रांची: लोकसभा चुनाव 2024 न सिर्फ सत्तारूढ़ NDA के लिए खास होने वाला है बल्कि अगर झारखंड के लिहाज से कहें तो यह चुनाव राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है.
पॉलिटिकल करियर के हिसाब से मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के लिए लोकसभा चुनाव का नतीजा कितना अहम होगा? इस सवाल पर भाजपा विधायक दल के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी कहते हैं कि सीएम को सीएम मान कौन रहा है? अपनी योग्यता और क्षमता से चम्पाई सोरेन मुख्यमंत्री बने रह पायेंगे, इसकी संभावना बेहद कम है. झामुमो के अंदर ही टाइगर को पालतू टाइगर बनाने की बात कहते हुए अमर बाउरी ने कहा कि जिस तरीके से घरेलू महिला को आगे किया जा रहा है, उसमें साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे नहीं बल्कि सोरेन परिवार का आशीर्वाद से ही सीएम बने रह सकते हैं. जेल में जो फैसला होगा वही फाइनल होगा.
चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में ही चुनाव जीतेंगे- कांग्रेस
राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू ने कहा कि भाजपा के आरोपों पर कोई ध्यान देने की जरूरत नहीं है. क्योंकि मुख्यमंत्री के रूप में चम्पाई सोरेन अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में सीएम पर लोकसभा चुनाव को लेकर जिम्मेदारियां हैं और उसे वह बखूबी निभा भी रहे हैं. जगदीश साहू ने कहा कि लोकसभा चुनाव में INDIA ब्लॉक सभी सीट जीतेगा, इसलिए आगे क्या होगा यह सवाल ही नहीं उठता.
वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद क्या होगा यह काल्पनिक प्रश्न हैं, लेकिन यह तय है कि जिस तरह से चम्पाई सोरेन काम कर रहे हैं वह आगे भी मुख्यमंत्री बनें रहेंगे, क्योंकि सोरेन हर उस आदमी के साथ है जो झारखंड की भलाई में लगा है.
लोकसभा में बंपर जीत मिली तो चम्पाई का राजनीतिक ग्राफ चढ़ेगा, अन्यथा विरोध के स्वर भी तेज होंगे
झारखंड में लंबे दिनों से प्रिंट मीडिया के लिए पॉलिटिकल रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ साथ महागठबंधन वाली सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में चम्पाई सोरेन की जिम्मेदारी और जवाबदेही होना स्वाभाविक है. वे कहते हैं कि अगर मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में रहते राज्य में I.N.D.I.A ब्लॉक ने बेहतरीन प्रदर्शन किया तो उन्हें वाहवाही मिलेगी, लेकिन अगर नतीजे खराब रहे तो निंदा भी उनकी ही होगी.
शिबू सोरेन के बीमार होने और हेमंत सोरेन के जेल में रहने की वजह से चम्पाई पर ज्यादा है दारोमदार
झारखंड के वरिष्ठ राजनीति पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि आज की तारीख में लोकसभा चुनाव चम्पाई सोरेन के लिए एक मौका भी लेकर आया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन के अस्वस्थ हैं और जमीन घोटाले मामले में कार्यकारी अध्यक्ष के जेल में हैं. ऐसे में चम्पाई सोरेन के पास एक मौका भी है कि वह अपनी पार्टी और इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों का ऐतिहासिक प्रदर्शन के वाहक बनें. अगर ऐसा वह कर पाते हैं तो निश्चित रूप से चम्पाई सोरेन की राजनीतिक साख बढ़ेगी, लेकिन अगर इसमें फेल हुए तो दल के अंदर और सहयोगी दलों में उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल भी उठेंगे.
कोल्हान की दोनों लोकसभा सीट पर झामुमो का परचम लहराना होगा
वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार कहते हैं कि चम्पाई सोरेन के लिए कोल्हान क्षेत्र ही लिटमस टेस्ट की तरह होगा. इसी कोल्हान क्षेत्र से चम्पाई सोरेन, विधायक बनकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं. अब जब कोल्हान की दोनों लोकसभा सीटें जमशेदपुर और सिंहभूम झामुमो के कोटे में गई है, तो दोनों सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी तो कोल्हान के टाइगर कहे जाने वाले चम्पाई सोरेन पर ही होगी.
2019 में लोकसभा चुनाव हार गए थे चम्पाई सोरेन
झामुमो ने 2019 में अपने कोल्हान टाइगर चम्पाई सोरेन को भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था, तब मोदी लहर में चम्पाई सोरेन की विद्युत वरण महतो से 03 लाख से अधिक मतों से हार गए थे. तब इस हार को सिंहभूम सीट से कांग्रेसी प्रत्याशी के रूप में गीता कोड़ा ने बैलेंस किया था, इस बार गीता कोड़ा को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है और झामुमो के खाते में सिंहभूम सीट गया है.
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