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ट्रेन लोको पायलट ने की ड्यूटी के घंटे तय करने की मांग, भोजन करने, शौचालय जाने की फुर्सत नहीं! - Loco Pilots demands fixation of duty hours

Indian Railway Loco Pilots demands: रेलवे लोको पायलट का कहना है कि ड्यूटी का समय और समय अंतराल तय करने का प्रावधान कई अन्य संगठनों, यहां तक कि निजी क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध है, लेकिन लोको पायलट दशकों से इस सुविधा से वंचित हैं. रेलवे में लोको पायलटों की परेशानी पर ईटीवी भारत संवाददाता चंचल मुखर्जी की रिपोर्ट....

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 7, 2024, 10:08 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रेल के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ड्यूटी के घंटे तय करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने भोजन करने और टॉयलेट में जाकर फ्रेश होने संबंधी निश्चित समय अंतराल तय करने की भी मांग की है. ड्यूटी घंटों के नियमों के बारे में बताते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के संयुक्त महासचिव एमपी देव ने ईटीवी भारत से कहा, वे लंबे समय से ड्यूटी घंटों का मुद्दा उठा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. एसोसिएशन ने ड्यूटी के घंटों के संबंध में रेलवे को पत्र लिखा लेकिन उन्होंने लोको रनिंग स्टाफ के काम के घंटे तय नहीं किए. उन्होंने कहा कि, ड्राइवरों को अतिरिक्त घंटे काम करना पड़ता है जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने बताया कि, वे लोको रनिंग स्टाफ के लिए निश्चित ड्यूटी घंटे प्रदान करने के लिए भारत द्वारा अनुमोदित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं.

वहीं भोजन और टॉयलेट जाने के लिए निर्धारित समय तय किए जाने से जुड़े विषय पर बात करते हुए भारतीय रेलवे लोको रनिंग मेन संगठन के केंद्रीय कोषाध्यक्ष, कमलेश सिंह ने ईटीवी भारत को बताया, वे लोग कई सालों से इसके लिए निर्धारित समय प्रदान करने के लिए भारत के अनुमोदित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं. वर्तमान में, भोजन जलपान लेने और टॉयलेट जाने का कोई प्रावधान नहीं है. सिंह ने कहा, 'ड्यूटी का समय और समय अंतराल तय करने का प्रावधान कई अन्य संगठनों, यहां तक कि निजी क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध है, लेकिन हम दशकों से इस सुविधा से वंचित हैं.' वहीं, मांगों का जवाब देते हुए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने भोजन के लिए एक निर्धारित समय अंतराल प्रदान करने और टॉयलेट जाने संबंधी विषय का एक समाधान निकालने के लिए अप्रैल में एक हाई पावर समिति का गठन किया है. हालांकि, ड्यूटी के घंटे तय करना अभी भी एक मुद्दा बना हुआ है.

लोको पायलटों की हालत के बारे में बताते हुए लोको इंस्पेक्टर पीके शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि, उन्हें लगातार कई घंटों तक ट्रेन चलानी पड़ती है. ड्राइवरों को टॉयलेट तक जाने की फुर्सत नहीं मिलती. वहीं, सहायक लोको पायलट पल्लवी ने ईटीवी भारत को बताया कि, महिला लोको पायलटों और सहायक लोको पायलटों की स्थिति और भी अधिक गंभीर है क्योंकि उन्हें ट्रेनों में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती हैं. लगातार लंबे समय तक ड्यूटी करना एक महिला के शरीर के लिए हानिकारक है लेकिन हमें यह करना होगा. अगर ड्यूटी के घंटे तय हो जाएं तो यह हमारे लिए बेहतर होगा.'

कई अन्य महिला ट्रेन ड्राइवरों ने भी इसी तरह की दुर्दशा व्यक्त की, क्योंकि उन्हें लंबे समय तक ड्यूटी से गुजरना पड़ता है, इसके विपरित उन्हें रात की ड्यूटी के दौरान घर से स्टेशन तक पिक और ड्रॉप की सुविधा नहीं मिलती है .नाम न छापने की शर्त पर एक महिला ड्राइवर ने बताया कि लंबे समय तक काम करने के कारण वह घर पर अपने छोटे बच्चों की देखभाल नहीं कर पाती है. वहीं, भारतीय रेलवे लोको रनिंग मेन संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष और समिति के सदस्यों में से एक संजय पांधी ने ईटीवी भारत को बताया कि, वे इस मुद्दे को वर्ष 2009-10 से विभिन्न स्तरों पर उठाते रहे हैं. अब, भोजन करने और शौचालय जाने के लिए एक निर्धारित समय अंतराल प्रदान करने का समाधान खोजने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय की तरफ से एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है.

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नई दिल्ली: भारतीय रेल के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ड्यूटी के घंटे तय करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने भोजन करने और टॉयलेट में जाकर फ्रेश होने संबंधी निश्चित समय अंतराल तय करने की भी मांग की है. ड्यूटी घंटों के नियमों के बारे में बताते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के संयुक्त महासचिव एमपी देव ने ईटीवी भारत से कहा, वे लंबे समय से ड्यूटी घंटों का मुद्दा उठा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. एसोसिएशन ने ड्यूटी के घंटों के संबंध में रेलवे को पत्र लिखा लेकिन उन्होंने लोको रनिंग स्टाफ के काम के घंटे तय नहीं किए. उन्होंने कहा कि, ड्राइवरों को अतिरिक्त घंटे काम करना पड़ता है जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने बताया कि, वे लोको रनिंग स्टाफ के लिए निश्चित ड्यूटी घंटे प्रदान करने के लिए भारत द्वारा अनुमोदित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं.

वहीं भोजन और टॉयलेट जाने के लिए निर्धारित समय तय किए जाने से जुड़े विषय पर बात करते हुए भारतीय रेलवे लोको रनिंग मेन संगठन के केंद्रीय कोषाध्यक्ष, कमलेश सिंह ने ईटीवी भारत को बताया, वे लोग कई सालों से इसके लिए निर्धारित समय प्रदान करने के लिए भारत के अनुमोदित अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं. वर्तमान में, भोजन जलपान लेने और टॉयलेट जाने का कोई प्रावधान नहीं है. सिंह ने कहा, 'ड्यूटी का समय और समय अंतराल तय करने का प्रावधान कई अन्य संगठनों, यहां तक कि निजी क्षेत्र के लिए भी उपलब्ध है, लेकिन हम दशकों से इस सुविधा से वंचित हैं.' वहीं, मांगों का जवाब देते हुए, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने भोजन के लिए एक निर्धारित समय अंतराल प्रदान करने और टॉयलेट जाने संबंधी विषय का एक समाधान निकालने के लिए अप्रैल में एक हाई पावर समिति का गठन किया है. हालांकि, ड्यूटी के घंटे तय करना अभी भी एक मुद्दा बना हुआ है.

लोको पायलटों की हालत के बारे में बताते हुए लोको इंस्पेक्टर पीके शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि, उन्हें लगातार कई घंटों तक ट्रेन चलानी पड़ती है. ड्राइवरों को टॉयलेट तक जाने की फुर्सत नहीं मिलती. वहीं, सहायक लोको पायलट पल्लवी ने ईटीवी भारत को बताया कि, महिला लोको पायलटों और सहायक लोको पायलटों की स्थिति और भी अधिक गंभीर है क्योंकि उन्हें ट्रेनों में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती हैं. लगातार लंबे समय तक ड्यूटी करना एक महिला के शरीर के लिए हानिकारक है लेकिन हमें यह करना होगा. अगर ड्यूटी के घंटे तय हो जाएं तो यह हमारे लिए बेहतर होगा.'

कई अन्य महिला ट्रेन ड्राइवरों ने भी इसी तरह की दुर्दशा व्यक्त की, क्योंकि उन्हें लंबे समय तक ड्यूटी से गुजरना पड़ता है, इसके विपरित उन्हें रात की ड्यूटी के दौरान घर से स्टेशन तक पिक और ड्रॉप की सुविधा नहीं मिलती है .नाम न छापने की शर्त पर एक महिला ड्राइवर ने बताया कि लंबे समय तक काम करने के कारण वह घर पर अपने छोटे बच्चों की देखभाल नहीं कर पाती है. वहीं, भारतीय रेलवे लोको रनिंग मेन संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष और समिति के सदस्यों में से एक संजय पांधी ने ईटीवी भारत को बताया कि, वे इस मुद्दे को वर्ष 2009-10 से विभिन्न स्तरों पर उठाते रहे हैं. अब, भोजन करने और शौचालय जाने के लिए एक निर्धारित समय अंतराल प्रदान करने का समाधान खोजने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय की तरफ से एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है.

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