.
कला चौकी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय मोहिते ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि साइबर अपराधियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420 और सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी और 66सी के तहत मामला दर्ज किया गया है. शिकायतकर्ता, परिजाद मछलीवाला (उम्र 48 वर्ष), अपने परिवार के साथ लालबाग में डॉक्टर एसएस राव रोड पर कल्पतरु हैबिटेट बिल्डिंग में रहती हैं.
शिकायतकर्ता पिछले 18 वर्षों से इस स्थान पर रह रही हैं और गोरेगांव में सिटी बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत है. शिकायतकर्ता परीजाद मछलीवाला द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, 22 मार्च को परीजाद ने घर से काम करने का फैसला किया था, क्योंकि उनकी कार्यालय बैठक ऑनलाइन होने वाली थी. कार्यालय की बैठकें सुबह 7.30 बजे से 9.00 बजे तक आयोजित की गईं.
इसके बाद सुबह 9 बजे उनके पास अज्ञात मोबाइल फोन से कॉल आई. परीजाद ने कहा कि जैसे ही मैंने कॉल उठाया, तो कूरियर कंपनी FEDEX की ओर से एक रिकॉर्डेड मैसेज आना शुरू हो गया. उन्होंने कहा कि उन्हें परिजाद के नाम से एक कूरियर मिला था और उसमें कुछ त्रुटियां थीं. उसके बारे में जानने के लिए 1 दबाएं. इसके बाद परीजाद ने 1 नंबर दबाया और माही शर्मा नाम की महिला ने संपर्क किया और कहा कि आपके पार्सल हमारे पास आए हैं और हम उस संबंध में बात करना चाहते हैं.
परीजाद ने उससे पूछा कि 'कौन सा पार्सल? मैंने कोई पार्सल नहीं भेजा है.' शर्मा ने जवाब दिया कि 'हमें एक पार्सल मिला है, जिसे आप ताइवान भेज जा रही थीं और उसमें अवैध चीजें मिलीं हैं.' परीजाद ने पूछा कि 'ये कौन सी चीज़ें हैं?' शर्मा ने कहा कि पार्सल में पांच पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, 140 ग्राम एमडीएमए, कपड़े और एक लैपटॉप था. परीजाद ने शर्मा से कहा कि 'पार्सल और ये सब चीजें मेरी नहीं हैं.'
फिर उसने मुझे बताया कि पार्सल के लिए मेरे आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया था. शिकायतकर्ता परीजाद से उनका आधार नंबर मांगा गया, लेकिन उन्होंने सुरक्षा कारणों से नहीं दिया. तब परीजाद ने उससे पूछा, इन सब वस्तुओं का जो मेरी नहीं हैं मैं क्या करूंगी? उसने मुझे बताया कि आपके आधार कार्ड का अवैध रूप से उपयोग किया गया है. आप मुंबई क्राइम ब्रांच से बात कर सकते हैं.
यह कॉल उन्हें ट्रांसफर की जा सकती है. परीजाद के सहमत होने के बाद, शर्मा ने कॉल ट्रांसफर कर दी और कॉल करने वाला व्यक्ति सब-इंस्पेक्टर विक्रम सिंह था. जब परीजाद ने उन्हें सारी जानकारी दी तो उन्होंने उनसे कहा कि वे उन्हें गैरकानूनी काम करने के आरोप में गिरफ्तार कर लेंगे. इसके बाद परीजाद डर गईं. इसके बाद फर्जी क्राइम ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर ने परीजाद को अपने लैपटॉप पर स्काइप ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा.
इसके मुताबिक, जब परीजाद सुबह करीब 10.14 बजे अपने लैपटॉप पर स्काइप डाउनलोड कर रही थीं, तभी कॉल कट हो गई और एक अन्य अज्ञात मोबाइल नंबर से कॉल आई. वह भी सब-इंस्पेक्टर बनकर बोल रही थी. उसने परीजाद को स्काइप पर कुछ नंबर टाइप करने को कहा और जैसे ही उसने नंबर टाइप किया, मुंबई क्राइम ब्रांच नाम का एक चैटबॉक्स खुल गया.
शिकायतकर्ता को अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखने के लिए कहा गया. इसके बाद कॉल कट गई और स्काइप पर मुंबई क्राइम ब्रांच से कॉल आई. ये कॉल एक वीडियो कॉल थी. शिकायतकर्ता ने कहा कि मेरे सामने वाले व्यक्ति ने कहा कि वे अपना कैमरा चालू नहीं करेंगे, क्योंकि वे जांच प्रणाली के माध्यम से बात कर रहे थे. फिर बातचीत शुरू हुई और उन्होंने परीजाद से अपना आधार कार्ड, फोटो, साथ ही एचएसबीसी और एचडीएफसी बैंकों और म्यूचुअल फंड की सारी जानकारी मांगी.
इसी तरह, उन्होंने उनसे यह जांचने के लिए 4 लाख 53 हजार 342 रुपये भेजने को कहा कि आधार कार्ड का इस्तेमाल कहीं और अवैध उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है या नहीं. क्राइम ब्रांच की ओर से बोलने वाले एक व्यक्ति ने कहा, जांच पूरी होने के 30 मिनट बाद पैसा बैंक खाते में वापस आ जाएगा. इस तरह साइबर चोरों ने महिला बैंक अधिकारी को लाखों का चूना लगा दिया.