पटनाः बिहार में लोकसभा चुनाव की जंग बेहद ही दिलचस्प हो चली है. खासकर उन सीटों पर जहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कई दमदार चेहरों ने ताल ठोक दी है. पूर्णिया से पप्पू यादव, सिवान से हिना शहाब, महाराजगंज से सच्चिदानंद राय, नवादा से विनोद यादव और काराकाट से पवन सिंह के चुनाव मैदान में आ जाने के बाद सियासी दलों के अधिकृत उम्मीदवारों का सिरदर्द बढ़ गया है.
पूर्णिया की लड़ाई को पप्पू ने बनाया दिलचस्प: सबसे पहले बात करेंगे पूर्णिया लोकसभा सीट की जिसको लेकर महागठबंधन में कई दिनों तक माथापच्ची होती रही और आखिरकार पूर्णिया से टिकट की आस में कांग्रेस ज्वाइन करनेवाले पप्पू यादव के हिस्से में निराशा आई और आरजेडी के कोटे में गयी इस सीट से बीमा भारती को आरजेडी का टिकट दे दिया गया. जिसके बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोककर पप्पू यादव ने पूर्णिया की लड़ाई को दिलचस्प मोड़ दे दिया है.
पप्पू यादव का सियासी सफरः पांच बार सांसद और एक बार विधायक रह चुके पप्पू यादव की पूर्णिया की सियासत में अच्छी-खासी धाक है. पप्पू यादव 3 बार पूर्णिया से सांसद रह चुके हैं, जिसमें दो बार 1991 और 1999 में तो उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ही जीत दर्ज की थी. इसके अलावा पप्पू यादव ने 2004 ओर 2014 में मधेपुरा लोकसभा सीट से सफलता हासिल की थी. जाहिर है पूर्णिया में पप्पू का कद इतना बड़ा है कि वो नतीजो पर असर डाल सकते हैं.
सिवान से हिना शहाब मैदान मेंः सिवान लोकसभा सीट की चुनावी जंग भी बेहद रोचक हो गयी है और उसका सबसे बड़ा कारण है हिना शहाब का मैदान में आना. सिवान की सियासत में करीब 3 दशकों तक एकछत्र राज करनेवाले मरहूम शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने इस बार निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का एलान किया है. ईटीवी भारत से बातचीत में हिना साफ कर चुकी हैं वो निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगी और ये चुनाव शहाबुद्दीन को श्रद्धांजलि देने के रूप में लड़ा जाएगा.
हिना के एलान से जेडीयू-आरजेडी की नींद उड़ीः हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव लड़ने के एलान के बाद जेडीयू और आरजेडी टेंशन में हैं. क्योंकि जहां आरजेडी का परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक इस बार हिना शहाब के पक्ष में खुलकर दिख रहा है वहीं जेडीयू प्रत्याशी के पति की पृष्ठभूमि माले से जुड़े होने के कारण सवर्ण वोटर्स दुविधा में हैं. इतना ही नहीं कविता सिंह का टिकट कटने से राजूपत मतदाता नाराज हैं. ऐसे में हिना शहाब में लोग विकल्प ढूढ़ रहे हैं.
लालू परिवार से बढ़ती दूरियांः आरजेडी के MY समीकरण के सबसे बड़े नायक शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके परिवार और लालू परिवार के बीच दूरियां बढ़ गई हैं.शहाबुद्दीन के कारण आरजेडी को सिवान, छपरा, गोपालगंज , मुजफ्फरपुर, मोतिहारी इन तमाम इलाकों में मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलता रहा, लेकिन शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद लालू परिवार का रवैया हिना शहाब को रास नहीं आया था.कई मौके पर हिना और उनके बेटे ओसामा जता चुके हैं कि अब आरजेडी से उनका कोई वास्ता नहीं है.
सच्चिदानंद राय की एंट्री से महाराजगंज में रोचक जंगः ऐसा ही कुछ हाल है महाराजगंज लोकसभा सीट का जहां से बीजेपी के मौजूदा सांसद जनार्दन सिग्रीवाल के लिए एमएलसी सच्चिदानंद राय की चुनौती है. जनार्दन सिंह सिग्रीवाल लगातार 2 बार से सांसद हैं और तीसरी बार भी बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा है. फिलहाल कांग्रेस ने यहां से अपने कैंडिडेट का एलान नहीं किया है लेकिन एमएलसी सच्चिदानंद राय निर्दलीय ही सही चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं.
पहले बीजेपी में ही थे सच्चिदानंद रायः बड़े कारोबारी के रूप में पहचान रखनेवाले सच्चिदानंद राय पहले बीजेपी के विधानपरिषद् सदस्य थे. बाद में निर्दलीय चुनाव लड़कर वे विधानपरिषद पहुंचे जिसके बाद बीजेपी से उनकी दूरी लगातार बढ़ती रही. वे कई मौके पर बयान दे चुके थे कि बीजेपी से सिग्रीवाल चुनाव लड़ते हैं तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
भूमिहार मतदाताओं के टूटने का डरः सच्चिदानंद राय की पहचान बड़े उद्योगपतियों में होती है और वे बिहार विधान परिषद के सबसे धनी सदस्य हैं.रियल एस्टेट और आईटी कंपनी के मालिक सच्चिदानंद राय की संपत्ति 890 करोड रुपए बताई गई है. महाराजगंज और सिवान लोकसभा क्षेत्र में भूमिहार वोटरों पर उनकी पकड़ काफी मजबूत है. ऐसे में वे बीजेपी के परंपरागत भूमिहार वोट बैंक में सेंध लगतेा हैं तो इसका सीधा असर बीजेपी प्रत्याशी पर पड़ेगा.
पवन सिंह की एंट्री से गर्म हुई काराकाट की सियासतः बीजेपी का टिकट मिलने के बाद आसनसोल से मैदान छोड़नेवाले भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने 13 मार्च को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर घोषणा कर दी थी वह बिहार से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन कहां से चुनाव लड़ेंगे इस पर सस्पेंस बरकरार रखा.10 अप्रैल को उन्होंने काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. इसके बाद काराकाट की लड़ाई दिलचस्प हो गई है.
बढ़ गई उपेंद्र कुशवाहा की मुसीबतः NDA गठबंधन में काराकाट की सीट उपेंद्र कुशवाहा के लिए छोड़ी गई है वहीं महागठबंधन की ओर से यहां माले ने राजाराम सिंह को मैदान में उतारा है. काराकाट लोक सभा क्षेत्र में राजपूतों की संख्या अच्छी खासी है, साथ ही अलावा पवन सिंह की अपनी फैन फॉलोइंग है. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा को डर है कि पवन सिंह के खड़े होने से NDA के परंपरागच वोट बैंक में सेंध लग सकती है.
नवादा के रण में विनोद यादव: नवादा की राजनीति में मजबूत दखल रखनेवाले राजबल्लभ यादव तो जेल में हैं लेकिन उनकी पत्नी विभा देवी नवादा से आरजेडी की विधायक हैं. राजबल्लभ के भाई विनोद यादव यहां से आरजेडी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन आरजेडी ने श्रवण कुशवाहा को अपना कैंडिडेट बनाया है जिसके बाद विनोद यादव नवादा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
आरजेडी के लिए मुश्किलः विनोद यादव के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आ जाने से नवादा की लड़ाई कांटे की हो गई है. विनोद यादव के साथ आरजेडी विधायक और उनकी भाभी विभा देवी , आरजेडी के एक अन्य विधायक प्रकाश वीर और आरजेडी के विधानपरिषद के सदस्य अशोक यादव उनके समर्थन में दिख रहे हैं. नवादा लोकसभा क्षेत्र में यादवों की संख्या अच्छी खासी है.ऐसे में विनोद यादव के चुनाव लड़ने से आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?: बिहार की सियासत पर बारीक नजर रखनेवाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का मानना है कि "इन सभी पांच सीटों पर जो निर्दलीय उम्मीदवार हैं वो किसी भी मायने में कम नहीं हैं. उनकी सबकी अच्छी पहचान है साथ ही उनके साथ लोगों का समर्थन भी है. जाहिर है इनकी उम्मीदवारी चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकती है."