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ममता चंद्राकर ने लता मंगेशकर को परोसी थी कढ़ी, छत्तीसगढ़ से स्वर कोकिला का रहा गहरा नाता

Lata Mangeshkar भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 6 फरवरी को दूसरी पुण्यतिथि है.पूरा देश स्वर कोकिला को याद कर रहा है.वैसे तो लता मंगेशकर की ख्याति पूरे विश्व में मशहूर थी.लेकिन छत्तीसगढ़ से लता मंगेशकर का खास नाता रहा है.राजनांदगांव के खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय ने लता मंगेशकर को डी लिट की उपाधि से नवाजा था.Khairagarh Music University of Chhattisgarh.

Khairagarh Music University
छत्तीसगढ़ से स्वर कोकिला का रहा गहरा नाता
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 6, 2024, 4:53 PM IST

राजनांदगांव : 6 फरवरी के दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने इस दुनिया को अलविदा कहा था.इस दिन लता मंगेशकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है.लता मंगेशकर को कलाकार और पूरी दुनिया लता दीदी के नाम से भी पुकारती थी.अपने करियर में लता दीदी ने 50 हजार से भी ज्यादा अलग-अलग भाषाओं में गाने गाए थे. 30 से ज्यादा भाषाओं में गाना गाने वाली अकेली कलाकार लता मंगेशकर ही थीं. भारत के साथ दूसरे देशों में भी लता मंगेशकर की जादुई आवाज लोगों के कानों में रस घोला करती थी.यही वजह रही कि लता मंगेशकर को इंडस्ट्री के बड़े अवॉर्ड्स मिले.

Lata Mangeshkar
ममता चंद्राकर और लता मंगेशकर एक साथ

कई बड़े सम्मान लता दीदी के नाम: देश के बड़े सम्मान में भी लता मंगेशकर का नाम अंकित किया गया. लता मंगेशकर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित किया गया.साथ ही साथ लता मंगेशकर ने 3 नेशनल अवॉर्ड भी जीते.लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लता मंगेशकर शुरु से ही सिंगर नहीं थी.बल्कि गायकी की दुनिया में आने से पहले वो एक्टिंग के जरिए लोगों के बीच पहुंची.साल 1942 में लता मंगेशकर ने एक्टर के तौर पर करियर की शुरुआत की थी. 1942 से लेकर 1948 तक लता मंगेशकर ने कुल 8 फिल्मों में काम किया है.

Lata Mangeshkar
लता मंगेशकर को दी गई थी डी लिट् की मानद उपाधि

छत्तीसगढ़ से लता मंगेशकर का नाता : देश और दुनिया में स्वर कोकिला के नाम से मशहूर भारत रत्न दिवंगत स्वर्गीय लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से पुराना नाता रहा है. लता मंगेशकर की नजरों में ये विश्वविद्यालय कला और संगीत का गुरुकुल था. 2 फरवरी 1980 को लता मंगेशकर छत्तीसगढ़ के इस संगीत विश्वविद्यालय में आईं थी.उस दौरान विश्वविद्यालय ने लता मंगेशकर को डी.लिट् की मानद उपाधि से विभूषित किया था. वर्तमान में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति और प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर उस वक्त इस विश्वविद्यालय में शास्त्रीय गायन विषय की छात्रा थीं.

Lata Mangeshkar
संगीत विश्वविद्यालय की इमारत

ममता चंद्राकर ने लता मंगेशकर को परोसा था खाना : लता मंगेशकर के प्रवास के दौरान अतिथियों को छात्र-छात्राओं ने भोजन परोसा था. भोजन परोसने वालों में ममता चंद्राकर भी शामिल थीं. ममता चंद्राकर ने लता जी को कढ़ी परोसा था. स्वरकोकिला ने चाव के साथ कढ़ी चावल का आनंद लिया था. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से अलग होकर अब खैरागढ़-छुईखदान-गंडई नया जिला बन गया है. बावजूद इसके संगीत विश्वविद्यालय की रौनक में जरा भी कमी नहीं आई है. आज भी इस यूनिवर्सिटी से ढेरों छात्र संगीत की दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं.

राजनांदगांव : 6 फरवरी के दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने इस दुनिया को अलविदा कहा था.इस दिन लता मंगेशकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है.लता मंगेशकर को कलाकार और पूरी दुनिया लता दीदी के नाम से भी पुकारती थी.अपने करियर में लता दीदी ने 50 हजार से भी ज्यादा अलग-अलग भाषाओं में गाने गाए थे. 30 से ज्यादा भाषाओं में गाना गाने वाली अकेली कलाकार लता मंगेशकर ही थीं. भारत के साथ दूसरे देशों में भी लता मंगेशकर की जादुई आवाज लोगों के कानों में रस घोला करती थी.यही वजह रही कि लता मंगेशकर को इंडस्ट्री के बड़े अवॉर्ड्स मिले.

Lata Mangeshkar
ममता चंद्राकर और लता मंगेशकर एक साथ

कई बड़े सम्मान लता दीदी के नाम: देश के बड़े सम्मान में भी लता मंगेशकर का नाम अंकित किया गया. लता मंगेशकर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित किया गया.साथ ही साथ लता मंगेशकर ने 3 नेशनल अवॉर्ड भी जीते.लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लता मंगेशकर शुरु से ही सिंगर नहीं थी.बल्कि गायकी की दुनिया में आने से पहले वो एक्टिंग के जरिए लोगों के बीच पहुंची.साल 1942 में लता मंगेशकर ने एक्टर के तौर पर करियर की शुरुआत की थी. 1942 से लेकर 1948 तक लता मंगेशकर ने कुल 8 फिल्मों में काम किया है.

Lata Mangeshkar
लता मंगेशकर को दी गई थी डी लिट् की मानद उपाधि

छत्तीसगढ़ से लता मंगेशकर का नाता : देश और दुनिया में स्वर कोकिला के नाम से मशहूर भारत रत्न दिवंगत स्वर्गीय लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से पुराना नाता रहा है. लता मंगेशकर की नजरों में ये विश्वविद्यालय कला और संगीत का गुरुकुल था. 2 फरवरी 1980 को लता मंगेशकर छत्तीसगढ़ के इस संगीत विश्वविद्यालय में आईं थी.उस दौरान विश्वविद्यालय ने लता मंगेशकर को डी.लिट् की मानद उपाधि से विभूषित किया था. वर्तमान में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति और प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर उस वक्त इस विश्वविद्यालय में शास्त्रीय गायन विषय की छात्रा थीं.

Lata Mangeshkar
संगीत विश्वविद्यालय की इमारत

ममता चंद्राकर ने लता मंगेशकर को परोसा था खाना : लता मंगेशकर के प्रवास के दौरान अतिथियों को छात्र-छात्राओं ने भोजन परोसा था. भोजन परोसने वालों में ममता चंद्राकर भी शामिल थीं. ममता चंद्राकर ने लता जी को कढ़ी परोसा था. स्वरकोकिला ने चाव के साथ कढ़ी चावल का आनंद लिया था. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से अलग होकर अब खैरागढ़-छुईखदान-गंडई नया जिला बन गया है. बावजूद इसके संगीत विश्वविद्यालय की रौनक में जरा भी कमी नहीं आई है. आज भी इस यूनिवर्सिटी से ढेरों छात्र संगीत की दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं.

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