ETV Bharat / bharat

प्रोजेक्ट टाइगर के लिए खतरा बना ये वन्य जीव! राजाजी रिजर्व में शुरू हुई सर्वाइवल जंग - Rajaji Tiger Reserve

Number of tigers decreasing in Uttarakhand उत्तराखंड बाघों की संख्या के लिहाज से देश का तीसरा राज्य है. मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बाद सबसे ज्यादा टाइगर उत्तराखंड में ही हैं. लेकिन राज्य में एक क्षेत्र ऐसा भी है, जहां टाइगर अपना कुनबा बढ़ाने के लिए एक बड़ी चुनौती से जूझ रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि बाघों को यह चुनौती ऐसे शिकारी वन्यजीव से मिल रही है, जो उसके सामने कहीं नहीं ठहरते और अक्सर बाघ की मौजूदगी में ये वन्यजीव अपना रास्ता बदल लेते हैं. जानिए राजाजी टाइगर रिजर्व में दो शिकारी वन्यजीवों के बीच की जंग की हकीकत.

Number of tigers decreasing in Uttarakhand उ
प्रोजेक्ट टाइगर के लिए खतरा बने गुलदार (photo- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 4, 2024, 12:58 PM IST

Updated : Jul 4, 2024, 3:27 PM IST

प्रोजेक्ट टाइगर के लिए खतरा बना ये वन्य जीव (video-ETV Bharat)

देहरादून: यूं तो राजाजी पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इसका पश्चिमी क्षेत्र आज भी बाघों को लेकर तरस रहा है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार प्रोजेक्ट टाइगर के माध्यम से इस क्षेत्र की वीरानी को मिटाना चाहती है. लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं है. इसकी वजह यहां पहले से ही वर्चस्व स्थापित कर चुके वह गुलदार हैं, जिनकी इस क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या मौजूद है. ताकतवर बाघ के मुकाबले गुलदार को लेकर ये बातें अटपटी लगती हैं, लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व की यही सच्चाई है.

राजाजी में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत ये हुआ काम: राजाजी टाइगर रिजर्व का पश्चिमी हिस्सा टाइगर की मौजूदगी वाला नहीं रहा है. हैरानी की बात यह है कि टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में टाइगर्स की अच्छी संख्या है, जबकि पश्चिमी क्षेत्र में टाइगर कभी आना ही पसंद नहीं करते. इसकी क्या वजह रही यह कहना मुश्किल है, लेकिन आंकड़ों के रूप में देखें तो राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में करीब 40 से 50 बाघ मौजूद हैं. दूसरी तरफ पश्चिमी हिस्से में प्रोजेक्ट टाइगर के शुरू होने से पहले मात्र 4 से 5 टाइगर ही विचरण कर रहे थे, जो अब बढ़कर करीब 12 हो गए हैं. राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों को लाने के लिए NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया. दिसंबर 2020 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पहला बाघ लाया गया. इसके बाद जनवरी 2021 में दूसरे बाघ को ट्रांसलोकेट किया गया. इस तरह अब तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व में चार बाघ लाए जा चुके हैं, जबकि जल्द ही एक और बाघ लाने की तैयारी है.

राजाजी टाइगर रिजर्व में गुलदार बने चुनौती: राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए गुलदार खतरा बन गए हैं. दरअसल इस पूरे क्षेत्र में गुलदार अच्छी खासी संख्या मौजूद है. इसके विपरीत बाघ सीमित संख्या में ही यहां विचरण कर रहे हैं. हाल ही में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत चार बाघ यहां लाए गए हैं. जिसके बाद इस क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. लेकिन पिछले दिनों हुई एक घटना ने प्रोजेक्ट टाइगर को बड़ा झटका दिया है. पिछले दिनों एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया था. शिकार के लिए बाघिन के कुछ दूर निकलने पर गुलदार ने दो शावकों को मार दिया. शावकों के शव वन विभाग ने जंगल से ही बरामद किए हैं. इस तरह इस क्षेत्र में काफी संख्या में मौजूद गुलदार, बाघों के कुनबे के लिए मुसीबत बन गए हैं. गुलदार की संख्या अच्छी खासी होने के कारण बाघिन और उसके शावकों से इनका आमना-सामना होने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में छुपकर वार करने वाला गुलदार शावकों के लिए हर समय परेशानी बन सकता है. हालांकि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ डॉ. समीर सिन्हा कहते हैं कि यह जंगल में प्राकृतिक संयोग है कि इस तरह की घटना राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई है, जिसके कारण दो शावक मारे गए हैं. संभवत बाघिन शिकार के लिए निकली थी और इस दौरान घात लगाए गुलदार ने शावकों को मार दिया.

बाघों के इलाके से पलायन कर जाते हैं गुलदार: राजाजी टाइगर रिजर्व में भले ही गुलदार बाघों के सर्वाइव (survive) के लिए मुसीबत बन रहे हों, लेकिन हकीकत ये है कि जहां टाइगर अच्छी खासी संख्या में होते हैं, वहां से गुलदार पलायन कर जाते हैं. उत्तराखंड में फिलहाल कुल 560 बाघ मौजूद हैं, जबकि गुलदारों की संख्या राज्य में करीब 3,115 बताई गई है. इस तरह देखें तो उत्तराखंड में बाघ के मुकाबले गुलदार काफी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन देखा गया है कि जिन इलाकों में बाघों की संख्या ज्यादा है, वहां गुलदार जंगलों से बाहर निकल जाते हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और इसके आसपास के क्षेत्र इसका एक बड़ा उदाहरण है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन दोनों ही शिकारी वन्यजीवों के आमने-सामने आने पर बाघ गुलदार का भी शिकार कर देते हैं. जिससे कम ताकतवर होने के कारण गुलदार बाघों के रास्ते से अलग रहना ही पसंद करते हैं. लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व में अब तक गुलदारों का ही राज रहा है. इसलिए अब बाघों की संख्या बढ़ने पर इनका आमना-सामना भी हो रहा है.

जंगल राज में इन हालातों पर वन महकमा भी लाचार: राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों की संख्या बढ़ाने के इस कार्यक्रम के लिए गुलदार खतरा हैं, तो वन महकमा इसको लेकर लाचार है. दरअसल जंगल के अंदर वन्यजीवों की इस एक्टिविटी पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. उधर बच्चों को लेकर बेहद संवेदनशील बाघिन को करीब से मॉनिटर भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने पर बाघिन आक्रामक हो सकती है और वनकर्मियों के लिए भी खतरा हो सकता है. लिहाजा बाघिन को खुद ही पूरी तरह शावकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी होगी और इस पर वन महकमा भी उसकी ज्यादा मदद नहीं कर सकता.

बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कार्यक्रम तैयार: हालांकि राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में भी गुलदार या बाघों के लिए खाने की कोई कमी नहीं है और यहां पर्याप्त संख्या में वन्य जीव मौजूद हैं. शायद यही कारण है कि इस क्षेत्र में भी बाघों को लाने और इनकी संख्या बढ़ाने का कार्यक्रम तैयार किया गया. अब न केवल उत्तराखंड वन विभाग बल्कि NTCA जैसे संस्थानों की भी नजर बाघों की संख्या बढ़ाने वाले इस कार्यक्रम पर है.

ये भी पढ़ें-

प्रोजेक्ट टाइगर के लिए खतरा बना ये वन्य जीव (video-ETV Bharat)

देहरादून: यूं तो राजाजी पार्क को टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इसका पश्चिमी क्षेत्र आज भी बाघों को लेकर तरस रहा है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार प्रोजेक्ट टाइगर के माध्यम से इस क्षेत्र की वीरानी को मिटाना चाहती है. लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं है. इसकी वजह यहां पहले से ही वर्चस्व स्थापित कर चुके वह गुलदार हैं, जिनकी इस क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या मौजूद है. ताकतवर बाघ के मुकाबले गुलदार को लेकर ये बातें अटपटी लगती हैं, लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व की यही सच्चाई है.

राजाजी में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत ये हुआ काम: राजाजी टाइगर रिजर्व का पश्चिमी हिस्सा टाइगर की मौजूदगी वाला नहीं रहा है. हैरानी की बात यह है कि टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में टाइगर्स की अच्छी संख्या है, जबकि पश्चिमी क्षेत्र में टाइगर कभी आना ही पसंद नहीं करते. इसकी क्या वजह रही यह कहना मुश्किल है, लेकिन आंकड़ों के रूप में देखें तो राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्वी हिस्से में करीब 40 से 50 बाघ मौजूद हैं. दूसरी तरफ पश्चिमी हिस्से में प्रोजेक्ट टाइगर के शुरू होने से पहले मात्र 4 से 5 टाइगर ही विचरण कर रहे थे, जो अब बढ़कर करीब 12 हो गए हैं. राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों को लाने के लिए NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया. दिसंबर 2020 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पहला बाघ लाया गया. इसके बाद जनवरी 2021 में दूसरे बाघ को ट्रांसलोकेट किया गया. इस तरह अब तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व में चार बाघ लाए जा चुके हैं, जबकि जल्द ही एक और बाघ लाने की तैयारी है.

राजाजी टाइगर रिजर्व में गुलदार बने चुनौती: राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए गुलदार खतरा बन गए हैं. दरअसल इस पूरे क्षेत्र में गुलदार अच्छी खासी संख्या मौजूद है. इसके विपरीत बाघ सीमित संख्या में ही यहां विचरण कर रहे हैं. हाल ही में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत चार बाघ यहां लाए गए हैं. जिसके बाद इस क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. लेकिन पिछले दिनों हुई एक घटना ने प्रोजेक्ट टाइगर को बड़ा झटका दिया है. पिछले दिनों एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया था. शिकार के लिए बाघिन के कुछ दूर निकलने पर गुलदार ने दो शावकों को मार दिया. शावकों के शव वन विभाग ने जंगल से ही बरामद किए हैं. इस तरह इस क्षेत्र में काफी संख्या में मौजूद गुलदार, बाघों के कुनबे के लिए मुसीबत बन गए हैं. गुलदार की संख्या अच्छी खासी होने के कारण बाघिन और उसके शावकों से इनका आमना-सामना होने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में छुपकर वार करने वाला गुलदार शावकों के लिए हर समय परेशानी बन सकता है. हालांकि पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ डॉ. समीर सिन्हा कहते हैं कि यह जंगल में प्राकृतिक संयोग है कि इस तरह की घटना राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई है, जिसके कारण दो शावक मारे गए हैं. संभवत बाघिन शिकार के लिए निकली थी और इस दौरान घात लगाए गुलदार ने शावकों को मार दिया.

बाघों के इलाके से पलायन कर जाते हैं गुलदार: राजाजी टाइगर रिजर्व में भले ही गुलदार बाघों के सर्वाइव (survive) के लिए मुसीबत बन रहे हों, लेकिन हकीकत ये है कि जहां टाइगर अच्छी खासी संख्या में होते हैं, वहां से गुलदार पलायन कर जाते हैं. उत्तराखंड में फिलहाल कुल 560 बाघ मौजूद हैं, जबकि गुलदारों की संख्या राज्य में करीब 3,115 बताई गई है. इस तरह देखें तो उत्तराखंड में बाघ के मुकाबले गुलदार काफी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन देखा गया है कि जिन इलाकों में बाघों की संख्या ज्यादा है, वहां गुलदार जंगलों से बाहर निकल जाते हैं. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और इसके आसपास के क्षेत्र इसका एक बड़ा उदाहरण है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन दोनों ही शिकारी वन्यजीवों के आमने-सामने आने पर बाघ गुलदार का भी शिकार कर देते हैं. जिससे कम ताकतवर होने के कारण गुलदार बाघों के रास्ते से अलग रहना ही पसंद करते हैं. लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व में अब तक गुलदारों का ही राज रहा है. इसलिए अब बाघों की संख्या बढ़ने पर इनका आमना-सामना भी हो रहा है.

जंगल राज में इन हालातों पर वन महकमा भी लाचार: राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों की संख्या बढ़ाने के इस कार्यक्रम के लिए गुलदार खतरा हैं, तो वन महकमा इसको लेकर लाचार है. दरअसल जंगल के अंदर वन्यजीवों की इस एक्टिविटी पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. उधर बच्चों को लेकर बेहद संवेदनशील बाघिन को करीब से मॉनिटर भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने पर बाघिन आक्रामक हो सकती है और वनकर्मियों के लिए भी खतरा हो सकता है. लिहाजा बाघिन को खुद ही पूरी तरह शावकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी होगी और इस पर वन महकमा भी उसकी ज्यादा मदद नहीं कर सकता.

बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कार्यक्रम तैयार: हालांकि राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी हिस्से में भी गुलदार या बाघों के लिए खाने की कोई कमी नहीं है और यहां पर्याप्त संख्या में वन्य जीव मौजूद हैं. शायद यही कारण है कि इस क्षेत्र में भी बाघों को लाने और इनकी संख्या बढ़ाने का कार्यक्रम तैयार किया गया. अब न केवल उत्तराखंड वन विभाग बल्कि NTCA जैसे संस्थानों की भी नजर बाघों की संख्या बढ़ाने वाले इस कार्यक्रम पर है.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Jul 4, 2024, 3:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.