वाराणसी : 'न मुझे किसी ने भेजा है, न मैं यहां आया हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है'. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कही गई ये बात आज भी काशी वासियों के जहन में है. ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि लगातार दो बार जिस शहर ने पीएम मोदी को रिकॉर्ड मतों से अपना सांसद चुना, तो ऐसे लोगों को प्रत्याशी में कुछ अलग जरूर दिखा होगा. इसी आधार पर साल 2024 के चुनाव में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 10 लाख के अंतर से जीत दिलाने का लक्ष्य सेट कर लिया. इसके बाद प्रचार में जुट गए.
वाराणसी सीट देश की सबसे चर्चित सीट में गिनी जाती है. सबसे अधिक विपक्ष के लोगों की निगाह यहां रहती है. वजह ये है कि यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं. वह भी लगातार दो बार से. उन्होंने साल 2014 के चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़ा था, गुजरात के वडोदरा और उत्तर प्रदेश के वाराणसी से. दोनों ही सीटों से उन्होंने जीत दर्ज की थी. बाद में वडोदरा सीट छोड़कर काशी की सीट को चुना था. इसके बाद जो हुआ वह सभी ने देखा. काशी ने उन्हें दोबारा सांसद बनाया और भारी मतों से जिताया. काशी की इस जीत से भाजपा आत्मविश्वास में आ गई.
क्या है बनारस के जातीय समीकरण : लोकसभा चुनाव 2024 की समाप्ति हो चुकी है. 01 जून को बनारस सीट पर मतदान भी हो चुके हैं. 4 जून को इसका परिणाम आएगा. बनारस की सीट पर टक्कर की लड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजय राय के बीच मानी जा रही है. हम आंकड़ों से हम जानने की कोशिश करते हैं कि क्या पीएम मोदी 10 लाख वोटों से जीत सकेंगे. वोटों के समीकरण की बात करें तो बनारस में 82% हिंदू वोटर हैं. मुसलमान 16 फीसद आते हैं. इसके अलावा हिंदुओं में भी 12 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति और एक बड़ा हिस्सा पिछड़ी जाति से संबंध रखता है.
19 लाख से अधिक वोटर चुनते हैं अपना सांसद : वाराणसी सीट पर कुल वोटरों की संख्या की बात करें तो 19,62,821 वोटर हैं. इनमें से 8,97,343 महिला वोटर हैं, 10,65,343 पुरुष वोटर हैं. 135 अन्य वोटर हैं. इस सीट की 65 फीसदी आबाद शहरी क्षेत्र और 35 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. कुल आबादी का 10.01 फीसदी जनजाति और 0.7 फीसदी दलित वर्ग से हैं.
साल 2014 के आंकड़ों पर एक नजर : साल 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि वे जमानत नहीं बचा सके थे. 2014 में कुल 58.35 प्रतिशत वोट पड़े थे. पीएम मोदी ने यहां 3.37 लाख मतों से जीत दर्ज की थी, जबकि पीएम मोदी सहित कुल 27 प्रत्याशियों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी.
साल 2019 के चुनाव का आंकड़ा : साल 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6,74,664 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले थे. वहीं एक बार फिर 1,52,548 वोटों के साथ अजय राय तीसरे स्थान पर थे. पीएम मोदी ने करीब चार लाख से ज्यादा के मार्जिन से जीत दर्ज की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी बार इस सीट से अपना सांसद चुनने वाली काशी की जनता ने सबसे अधिक 63.59 प्रतिशत वोट दिए थे.
क्या बता रहे हैं साल 2014 के आंकड़े? : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही इस बार कुल 7 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे यानी कि पिछले दो चुनावों से बेहद कम प्रत्याशी, जोकि वोट को बंटने से रोकता है. वहीं 2014 के चुनाव में उनके खिलाफ 41 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि 2019 के चुनाव में 26 उम्मीदवार मैदान में थे. इस बार पीएम मोदी के खिलाफ प्रमुख उम्मीदवारों में कांग्रेस के अजय राय और बसपा के अतहर जमाल लारी प्रमुख हैं. अगर बात वोटिंग प्रतिशत की करें तो 01 जून की शाम 6 बजे तक वाराणसी में कुल 56.35 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है. दो साल के आंकड़ों और मत प्रतिशत की तुलना की जाए तो पीएम मोदी की जीत का अनुमान लगाया जा सकता है.
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