लखनऊः भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 की पहले सूची में उत्तर प्रदेश में अधिकतर वर्तमान सासंदों पर भरोसा जताया है. इनमें से तीन ऐसे नाम हैं, जो इस बार 6वीं बार लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं. इनमें से उन्नाव सांसद साक्षी महाराज, जालौन सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, हरदोई सांसद जय प्रकाश रावत शामिल हैं. माना जा रहा है कि साक्षी महाराज को हिंदुत्व का प्रहरी और सनातन धर्म का अलख जगाने का तोहफा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दिया है. वहीं, भानु प्रताप की साफ-सुथरी छवि और पार्टी के साथ वफादारी को देखते हुए फिर से टिकट मिला है. इसी तरह हरदोई सांसद को पिछली बार भारी मतों से जीतने और क्षेत्र में अच्छी पकड़ को देखते हुए भाजपा ने मौका दिया है. भाजपा ने इन पर बार-बार भरोसा जताया है, ऐसे में इस बार जीत का 'सिक्सर' क्या लगा पाएंगे, ये तो जनता ही तय करेगी. वहीं, 5 बार लोकसभा सदस्य रहे बृजभूषण शरण सिंह और मेनका गांधी अभी प्रतीक्षारत हैं. अगर इन्हें भी इस बार मौका मिलता है तो ये भी छठवीं पारी खेलने में मैदान में उतरेंगे.
1991 में पहली बार संसद पहुंचे थे साक्षी महाराज
अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज को भाजपा ने लगातार तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है. कासगंज के साक्षी धाम में 12 जनवरी 1956 को जन्मे साक्षी महाराज पहली बार भाजपा की टिकट पर 1991 में मथुरा से चुनाव लड़ा था औऱ जद बी के लक्ष्मी नारायण चौधरी को 15512 मतों से हराया था. इसके बाद फिर 1996 में भाजपा के टिकट पर फर्रूखाबाद लोकसभा सीट चुनाव लड़ा और सपा उम्मीदवार अनवर मोहम्मद खान को हराया. 1997 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपना समर्थन वापस लेने के बाद इंद्र कुमार गुजराल के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई, जिसके बाद बाद चुनाव तय समय से तीन साल पहले 1988 हुए. इस बार भी साक्षी महराज ने फर्रुखाबाद सीट से भाजपा के टिकट पर विजयी हुई. 13 महीने बाद सरकार गिरने के बाद फिर 199 में चुनाव हुए, जिसमें साक्षी महाराज ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. बाद में मुलायम सिंह ने 2022 में राज्यसभा भेजा था. 2012 में साक्षी महाराज ने फिर भाजपा में वापसी कर ली. इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में उन्नाव से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा के अरुण शंकर शुक्ला को 21,873 मतों से हराकर जीत दर्ज की. 2019 में भी लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज ने उन्नाव से रिकार्ड तोड़ जीत हासिल की. अब 2024 लोकसभा चुनाव में फिर से भाजपा ने साक्षी महराज पर भरोसा जताया है.
सात बार मैदान में उतरे भानु प्रताप सिंह, 5 बार बने माननीय
जालौन से वर्तमान सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा को भाजपा ने एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है. भानु प्रताप अब तक 7 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें दो बार हारे और पांच बार जीत कर लोकसभा पहुंचे. वर्तमान केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा ने कोंच नगर पालिका के सभासद के रूप में शुरुआत की. 1991 में कोंच विधानसभा से विधायक चुने गए. इसी बीच 1996 में जालौन से सांसद गया प्रसाद कोरी के असमय निधन के बाद उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीता. 1988 में हुए चुनाव में दूसरी बार भी जीत हासिल की. लेकिन तीसरी बार 1999 में चुनाव हार गए. इसके बाद पांचवी बार 2014 में सपा के घनश्याम अनुरागी को हराकर जीत हासिल. इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में फिर हार गए और तीसरे नंबर पर रहे. 2014 में फिर भाजपा ने भरोसा जताया तो बृजलाल खाबरी को हराकर सांसद बने. इसी तरह 2019 में बसपा के अजय सिंह को हराया. माना जा रहा है कि साफ-सुथरी छवि को देखते हुए भाजपा ने फिर से मैदान में उतारा है.
जय प्रकाश रावत को भारी अंतर से जीत का मिला उपहार
मूलरूप से लखनऊ के रहने वाले जय प्रकाश रावत वर्तमान में हरदोई से सांसद हैं. पहली बार 1991 में भी यहीं से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत था. इसके बाद 1996 में दोबारा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की. वहीं, 1998 के आम चुनाव में सपा उम्मीदवार ऊषा वर्मा से हार गए थे. इसके बाद 1999 में हुए चुनाव में नरेश अग्रवाल की लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 2004 के चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बने. इसके बाद 2009 में राज्य सभा सांसद बनाए गए. वहीं, 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी सिटिंग सांसद अंशुल वर्मा का टिकट काटकर जय प्रकाश को टिकट दिया. इस चुनाव में जय प्रकाश रावत ने 5,67,244 वोट पाकर जीत हासिल की. गठबंधन से सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा को 1,32,785 मतों से हाराया. पिछले चुनाव परिणाम को देखते हुए भाजपा ने जय प्रकाश रावत पर एक बार फिर दांव खेला है.
बेटे वरुण की बगावत मेनका गांधी को पड़ सकती है भारी
वहीं, सुलतानपर सांसद मेनका गांधी का टिकट अभी फाइनल नहीं हुआ है. यदि भाजपा मेनका गांधी को दोबारा उम्मीदवार बनाती है तो यह भी छठवीं बार लोकसभा चुनाव में उतरेंगी. मेनका गांधी ने आकस्मिक दुर्घटना में संजय गांधी के देहान्त के बाद सन् 1982 में राजनीति में आयीं.उन्होंने पहला चुनाव अमेठी संसदीय सीट से ज्येठ राजीव गांधी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और करारी हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद मेनका गांधी 1988 में जनता दल में शामिल हो गयीं और उन्होंने दूसरा चुनाव 1989 में पीलीभीत संसदीय सीट से लड़कर जीत दर्ज की. लेकिन 1991 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. 1996 में फिर पीलीभीत संसदीय सीट से जनता दल के प्रत्याशी के रूप जीत हासिल की. वहीं, 1998, 1999, में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पीलीभीत सीट से जीत हासिल कर संसद पहुंचने में सफल रहीं. 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयीं और 2004 में पीलीभीत से तो 2009 में आंवला, 2014 में फिर पीलीभीत से सांसद चुनी गईं. वहीं, 2019 में पीलीभीत से बेटे वरुण गांधी को भाजपा ने टिकट दे दिया और मेनका गांधी को सुल्तानपुर से मैदान में उतारा. यहां से भी उन्होंने जीत हासिल की. माना जा रहा है कि बेटे वरुण गांधी के अपनी सरकार के खिलाफ बगावत करने के कारण मेनका गांधी का टिकट इस बार कट सकता है.
बृजभूषण के लिए संसद की राह में रोड़ा बन सकते हैं पहलवानों के आरोप
महिला पहलवानों द्वारा यौन शोषण के आरोपों से घिरे सांसद बृजभूषण सिंह वर्तमान में कैसरगंज सीट से भाजपा के सांसद हैं. लेकिन इनका टिकट भी अभी फाइनल नहीं हो पाया है. यदि बृजभूषण सिंह को इस बार टिकट मिलता है तो सातवीं बार लोकसभा चुनाव के मैदान में होंगे. बृजभूषण सिंह पांच बार भाजपा और एक बार समाजवादी पार्टी से सांसद रह चुके हैं. पहली बार 1991 में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में गोंडा से चुने गए। वह 1999 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से 13वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए और 2004 में भाजपा के टिकट पर बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से 14वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए. 2008 के लोकसभा विश्वास मत के दौरान संसद में क्रॉस-वोटिंग के लिए भाजपा द्वारा उन्हें निष्कासित किए जाने के बाद 20 जुलाई 2008 को वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. 2009 में कैसरगंज निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए. बाद में 16वें आम चुनाव से कुछ महीने पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और वर्तमान में भाजपा से 17वीं लोकसभा के सदस्य हैं.2011-2023 तक भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष थे.
इंद्रजीत गुप्ता के नाम है सबसे अधिक सांसद बनने का रिकॉर्ड
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) के इंद्रजीत गुप्ता भारत के इतिहास में सबसे अधिक सांसद चुने गए हैं. सुनील गुप्ता में 11 बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं. 1960 से लेकर 2001 तक सांसद रहे. सिर्फ 1977 से 1980 के बीच सांसद नहीं रहे. वहीं, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री दूसरे सबसे अधिक बार सांसद चुने गए हैं. अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोकसभा चुनाव जीता था और और 2 बार राज्य सभा सांसद थे.
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