रांची: 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को रोजगार और अनुबंध कर्मियों के समायोजन से जुड़े वादों को लेकर जारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के निश्चय पत्र पर सीएम हेमंत सोरेन से जवाब के लिए अड़ी भाजपा ने एक नया दांव खेल दिया है. नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा के प्रभारी सचिव को विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए संकल्प की सूचना दी है.
नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि हेमंत सरकार के इशारे पर भाजपा के 18 विधायकों को निलंबित कर दिया गया. विधानसभा के अध्यक्ष ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और मुख्यमंत्री के हित की रक्षा करते हुए सरकार के इशारे पर झामुमो के एक विधायक सुदिव्य कुमार के द्वारा लाए गए निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया है.
आमतौर पर ऐसा प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री सदन में लाते हैं. ऐसे मामलों में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक होती है, जो नहीं हुई. नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने पद का सही रूप से निर्वहन नहीं करते हुए पांच वर्ष तक अध्यक्ष की भूमिका में कम, झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता के रूप में ज्यादा कार्य किया. उसका प्रमाण है विधानसभा अध्यक्ष रहते 2024 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्र में झामुमो का झंडा लगाकर प्रत्याशी नलिन सोरेन के पक्ष में चुनाव प्रचार करना.
नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा है कि झारखंड उच्च न्यायालय की बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने के लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश हेमंत सरकार को दिया था. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय को भी नहीं छोड़ा और सार्वजनिक रूप से कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का कोई मामला ही नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि अध्यक्ष पद पर रहते हुए करीब 4 साल तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों की पूरे सत्र के दौरान एक भी ध्यानाकर्षण की सूचना नहीं ली.
अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए लगातार केंद्र सरकार की आलोचना की. यहां तक कि भाजपा के गोड्डा सांसद पर व्यक्तिगत बयान दिया. सदन में चर्चा कर झामुमो और कांग्रेस के विधायकों को उकसाने का काम किया. भाजपा विधायकों पर झूठा आरोप लगाया कि विधायकों ने महिला एवं पुरुष मार्शलों के साथ दुर्व्यवहार किया है. इससे आहत होकर हम सभी भाजपा विधायक सक्षम न्यायालय में विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करेंगे.
2019 के विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के वादों पर जवाब दिलाने के लिए कहने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के साथ रुखा, कड़ा और दुर्व्यवहार किया. इसको विधानसभा के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है. इससे साबित होता है कि विधानसभा अध्यक्ष अपने पद के संवैधानिक निर्वहन में असफल है और झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के अनुरूप सभा कार्य का संचालन नहीं कर रहे हैं. इसलिए उनको अध्यक्ष के पद से हटाया जाए. प्रभारी सचिव को प्रेषित पत्र में बाबूलाल मरांडी समेत भाजपा के 22 विधायकों ने हस्ताक्षर किया है.
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