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'लोकल कंटेक्स्ट, लीगल टर्म', CJI ने स्थानीय भाषाओं में कानून और कानूनी शिक्षा पर दिया जोर - CJI DY Chandrachud

CJI DY Chandrachud: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने RMLNLU के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए कहा कि अदालतों ने न्याय तक पहुंच बढ़ाने और फरियादियों को अदालत के करीब लाने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाया है.

CJI DY Chandrachud
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ (ANI)
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By Sumit Saxena

Published : Jul 14, 2024, 7:43 PM IST

नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में कानून और कानूनी शिक्षा विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे न केवल देश के नागरिक कानूनी प्रणाली तक पहुंच बना सकें बल्कि वकील और जज बनने की आकांक्षा भी रख सकें.

सीजेआई ने लखनऊ में RMLNLU के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे. समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम नाथ, इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली, आरएमएलएनएलयू के कुलपति प्रोफेसर अमर पाल सिंह, अभिभावक और छात्र भी शामिल हुए.

CJI ने कहा, "दुनिया भर के कई देशों में कानूनी शिक्षा और कानूनी कार्यवाही दोनों क्षेत्रीय भाषा में आयोजित की जाती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी नागरिक न केवल कानूनी प्रणाली तक पहुंच बना सकें, बल्कि वकील और न्यायाधीश बनने की आकांक्षा भी रख सकें."

उन्होंने कहा कि जब हम अपने छात्रों को स्थानीय संदर्भ और स्थानीय कानूनी शब्दों से परिचित कराते हुए कानून के मूल सिद्धांतों को कुशलतापूर्वक पढ़ाते हैं, तभी हम भविष्य में सामाजिक रूप से जिम्मेदार वकील तैयार कर सकते हैं, जो स्थानीय समुदाय के मुद्दों और चिंताओं को सही मायने में समझ सकें.

छात्रों को दिया संदेश
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि हम सभी इन मुद्दों के बारे में अधिक गहराई से सोचेंगे." सीजेआई ने छात्रों को दिए संदेश में कहा कि याद रखें, कानून एक स्थिर क्षेत्र नहीं है. यह समाज के साथ विकसित होता है, इसके परिवर्तनों को दर्शाता है और नई चुनौतियों का समाधान करता है. जज के रूप में हमारे भूरे बालों के साथ, हम भी बदलते और विकसित होते रहते हैं.

सीजेआई ने कहा कि वे और उनके साथी न्यायाधीश कभी भारी-भरकम कागजी फाइलों पर निर्भर होकर पारंपरिक तरीकों से निर्णय लेते थे. हालांकि, आज अदालतों ने न्याय तक पहुंच बढ़ाने और वादियों को अदालत के करीब लाने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाया है. इसी तरह, हम कानून के उन उभरते क्षेत्रों से अवगत रहते हैं जो काफी बदल गए हैं. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी से संबंधित विवाद शामिल हैं.

'हमें निरंतर विकसित होते रहना चाहिए'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे परिवर्तनकारी संविधान के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका के प्रति सच्चे रहते हुए, हमें निरंतर विकसित होते सामाजिक मूल्यों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए सीखना और भूलना जारी रखना चाहिए. इस दौरान उन्होंने लाखों भारतीय नागरिकों के लिए कानून और कानूनी शिक्षा को कैसे सुलभ बनाया जाए, इस पर भी विचार साझा किए.

सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के शोध विभाग ने उनके निर्देश पर 81 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का सर्वे किया और पाया कि स्थानीय आबादी को अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की कमी के कारण अपने अधिकारों और उन अधिकारों से संबंधित योजनाओं को समझने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

सीजेआई ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब यह नहीं था कि अंग्रेजी को हटा दिया जाना चाहिए, बल्कि इसके साथ ही शिक्षा में स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

यह भी पढे़ं- मुनव्वर फारूकी की जमानत अर्जी खारिज करने वाले पूर्व जज BJP में शामिल, कहा- मुझे राजनीति में...

नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में कानून और कानूनी शिक्षा विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे न केवल देश के नागरिक कानूनी प्रणाली तक पहुंच बना सकें बल्कि वकील और जज बनने की आकांक्षा भी रख सकें.

सीजेआई ने लखनऊ में RMLNLU के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे. समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रम नाथ, इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली, आरएमएलएनएलयू के कुलपति प्रोफेसर अमर पाल सिंह, अभिभावक और छात्र भी शामिल हुए.

CJI ने कहा, "दुनिया भर के कई देशों में कानूनी शिक्षा और कानूनी कार्यवाही दोनों क्षेत्रीय भाषा में आयोजित की जाती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी नागरिक न केवल कानूनी प्रणाली तक पहुंच बना सकें, बल्कि वकील और न्यायाधीश बनने की आकांक्षा भी रख सकें."

उन्होंने कहा कि जब हम अपने छात्रों को स्थानीय संदर्भ और स्थानीय कानूनी शब्दों से परिचित कराते हुए कानून के मूल सिद्धांतों को कुशलतापूर्वक पढ़ाते हैं, तभी हम भविष्य में सामाजिक रूप से जिम्मेदार वकील तैयार कर सकते हैं, जो स्थानीय समुदाय के मुद्दों और चिंताओं को सही मायने में समझ सकें.

छात्रों को दिया संदेश
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि हम सभी इन मुद्दों के बारे में अधिक गहराई से सोचेंगे." सीजेआई ने छात्रों को दिए संदेश में कहा कि याद रखें, कानून एक स्थिर क्षेत्र नहीं है. यह समाज के साथ विकसित होता है, इसके परिवर्तनों को दर्शाता है और नई चुनौतियों का समाधान करता है. जज के रूप में हमारे भूरे बालों के साथ, हम भी बदलते और विकसित होते रहते हैं.

सीजेआई ने कहा कि वे और उनके साथी न्यायाधीश कभी भारी-भरकम कागजी फाइलों पर निर्भर होकर पारंपरिक तरीकों से निर्णय लेते थे. हालांकि, आज अदालतों ने न्याय तक पहुंच बढ़ाने और वादियों को अदालत के करीब लाने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाया है. इसी तरह, हम कानून के उन उभरते क्षेत्रों से अवगत रहते हैं जो काफी बदल गए हैं. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी से संबंधित विवाद शामिल हैं.

'हमें निरंतर विकसित होते रहना चाहिए'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे परिवर्तनकारी संविधान के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका के प्रति सच्चे रहते हुए, हमें निरंतर विकसित होते सामाजिक मूल्यों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए सीखना और भूलना जारी रखना चाहिए. इस दौरान उन्होंने लाखों भारतीय नागरिकों के लिए कानून और कानूनी शिक्षा को कैसे सुलभ बनाया जाए, इस पर भी विचार साझा किए.

सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के शोध विभाग ने उनके निर्देश पर 81 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का सर्वे किया और पाया कि स्थानीय आबादी को अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की कमी के कारण अपने अधिकारों और उन अधिकारों से संबंधित योजनाओं को समझने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

सीजेआई ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब यह नहीं था कि अंग्रेजी को हटा दिया जाना चाहिए, बल्कि इसके साथ ही शिक्षा में स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

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