बारामती: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अभी भी रस्साकसी जारी है. नामांकन प्रकिया समाप्त हो चुकी है, लेकिन सीटों पर सहमति नहीं बन पाई है. बता दें, एनसीपी अजित गुट ने मानखुर्द शिवाजीनगर से नवाब मलिक को टिकट दिया है. बीजेपी लगातार इसका विरोध कर रही है. महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए चुनाव 13 नवंबर को होंगे और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि नवाब मलिक का संबंध अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से है, इसलिए इनका समर्थन नहीं किया जाएगा. वहीं, राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि 4 नवंबर तक सारे मामले सुलझा लिए जाएंगे. अजित पवार आज शुक्रवार को मलाड में चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं. यह सारी बातें वहां जाने से पहले उन्होंने कहीं. 28 अक्टूबर को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख ने बारामती विधानसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया है. उनके भतीजे और शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार इसी सीट से उनके विरोध में चुनाव लड़ रहे हैं.
एनसीपी नेता और मानखुर्द शिवाजी नगर से उम्मीदवार नवाब मलिक के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि 4 नवंबर तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सा उम्मीदवार किस सीट से चुनाव लड़ेगा. इससे पहले गुरुवार को मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार ने कहा कि एनसीपी प्रमुख अजित पवार को नवाब मलिक को टिकट नहीं देना चाहिए था. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कई लोग ऐसा सोचते हैं. उनके खिलाफ गंभीर आरोप और चार्जशीट महाराष्ट्र को स्वीकार्य नहीं है.
भाजपा ने नवाब मलिक को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. महाराष्ट्र दाऊद जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी का विरोध करता है. इसके बावजूद अगर उन्हें टिकट दिया गया है तो भाजपा ऐसे लोगों से नहीं जुड़ सकती. हम इस उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं करेंगे. इसके बजाय हम उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. हालांकि मलिक चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी या शिवसेना शिंदे गुट हमारा विरोध कर रहा है, यह हमारे लिए चिंता की बात नहीं है. हम दोनों विधानसभाओं में भारी अंतर से जीतेंगे.
इस बीच, बारामती सीट के लिए पवार परिवार के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने भतीजे युगेंद्र पवार के खिलाफ मैदान में हैं. अजित पवार लोकसभा चुनाव हार गए थे, जब उनकी बहन सुप्रिया सुले ने इस सीट पर उनकी पत्नी को हराया था. वहीं, सुप्रिया सुले का मानना है कि युगेन्द्र पवार का मनोनयन पार्टी के लिए अच्छी बात है, क्योंकि इससे उन्हें नए विचारों और गहन अनुभवों का संतुलन बनाने में मदद मिलेगी.