भोपाल। मध्यप्रदेश से राज्यसभा की खाली हुईं 5 सीटों पर मतदान की नौबत नहीं आई. सभी प्रत्याशी राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हो गए हैं. मंगलवार को रिटर्निंग आफिसर ने इन्हें प्रमाण पत्र सौंपे. बता दें कि बीजेपी ने 14 फरवरी को राज्यसभा प्रत्याशी के नामों की घोषणा की थी. इसी दिन कांग्रेस ने भी अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाया था. प्रत्याशियों ने 15 फरवरी को नामांकन दाखिल किया था. भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के विरोध में कोई भी प्रत्याशी खड़ा नहीं हुआ.
राज्यसभा के सहारे बीजेपी ने साधे जातिगत समीकरण
राज्यसभा के सहारे बीजेपी ने मध्यप्रदेश में जातिगत समीकरण साधे. बीजेपी ने उज्जैन के उमेश नाथ महाराज को प्रत्याशी बनाया. वह वाल्मीकि समाज से आते हैं. उन्होंने छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. उमेशनाथ अपना सर्टिफिकेट लेने बुधवार को विधानसभा पहुंचेंगे.वहीं तमिलनाडु के एल. मुरुगन केंद्रीय मंत्री हैं. उन्हें पहले भी एमपी से ही राज्यसभा भेजा गया. तमिलनाडु में बीजेपी अपनी जड़ें जमाने की कोशिश में है. इसलिए इन्हें फिर से एमपी से राज्यसभा भेजा गया. वहीं बीजेपी ने बंसीलाल गुर्जर को भी प्रत्याशी बनाया. वह किसानों से जुड़े हुए हैं. मंडी सहित स्थानीय निकायों में उनके काम के एवज में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा. वह गुर्जर समाज से आते हैं. वहीं, महिला मोर्चा संगठन से जुड़ी रही ओबीसी नेता नर्मदापुरम की रहने वाली माया नरोलिया को भी राज्यसभा के लिए चुना गया. प्रदेश में 51 फीसदी वोटर ओबीसी हैं.
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कांग्रेस के खाते में एक सीट, अशोक सिंह बने सांसद
कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग को साधने के लिए ग्वालियर के रहने वाले अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाया. बता दें कि लोकसभा चुनाव में लगातार हारने के बाद भी अशोक सिंह ग्वालियर के वजनदार नेता माने जाते हैं. अशोक सिंह 2007 में लोकसभा उपचुनाव में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर उतरे थे. अशोक सिंह को यशोधरा राजे ने चुनाव हराया था. गौरतलब है कि विधायकों की संख्याबल के मुताबिक बीजेपी को चार सीटें मिलनी तय थीं. वहीं वकांग्रेस को एक सीट मिलना पक्का था. इस प्रकार इस चनाव से बीजेपी व कांग्रेस दोनों खुश हैं.