चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु के पूर्व मंत्री पी बालकृष्ण रेड्डी की तीन साल की सजा और दोषसिद्धि को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य कमजोर हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत इस कमी पर ध्यान देने में नाकाम रही. जस्टिस जी जयचंद्रन ने पूर्व मंत्री की ओर से दायर अपील पर यह आदेश पारित किया.
इससे पहले निचली अदालत ने बालकृष्ण रेडड्डी को 1998 में कृष्णागिरी जिले के बगलूर में अवैध शराब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगा भड़काकर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी ठहराया गया था.
गंवाना पड़ा था मंत्री पद
7 जनवरी 2019 को ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मामले में दोषी ठहराया था, जिससे उन्हें युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री के रूप में अपना पद गंवाना पड़ा था, क्योंकि तीन साल की कैद की सजा के ऐलान के साथ ही राज्य विधानसभा में उनकी सदस्यता चली गई थी.
साक्ष्यों में कई खामियां
इसके बाद उन्होंने निचली अदालत के इस फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी. सुनवाई के दौरान जस्टिस जयचंद्रन ने कहा, " सबूतों का मूल्यांकन करने पर इस अदालत को अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों में कई खामियां मिली हैं और यह कमियां अभियुक्तों को संदेह का लाभ देती हैं."
ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द किया
जस्टिस जी जयचंद्रन ने विशेष अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा कि पुलिस विभाग की जांच में खामियां थीं, सरकार यह पता नहीं लगा पाई कि प्रदर्शन में कौन शामिल था. साथ ही उनके खिलाफ मिले सबूत भी कमजोर थे. उन्हें कमजोर सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया. इसलिए वह ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हैं.