पटनाः इसबार लोकसभा चुनाव पर गर्मी का असर देखने को मिल सकता है. चुनाव को लेकर ऐसे ही राजनीतिक माहौल गर्म रहता है ऊपर से सूर्यदेव लगातार तापमान बढ़ाए जा रहे हैं. मौसम विभाग का अनुमान है कि अप्रैल से जून तक भारी गर्मी पड़ने वाली है. हीट वेव के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
चुनाव में मौसम का क्या असरः हीट वेव ने राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कड़ी धूप और लू के थपेड़े के बीच मतदाता वोट करने के लिए बूथ तक आएंगे? सवाल यह भी उठता है कि अगर गर्मी के कारण वोटिंग प्रतिशत पर असर पड़ता है तो गर्मी में चुनाव क्यों होते हैं? पिछले लोकसभा चुनाव में मौसम का क्या असर पड़ा है?
इसबार तापमान में बढ़ोतरीः पिछला लोकसभा चुनाव 2019 में अप्रैल से मई के बीच हुआ था. इस दौरान अधिकतम तापमान 33°C रहा था. इस साल 2024 में 11 अप्रैल को 38°C अधिकतम तापमान दर्ज किया गया. यानि पिछली बार के मुकाबले इसबार 5°C का इजाफा देखने को मिला है जो चिंताजनक है. मौसम वैज्ञानिक के अनुसार आगे भी तापमान बढ़ सकता है.
"इसबार तापमान में जबरदस्त इजाफे के आसार हैं. अप्रैल महीने में हीट वेव चलना शुरू हो गया है. अगले दो महीने तक हीट वेव चलेगा और तापमान 40 डिग्री के पार जा सकता है." -संजय कुमार, मौसम वैज्ञानिक
केंट यूनिवर्सिटी का सोधः ब्रिटेन के केंट यूनिवर्सिटी के अमित अमीरापु इरमा क्लॉटस फिगरस और लंदन यूनिवर्सिटी के जॉन पाब्लो रूड ने जलवायु परिवर्तन के साथ भारत में मतदान के ट्रेंड पर शोध किया. उन्हें पता चला कि भारत में अगर 01°C तापमान अगर बढ़ जाता है तो मतदान के प्रतिशत में 1.5 फीसदी का अंतर आ जाता है.
![ईटीवी भारत GFX.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-04-2024/21176651_bihar-election_info.jpg)
अच्छे मौसम में घटता है वोटिंग प्रतिशतः ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने 2008 से 2017 के दौरान भारत में हुए विधानसभा चुनाव के अंकों का विश्लेषण किया. पाया कि तापमान सकारात्मक रेंज में यानि अच्छा होता है तो कृषि उत्पादकता बढ़ जाती है लेकिन मतदान प्रतिशत घट जाता है. इसका कारण है कि ज्यादातर किसान खेत में व्यस्त रहते हैं. मतदान करने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं.
गर्मी में बढ़ता है वोटिंग प्रतिशतः उलट जब तेज गर्मी होती है तब कृषि उत्पादन घट जाती है और मतदान प्रतिशत बढ़ जाता है. लेकिन बिहार में इसका उल्टा है. यहां के लोग ज्यादा गर्मी और ज्यादा ठंड पड़ने पर कम ही घर से निकलते हैं. ऐसे में क्या वोटिंग की प्रतिशत में भी कमी आ सकती है. पिछले 17 साल के आकड़ा को देखें तो मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
हीट वेव डाल सकता है असरः 1991 तक लोकसभा चुनाव ठंड के मौसम में हुआ होता था. हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने समय से पहले लोकसभा भंग कर दी थी जिसके बाद से गर्मियों में चुनाव होने लगे. देश के विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव के समय अधिक गर्मी या हीट वेव चलने से मतदान प्रतिशत पर असर पड़ता है. लोग कम संख्या में घरों से बाहर निकलते हैं.
"एक दिन पहले व्यक्ति की जो मानसिकता रहती है वह तेज गर्मी से मतदान के दिन बदल जाती है. मतदान के पहले किसी परेशानी की वजह से अगर व्यक्ति परेशान है तो गुस्से में उसका वोट किसी और राजनीतिक दल के पक्ष में चला जाता है." -नीतिश प्रियदर्शी, भूगर्भ शास्त्री
राजनीतिक दलों में चिंताः आपको बता दें कि बिहार में हीट वेव को लेकर राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में इसका समाधान निकालने की मांग की जा रही है. राजद की ओर से मांग की गई है कि वोटिंग को दोपहर में 2 घंटे के लिए रोक दिया जाए. कुछ धूप कम होने के बाद फिर से वोटिंग शुरू किया जा सकता है. उन्होंने इस दौरान बूथ तक आने जाने के लिए वाहन सुविधा देने की भी मांग की है.
"इस बार चुनाव में गर्मी अधिक होने वाली है. इसलिए आज से चुनाव आयोग बिहार सरकार को तैयारी करनी चाहिए. वोटिंग के लिए मतदान केंद्र तक आने-जाने की व्यवस्था की जाए. अगर संभव हो सके तो दिन में 2 घंटे का विश्राम देकर मतदान की अवधि को बढ़ाया जा सकता है."-एजाज अहमद, प्रवक्ता, RJD
'गर्मी कोई मायने नहीं रखता': दूसरी ओर भाजपा की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि चाहे कितनी भी धूप और गर्मी पड़े लेकिन मतदाता वोट करने के लिए जरूर आएंगे. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इतनी लोकप्रियता है कि मतदाता के लिए गर्मी कोई मायने नहीं रखता है.
"इस बार गर्मी ज्यादा है और भविष्य में बढ़ने वाली है. लेकिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए लोग बड़ी संख्या में मतदान करेंगे और गर्मी का असर देखने को नहीं मिलेगा. वैसे चुनाव आयोग के द्वारा मुकम्मल तैयारी की जा रही है." -प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, बीजेपी
चुनाव आयोग करे उपायः एडीआर के बिहार संयोजक राजीव कुमार का मानना है कि इस बार तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है. अगले दो महीने गर्मी से लोगों को राहत मिलने वाली नहीं है. सोमवार को 5°C तापमान ऊपर जा चुका है. जाहिर तौर पर अगर इसी तरीके से पारा चढ़ता गया तो उसका असर वोटिंग प्रतिशत पर होगा. चुनाव आयोग को राहत के लिए उपाय करना चाहिए.
"चुनाव आयोग को चाहिए कि लोगों को हीट वेव और गर्मी से राहत देने के लिए उचित उपाय करें. इसके लिए बूथ स्तर पर तैयारी की जा सकती है. क्योंकि जिस तरीके से गर्मी और धूप बढ़ रही है अनुमान है कि आगे और बढ़ेगा." -राजीव कुमार, बिहार संयोजक, ADR
यह भी पढ़ेंः