मंगलगिरि: 39 साल बाद मंगलगिरि में तेलुगु देशम की जीत का परचम लहराया है. नारा लोकेश ने मंगलगिरि में बड़ी जीत दर्ज की है. आखिरकार 1985 में मंगलगिरी में टीडीपी की ओर से कोटेश्वर राव ने जीत दर्ज की. मंगलगिरी में सीपीआई उम्मीदवार के नाम सबसे ज्यादा बहुमत दर्ज हुआ है. ताजा जीत के साथ नारा लोकेश ने बहुमत के पुराने रिकॉर्ड फिर से लिख दिए हैं.
बता दें कि नारा लोकेश के दादा एक लीजेंड हैं, जबकि पिता एक दूरदर्शी व्यक्ति हैं. तेलुगु देशम के युवा नेता नारा लोकेश ने दोनों का नाम ज़िंदा रखने के लिए राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा और हलचल मचा दी. नारा लोकेश ने 226 दिनों तक बारिश, ठंड और गर्मी के बीच 3,132 किलोमीटर की युवागलम पदयात्रा के साथ गांव-गांव तक पहुंच बनाई. वह लोगों के नेता बन गए.
नारा लोकेश ने तेलुगु देशम पार्टी में अपना राजनीतिक करियर श्रमिक कल्याण विभाग की जिम्मेदारी लेकर शुरू किया. टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उन्होंने अपनी शैली में पार्टी को मजबूत करने का काम किया. एमएलसी के रूप में चुने जाने के बाद उन्होंने मंत्री का पद संभाला और क्रमिक रूप से तीन विभागों का संचालन किया.
प्रत्यक्ष राजनीति में उन्होंने 2019 में मंगलगिरि निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 5 हजार से अधिक मतों के अंतर से हार गए. हारे भी तो उन्होंने अपना निर्वाचन क्षेत्र नहीं छोड़ा। जहां हारे, वहां जीतने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. मंगलगिरि निर्वाचन क्षेत्र में 29 कल्याणकारी योजनाएं लोगों तक उनके फंड से क्रियान्वित की जा रही हैं.
अब उन्होंने न केवल लोगों का दिल बल्कि अपने निर्वाचन क्षेत्र को भी भारी बहुमत से जीतकर इतिहास रच दिया. अपने दादा एनटीआर के नारे 'समाज के मंदिर में जनता ही भगवान है' और अपने पिता की नीति को आत्मसात करने वाले नारा लोकेश ने खुद को हिम्मत और साहस वाला नेता साबित किया है, जो तेलुगु देशम पार्टी को अगले 30 वर्षों तक अजेय जनशक्ति के रूप में नेतृत्व कर सकता है.