प्रयागराज: महंत वशिष्ठ गिरी जिन्हें अब रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से जाना जाता है वे महाकुंभ 2025 में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. जो भी जूना अखाड़े के अंदर प्रवेश करता है उसकी निगाहें सीधे इन्हीं बाबा पर जा टिकती है और वापस मुड़कर बाबा का आशीर्वाद लेकर ही लोग आगे के लिए बढ़ते हैं.
मूलतः उत्तराखंड के केदारनाथ में वास करने वाले रुद्राक्ष वाले बाबा बचपन से ही साधु बनना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने बचपन में ही अपने घर का त्याग कर दिया था. बाबा अपनी नित्य क्रिया पूरी करने के बाद रोजाना यही माला धारण करते हैं. गले से लेकर सिर पर तक रुद्राक्ष ही रुद्राक्ष नजर आते हैं. सवा लाख दानों की रुद्राक्ष की माला पहनने के चलते इनका नाम रुद्राक्ष वाले बाबा ही पड़ गया.
"ईटीवी भारत" से खास बातचीत में रुद्राक्ष वाले बाबा ने बताया कि सवा लाख दानों की यह रुद्राक्ष की मालाएं हैं जिन्हें मैं धारण कर रखा हूं. जब मैं प्रयाग आया था 2013 में तभी से मैंने यह श्रृंगार किया था. मेरे दादा गुरुजी इसे पसंद करते थे. अखाड़े में आया तो दादा गुरु जी ने यह श्रृंगार हमें दिया और कहा बेटा आज से आप यह श्रृंगार करो. मैं तब से ही यह श्रृंगार कर रहा हूं.
बाबा कितनी देर रखते हैं श्रृंगार: रुद्राक्ष वाले बाबा ने बताया कि सुबह नित्य क्रिया और पूजा के बाद वह अपना श्रृंगार धारण करते हैं. सुबह श्रृंगार धारण करने के बाद रात 10 बजे तक ऐसे ही रहता हूं. फिर रात में उतार देता हूं और विश्राम करता हूं. युवाओं में सनातन धर्म के प्रति बढ़ते आकर्षण पर उन्होंने कहा कि सनातन का यह नारा हर घर पहुंचना चाहिए. जैसे हम बल्ब लगाकर उजाला कर रहे हैं, यह आस्था हर घर में गूंजनी चाहिए. यह महाकुंभ इसीलिए हो रहा है.
रुद्राक्ष वाले बाबा का कैसै हुआ नामकरण: रुद्राक्ष वाले बाबा का नामकरण कैसे हुआ? के बारे में बताते हैं कि मेरा नाम पहले महंत वशिष्ठ गिरी था. बाद में दादा गुरु जी ने श्रृंगार दिया. दादा गुरु जी ने ही बोला, आज से तुम रुद्राक्ष वाले बाबा वशिष्ठ गिरी हो, तभी से यह नाम पड़ गया. बाबा अपने सनातनी जीवन के बारे में बताते हैं कि सनातनी को देखकर हमें ऐसा लगा कि हम भी सनातन का प्रचार करें, फिर हमने हरिद्वार में संन्यास लिया. गुरुजी ने हमें सन्यास दिलाया. गुरु जी के सानिध्य में ही मैं रह रहा हूं.
महाकुंभ 2025 की व्यवस्थाओं पर क्या बोले रुद्राक्ष वाले बाबा: महाकुंभ 2025 की व्यवस्थाओं पर बोले, अबकी बार बहुत अच्छी दिव्य और भव्य व्यवस्था की गई है. इतनी व्यवस्था हमारे पहले कुंभ 2013 में नहीं हुई थी. इस महाकुंभ में विशेष व्यवस्था की गई है. साधु संन्यासी और महात्माओं के साथ ही भक्तों के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है. बाबा अपने रहन-सहन के बारे में कहते हैं, मैं मंदिरों में इसी वेश में जाता हूं. केदारनाथ में मैं गुरु जी के साथ रहता हूं. वहां भी ऐसे ही श्रृंगार करके रखता हूं.
बाबा क्यों कहते हैं, मुसलमानों से डरना नहीं: बाबा कहते हैं कि मानव धर्म पहले भी था आज भी है, आगे भी रहेगा. यदि हम मानव धर्म का योगदान करेंगे तो आगे भी चलेगा. यह हिंदू मुस्लिम की लड़ाई तो होती ही रहती है. इनसे हम डरेंगे तो भारत गुलाम हो जाएगा. मुसलमानों से बिल्कुल नहीं डरना है. वह भी एक इंसान हैं. हम भी इंसान हैं. पहली बात तो भगवान ने कोई जाति नहीं बनाई. हमारे गुरु जी ने बताया भगवान के पास से कोई जात-पात बनकर नहीं आई. हम जात और पात में यहीं बंटें हैं.
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