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तीन दशक में नाना और दादा के नाम को मुख्तार अंसारी ने किया दागदार, जानिए कैसे बना माफिया? - mukhtar ansari death

यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत हो गई है. आइए जानते हैं कि मुख्तार अंसारी के माफिया बनने की कहानी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 28, 2024, 10:45 PM IST

Updated : Mar 28, 2024, 11:04 PM IST

लखनऊ: देश की अलग-अलग जेलों में 19 वर्षों से बंद यूपी का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात मौत हो गई. बांदा जेल में देर रात मुख्तार को हार्ट अटैक आने के बाद मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई. दो दिन पहले भी मुख्तार की तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था. माफिया का भाई अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी ने जेल में हत्या करने की साजिश लगा चुके थे. आइए जानते हैं कि नेता से माफिया कैसे बना?

कौन है मुख्तार अंसारी

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को मुख्तार अंसारी ने सुबहानउल्लाह अंसारी और बेगम राबिया के घर जन्म लिया था. मुख्तार ने जिस परिवार में जन्म लिया, उसकी पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक की रही है. मुख्तार के दादा मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे और महात्मा गांधी के साथ काम करते हुए वर्ष 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख्तार के दादा के नाम से दिल्ली की एक रोड का नाम भी है. इसके अलावा मुख्तार कि मां भी देश के नामचीन खानदान से ताल्लुक रखती है. माफिया डॉन के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. इतना ही नहीं देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं. मुख्तार अंसारी के दो अन्य भाई सिबगतुल्लाह अंसारी और अफजाल अंसारी भी राजनीति में सक्रिय हैं.

नवशेरा युद्ध के नायक थे मुख्तार के नाना

मुख्तार अंसारी भले ही उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया रहा हो, जिसने जब भी बन्दूक उठाई प्रदेश का माहौल खराब किया. कभी किसी की हत्या तो कभी दंगे करना मानों मुख्तार के लिए शौक बन गया था. लेकिन उसके नाना ने बन्दूक देश की रक्षा के लिए उठाई थी. महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार अंसारी के नाना ने वर्ष 1947 के युद्ध में भारतीय सेना कि ओर से लड़ते हुए नवशेरा की जंग में हिंदुस्तान को जीत दिलाई. हालांकि दुश्मनों की गोली अपने सीने में खाते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे.

बेटे ने किया था देश का नाम रोशन

बीते 19 वर्षों से देश की अलग अलग जेलों में बंद मुख्तार के पहली की पीढ़ी ने ही नहीं बल्कि उसके बेटे भी अपने खानदान कि इज्जत को बनाए रखने और अपने माफिया पिता से अलग छवि बनाने की पुरजोर कोशिश में था. मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है. इतना ही नहीं दुनिया के टॉप टेन शूटरों में एक अब्बास नेशनल चैंपियन रहने के साथ साथ दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुका है. हालांकि वह अपने माफिया पिता की परछाई से अधिक समय के लिए दूर नहीं रह सका और पिस्टल के शौक ने उसे अपराधी बना दिया और अब वह विधायक होकर भी अपने पिता के कर्मों की सजा भुगत रहा है.

पहली बार कम्युनिस्ट पार्टी से लड़ा था चुनाव

दादा स्वतंत्रता संग्रामी थे तो उन्ही की नक्शे कदम पर मुख्तार के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी भी चले और कम्यूनिस्ट नेता होते हुए अपनी साफ छवि के चलते वर्ष 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था. मुख्तार अपने भाई अफजाल अंसारी की ही तरह राजनीति में एंट्री लेना चाहता था. लिहाजा मुख्तार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राजनीति में एंट्री ली थी. वर्ष 1995 में हुए उपचुनाव में गाजीपुर सदर विधानसभा सीट पर मुख्तार ने जेल में रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा . वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी ने वर्ष 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की थी. वर्ष 2007, 2012 और 2017 का चुनाव मुख्तार ने जेल में रहते जीता था. वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव से ठीक पहले मुख्तार ने चुनाव न लड़ने की घोषणा की और अपने बेटे अब्बास अंसारी को राजनीति की विरासत सौंप दी थी.

योगी सरकार ने ध्वस्त किया मुख्तार का किला

वर्ष 2005 से जेल में बंद कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कुल 63 व दिल्ली और पंजाब में 1-1 मुकदमें दर्ज है. जिसमें 21 ऐसे मुकदमे हैं, जो कोर्ट में विचाराधीन है. अब तक 8 मामलों में माफिया को सजा सुनाई जा चुकी है. माफिया के 282 गुर्गों पर यूपी पुलिस कार्रवाई कर चुकी है. जिसमें कुल 143 मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. मुख्तार के गुर्गों और उसके गैंग ISI191 के 176 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. योगी सरकार की कार्रवाई से दहशत आकर 15 गुर्गों ने सरेंडर भी किया है. 167 असलहों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं तो 66 के खिलाफ गुंडा एक्ट व 126 के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है. योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के 6 गुर्गों पर एनएसए लगाया गया, 70 की हिस्ट्रीशीट खोली गई है तो 40 को जिलाबदर किया गया है. मुख्तार के 5 गुर्गों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार भी गिराया है. योगी सरकार ने मुख्तार और उसके कुनबे की लगभग 5 अरब 72 करोड़ की संपत्ति की को या तो जब्त किया या फिर धवस्त किया है. यही नहीं मुख्तार एंड कंपनी पर हुई कार्रवाई से बंद पड़े उसके अवैध धंधों से कमाए जाने वाले 2 अरब 12 करोड़ का भी नुकसान हुआ है.

पूरे परिवार के खिलाफ दर्ज हैं मुकदमे

माफिया मुख्तार अंसारी व भाई अफजाल अंसारी समेत उसके पूरे परिवार के लोगों के खिलाफ कुल 97 मुकदमे दर्ज हैं. अफजाल अंसारी पर 7 व सिबगतुल्लाह अंसारी पर 3, मुख्तार की पत्नी आफ्शां अंसारी पर 11, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी पर 8, उमर अंसारी पर 6 और अब्बास की पत्नी निखत बानो पर 11 आपराधिक मुकदमा दर्ज है.

लखनऊ: देश की अलग-अलग जेलों में 19 वर्षों से बंद यूपी का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात मौत हो गई. बांदा जेल में देर रात मुख्तार को हार्ट अटैक आने के बाद मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई. दो दिन पहले भी मुख्तार की तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था. माफिया का भाई अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी ने जेल में हत्या करने की साजिश लगा चुके थे. आइए जानते हैं कि नेता से माफिया कैसे बना?

कौन है मुख्तार अंसारी

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को मुख्तार अंसारी ने सुबहानउल्लाह अंसारी और बेगम राबिया के घर जन्म लिया था. मुख्तार ने जिस परिवार में जन्म लिया, उसकी पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक की रही है. मुख्तार के दादा मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे और महात्मा गांधी के साथ काम करते हुए वर्ष 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख्तार के दादा के नाम से दिल्ली की एक रोड का नाम भी है. इसके अलावा मुख्तार कि मां भी देश के नामचीन खानदान से ताल्लुक रखती है. माफिया डॉन के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. इतना ही नहीं देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं. मुख्तार अंसारी के दो अन्य भाई सिबगतुल्लाह अंसारी और अफजाल अंसारी भी राजनीति में सक्रिय हैं.

नवशेरा युद्ध के नायक थे मुख्तार के नाना

मुख्तार अंसारी भले ही उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया रहा हो, जिसने जब भी बन्दूक उठाई प्रदेश का माहौल खराब किया. कभी किसी की हत्या तो कभी दंगे करना मानों मुख्तार के लिए शौक बन गया था. लेकिन उसके नाना ने बन्दूक देश की रक्षा के लिए उठाई थी. महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार अंसारी के नाना ने वर्ष 1947 के युद्ध में भारतीय सेना कि ओर से लड़ते हुए नवशेरा की जंग में हिंदुस्तान को जीत दिलाई. हालांकि दुश्मनों की गोली अपने सीने में खाते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे.

बेटे ने किया था देश का नाम रोशन

बीते 19 वर्षों से देश की अलग अलग जेलों में बंद मुख्तार के पहली की पीढ़ी ने ही नहीं बल्कि उसके बेटे भी अपने खानदान कि इज्जत को बनाए रखने और अपने माफिया पिता से अलग छवि बनाने की पुरजोर कोशिश में था. मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है. इतना ही नहीं दुनिया के टॉप टेन शूटरों में एक अब्बास नेशनल चैंपियन रहने के साथ साथ दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुका है. हालांकि वह अपने माफिया पिता की परछाई से अधिक समय के लिए दूर नहीं रह सका और पिस्टल के शौक ने उसे अपराधी बना दिया और अब वह विधायक होकर भी अपने पिता के कर्मों की सजा भुगत रहा है.

पहली बार कम्युनिस्ट पार्टी से लड़ा था चुनाव

दादा स्वतंत्रता संग्रामी थे तो उन्ही की नक्शे कदम पर मुख्तार के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी भी चले और कम्यूनिस्ट नेता होते हुए अपनी साफ छवि के चलते वर्ष 1971 के नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था. मुख्तार अपने भाई अफजाल अंसारी की ही तरह राजनीति में एंट्री लेना चाहता था. लिहाजा मुख्तार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राजनीति में एंट्री ली थी. वर्ष 1995 में हुए उपचुनाव में गाजीपुर सदर विधानसभा सीट पर मुख्तार ने जेल में रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा . वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी ने वर्ष 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की थी. वर्ष 2007, 2012 और 2017 का चुनाव मुख्तार ने जेल में रहते जीता था. वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव से ठीक पहले मुख्तार ने चुनाव न लड़ने की घोषणा की और अपने बेटे अब्बास अंसारी को राजनीति की विरासत सौंप दी थी.

योगी सरकार ने ध्वस्त किया मुख्तार का किला

वर्ष 2005 से जेल में बंद कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कुल 63 व दिल्ली और पंजाब में 1-1 मुकदमें दर्ज है. जिसमें 21 ऐसे मुकदमे हैं, जो कोर्ट में विचाराधीन है. अब तक 8 मामलों में माफिया को सजा सुनाई जा चुकी है. माफिया के 282 गुर्गों पर यूपी पुलिस कार्रवाई कर चुकी है. जिसमें कुल 143 मुकदमें भी दर्ज किए गए हैं. मुख्तार के गुर्गों और उसके गैंग ISI191 के 176 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. योगी सरकार की कार्रवाई से दहशत आकर 15 गुर्गों ने सरेंडर भी किया है. 167 असलहों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं तो 66 के खिलाफ गुंडा एक्ट व 126 के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है. योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के 6 गुर्गों पर एनएसए लगाया गया, 70 की हिस्ट्रीशीट खोली गई है तो 40 को जिलाबदर किया गया है. मुख्तार के 5 गुर्गों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार भी गिराया है. योगी सरकार ने मुख्तार और उसके कुनबे की लगभग 5 अरब 72 करोड़ की संपत्ति की को या तो जब्त किया या फिर धवस्त किया है. यही नहीं मुख्तार एंड कंपनी पर हुई कार्रवाई से बंद पड़े उसके अवैध धंधों से कमाए जाने वाले 2 अरब 12 करोड़ का भी नुकसान हुआ है.

पूरे परिवार के खिलाफ दर्ज हैं मुकदमे

माफिया मुख्तार अंसारी व भाई अफजाल अंसारी समेत उसके पूरे परिवार के लोगों के खिलाफ कुल 97 मुकदमे दर्ज हैं. अफजाल अंसारी पर 7 व सिबगतुल्लाह अंसारी पर 3, मुख्तार की पत्नी आफ्शां अंसारी पर 11, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी पर 8, उमर अंसारी पर 6 और अब्बास की पत्नी निखत बानो पर 11 आपराधिक मुकदमा दर्ज है.

Last Updated : Mar 28, 2024, 11:04 PM IST
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