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बिटकॉइन स्कैम: दो पुराने केस की जांच, एक्स्पर्ट ही बना आरोपी, जानें पूरा मामला

पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्रनाथ पाटिल ने सुप्रिया सुले और नाना पटोले पर चुनाव अभियान के लिए बिटकॉइन की आय इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.

नाना पटोले और सुप्रिया सुले
नाना पटोले और सुप्रिया सुले (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 21, 2024, 5:19 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मतदान से कुछ घंटे पहले ही एक बड़ा राजनीतिक विवाद उस समय सामने आया, जब पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्रनाथ पाटिल ने दावा किया कि उनके पास एनसीपी (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की कथित तौर पर वॉयस रिकॉर्डिंग है. उन्होंने आरोप लगाया कि क्रिप्टोकरेंसी पोंजी स्कीम की जांच में पुणे पुलिस द्वारा जब्त किए गए बिटकॉइन से बदले गए कैश का इस्तेमाल चुनाव अभियान के लिए किया गया था.

वहीं, सुले और पटोले दोनों ने आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें निराधार बताया और मामले की जांच की मांग की. गौरतलब है कि राज्य में बीजेपी खुद वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े से जुड़े कैश फॉर वोट के आरोपों में उलझी हुई है. इस विवाद के केंद्र में पुणे पुलिस द्वारा की गई दो क्रिप्टोकरेंसी जांचें हैं. पहला पोंजी स्कीम और दूसरी 2022 बिटकॉइन हेराफेरी मामले को लेकर.

द इंडियन एक्प्रेस के मुताबिक पोंजी स्कीम में पाटिल ने 2018 में विशेषज्ञ फोरेंसिक ऑडिटर के रूप में काम किया था, जबकि 2022 बिटकॉइन हेराफेरी केस में पाटिल पर खुद पोंजी स्कीम जांच के दौरान जब्त किए गए बिटकॉइन के गबन का आरोप लगाया गया था.

क्रिप्टोकरेंसी पोंजी स्कीम क्या थी?
पुणे पुलिस के साइबर क्राइम सेल की एक विशेष जांच टीम (SIT) ने 2018 में रजिस्टर्ड एक क्रिप्टोकरेंसी पोंजी स्कीम से जुड़े दो अपराधों की जांच की, जिसके केंद्र में GainBitcoin नाम की एक कंपनी और उसके सहयोगी थे. ये दो अपराध GainBitcoin और उसके सहयोगियों के खिलाफ पूरे भारत में दर्ज किए गए करीब 40 मामलों में शामिल थे.

मामले में पुणे पुलिस ने कुल 17 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि इस घोटाले के मास्टरमाइंड अजय भारद्वाज और अब मृतक अमित भारद्वाज थे. दोनो भाइयों और उनके सह-आरोपियों पर उनकी कई कंपनियों के माध्यम से, क्रिप्टोकरेंसी निवेश पर हाई रिटर्न का वादा करके पूरे भारत में हजारों लोगों को धोखा देने का आरोप था.

दोनों भाइयों पर पूरे भारत में कई मामलों में केस दर्ज किया गया था और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगाए थे. अमित की 2022 में मौत हो गई, लेकिन अजय को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.

फरवरी 2024 के एक बयान में ईडी ने कहा था कि आरोपियों ने भोली-भाली जनता से बिटकॉइन (2017 में 6,600 करोड़ रुपये मूल्य) के रूप में भारी मात्रा में धन एकत्र किया था, जिसमें उन्हें हर महीने 10 बिटकॉइन देने का झूठा वादा किया गया था.

केंद्रीय एजेंसी ने कहा था, "इकठ्ठा किए गए बिटकॉइन का उपयोग बिटकॉइन माइनिंग के लिए किया जाना था और निवेशकों को भारी रिटर्न मिलना था, लेकिन प्रमोटरों ने निवेशकों को धोखा दिया और गलत तरीके से प्राप्त बिटकॉइन को ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया."

2022 बिटकॉइन हेराफेरी मामला
पुणे पुलिस द्वारा जांचे गए 2018 के मामले में शिकायतकर्ताओं में से एक ने बाद में महाराष्ट्र के आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) के कार्यालय से संपर्क किया और जांच में शामिल साइबर एक्स्पर्ट पर गलत काम करने का आरोप लगाया, जिसमें आईपीएस अधिकारी से फोरेंसिक ऑडिटर बने रवींद्रनाथ पाटिल और साइबर क्राइम एक्स्पर्ट पंकज घोडे शामिल हैं.

दोनों ने 2018 की एसआईटी में पुणे पुलिस की सहायता की. हालांकि, पुणे पुलिस को साइबर विशेषज्ञों के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला. इसके बाद ईओडब्ल्यू ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया और नए सिरे से जांच की मांग की.

नई जांच के बाद पुणे पुलिस ने दावा किया कि घोडे और पाटिल ने 2018 के मामले में आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए वॉलेट से क्रिप्टोकरेंसी का एक बड़ा हिस्सा अपने और अपने साथियों के वॉलेट में डायवर्ट किया था. उन पर क्रिप्टोकरेंसी को डायवर्ट करने के लिए ब्लॉकचेन वॉलेट के जाली स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल करने का आरोप है.

मार्च 2022 में पुणे पुलिस ने 2018 की जांच के दौरान बिटकॉइन की हेराफेरी के आरोप में पाटिल और घोडे को गिरफ्तार किया. हालांकि, पाटिल को 14 महीने बाद मई 2023 में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

रवींद्रनाथ पाटिल कौन हैं?
इस समय विवाद के केंद्र में 2004 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी पाटिल हैं. 2010 में पेल्विक फ्रैक्चर के बाद उन्होंने मेडिकल आधार पर सरकारी सर्विस छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने साइबर एक्स्पर्ट के तौर पर ग्लोबल अकाउंटिंग प्रमुख KPMG के लिए काम करना शुरू कर दिया. 2018 में जब पुणे पुलिस ने करोड़ों रुपये की बिटकॉइन पोंजी स्कीम की जांच की, तो केपीएमजी को फॉरेंसिक ऑडिट के लिए नियुक्त किया गया और पाटिल इस मामले के मुख्य जांचकर्ता थे.

सुप्रिया सुले और नाना पटोले पर आरोप
इस बीच रवींद्रनाथ पाटिल ने एनसीपी (शरद पवार) नेता सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले पर बिटकॉइन घोटाले की आय का इस्तेमाल चुनाव के लिए करने का आरोप लगाया है. पाटिल ने दावा किया कि 17 नवंबर को 2022 के मामले में विशेषज्ञ गवाह गौरव मेहता ने उनसे संपर्क किया था.

मेहता ने उन्हें बताया कि पोंजी स्कीम की जांच में जब्त किए गए हार्डवेयर बिटकॉइन वॉलेट को 2018 में तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने वापस स्वैप कर दिया था. मेहता ने कहा कि अमिताभ गुप्ता (सितंबर 2020 और दिसंबर 2022 के बीच पुणे के पुलिस कमिश्नर) के निर्देशों के आधार पर, वह दुबई और अन्य जगहों पर बिटकॉइन बेच रहा था और लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान सुप्रिया सुले और नाना पटोले को पैसे दे रहा था.

इसी घटनाक्रम को लेकर पीटीआई ने बताया कि ताजा आरोपों के सामने आने के बाद बुधवार को ईडी ने मेहता पर कार्रवाई की. ईडी ने उनके रायपुर स्थित आवास पर छापेमारी की. पाटिल ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर चुनाव आयोग को भी लिखा है और वह मामले में जनहित याचिका दायर कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- बिटकॉइन घोटाला: BJP ने लपका मौका, आमने-सामने सुप्रिया सुले और अजित पवार

मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मतदान से कुछ घंटे पहले ही एक बड़ा राजनीतिक विवाद उस समय सामने आया, जब पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्रनाथ पाटिल ने दावा किया कि उनके पास एनसीपी (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की कथित तौर पर वॉयस रिकॉर्डिंग है. उन्होंने आरोप लगाया कि क्रिप्टोकरेंसी पोंजी स्कीम की जांच में पुणे पुलिस द्वारा जब्त किए गए बिटकॉइन से बदले गए कैश का इस्तेमाल चुनाव अभियान के लिए किया गया था.

वहीं, सुले और पटोले दोनों ने आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें निराधार बताया और मामले की जांच की मांग की. गौरतलब है कि राज्य में बीजेपी खुद वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े से जुड़े कैश फॉर वोट के आरोपों में उलझी हुई है. इस विवाद के केंद्र में पुणे पुलिस द्वारा की गई दो क्रिप्टोकरेंसी जांचें हैं. पहला पोंजी स्कीम और दूसरी 2022 बिटकॉइन हेराफेरी मामले को लेकर.

द इंडियन एक्प्रेस के मुताबिक पोंजी स्कीम में पाटिल ने 2018 में विशेषज्ञ फोरेंसिक ऑडिटर के रूप में काम किया था, जबकि 2022 बिटकॉइन हेराफेरी केस में पाटिल पर खुद पोंजी स्कीम जांच के दौरान जब्त किए गए बिटकॉइन के गबन का आरोप लगाया गया था.

क्रिप्टोकरेंसी पोंजी स्कीम क्या थी?
पुणे पुलिस के साइबर क्राइम सेल की एक विशेष जांच टीम (SIT) ने 2018 में रजिस्टर्ड एक क्रिप्टोकरेंसी पोंजी स्कीम से जुड़े दो अपराधों की जांच की, जिसके केंद्र में GainBitcoin नाम की एक कंपनी और उसके सहयोगी थे. ये दो अपराध GainBitcoin और उसके सहयोगियों के खिलाफ पूरे भारत में दर्ज किए गए करीब 40 मामलों में शामिल थे.

मामले में पुणे पुलिस ने कुल 17 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि इस घोटाले के मास्टरमाइंड अजय भारद्वाज और अब मृतक अमित भारद्वाज थे. दोनो भाइयों और उनके सह-आरोपियों पर उनकी कई कंपनियों के माध्यम से, क्रिप्टोकरेंसी निवेश पर हाई रिटर्न का वादा करके पूरे भारत में हजारों लोगों को धोखा देने का आरोप था.

दोनों भाइयों पर पूरे भारत में कई मामलों में केस दर्ज किया गया था और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगाए थे. अमित की 2022 में मौत हो गई, लेकिन अजय को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.

फरवरी 2024 के एक बयान में ईडी ने कहा था कि आरोपियों ने भोली-भाली जनता से बिटकॉइन (2017 में 6,600 करोड़ रुपये मूल्य) के रूप में भारी मात्रा में धन एकत्र किया था, जिसमें उन्हें हर महीने 10 बिटकॉइन देने का झूठा वादा किया गया था.

केंद्रीय एजेंसी ने कहा था, "इकठ्ठा किए गए बिटकॉइन का उपयोग बिटकॉइन माइनिंग के लिए किया जाना था और निवेशकों को भारी रिटर्न मिलना था, लेकिन प्रमोटरों ने निवेशकों को धोखा दिया और गलत तरीके से प्राप्त बिटकॉइन को ऑनलाइन वॉलेट में छिपा दिया."

2022 बिटकॉइन हेराफेरी मामला
पुणे पुलिस द्वारा जांचे गए 2018 के मामले में शिकायतकर्ताओं में से एक ने बाद में महाराष्ट्र के आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) के कार्यालय से संपर्क किया और जांच में शामिल साइबर एक्स्पर्ट पर गलत काम करने का आरोप लगाया, जिसमें आईपीएस अधिकारी से फोरेंसिक ऑडिटर बने रवींद्रनाथ पाटिल और साइबर क्राइम एक्स्पर्ट पंकज घोडे शामिल हैं.

दोनों ने 2018 की एसआईटी में पुणे पुलिस की सहायता की. हालांकि, पुणे पुलिस को साइबर विशेषज्ञों के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला. इसके बाद ईओडब्ल्यू ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया और नए सिरे से जांच की मांग की.

नई जांच के बाद पुणे पुलिस ने दावा किया कि घोडे और पाटिल ने 2018 के मामले में आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए वॉलेट से क्रिप्टोकरेंसी का एक बड़ा हिस्सा अपने और अपने साथियों के वॉलेट में डायवर्ट किया था. उन पर क्रिप्टोकरेंसी को डायवर्ट करने के लिए ब्लॉकचेन वॉलेट के जाली स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल करने का आरोप है.

मार्च 2022 में पुणे पुलिस ने 2018 की जांच के दौरान बिटकॉइन की हेराफेरी के आरोप में पाटिल और घोडे को गिरफ्तार किया. हालांकि, पाटिल को 14 महीने बाद मई 2023 में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

रवींद्रनाथ पाटिल कौन हैं?
इस समय विवाद के केंद्र में 2004 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी पाटिल हैं. 2010 में पेल्विक फ्रैक्चर के बाद उन्होंने मेडिकल आधार पर सरकारी सर्विस छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने साइबर एक्स्पर्ट के तौर पर ग्लोबल अकाउंटिंग प्रमुख KPMG के लिए काम करना शुरू कर दिया. 2018 में जब पुणे पुलिस ने करोड़ों रुपये की बिटकॉइन पोंजी स्कीम की जांच की, तो केपीएमजी को फॉरेंसिक ऑडिट के लिए नियुक्त किया गया और पाटिल इस मामले के मुख्य जांचकर्ता थे.

सुप्रिया सुले और नाना पटोले पर आरोप
इस बीच रवींद्रनाथ पाटिल ने एनसीपी (शरद पवार) नेता सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले पर बिटकॉइन घोटाले की आय का इस्तेमाल चुनाव के लिए करने का आरोप लगाया है. पाटिल ने दावा किया कि 17 नवंबर को 2022 के मामले में विशेषज्ञ गवाह गौरव मेहता ने उनसे संपर्क किया था.

मेहता ने उन्हें बताया कि पोंजी स्कीम की जांच में जब्त किए गए हार्डवेयर बिटकॉइन वॉलेट को 2018 में तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने वापस स्वैप कर दिया था. मेहता ने कहा कि अमिताभ गुप्ता (सितंबर 2020 और दिसंबर 2022 के बीच पुणे के पुलिस कमिश्नर) के निर्देशों के आधार पर, वह दुबई और अन्य जगहों पर बिटकॉइन बेच रहा था और लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान सुप्रिया सुले और नाना पटोले को पैसे दे रहा था.

इसी घटनाक्रम को लेकर पीटीआई ने बताया कि ताजा आरोपों के सामने आने के बाद बुधवार को ईडी ने मेहता पर कार्रवाई की. ईडी ने उनके रायपुर स्थित आवास पर छापेमारी की. पाटिल ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर चुनाव आयोग को भी लिखा है और वह मामले में जनहित याचिका दायर कर सकते हैं.

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