श्रीनगर: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लैंटाना (लैंटाना कैमरा) तेजी से फैल रही है. भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में लैंटाना लगभग 24 प्रतिशत वन क्षेत्र में फैल चुका है. लैंटाना वन क्षेत्र की जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहा है. लैंटाना केवल वन क्षेत्र को ही नहीं, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में खेती को भी प्रभावित कर रहा है. ऐसी में गढ़वाल विश्वविद्यालय के हैप्रेक (उच्च हिमालयी पादप शोध संस्थान) के वैज्ञानिकों ने पहाड़ों में खेती के लिए अभिशाप बने लैंटाना का एक बेहद कारगर उपयोग खोज निकाला है, जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
लैंटाना का उत्पादन, फिल्ट्रेशन कमाई का जरिया: गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि लैंटाना के पत्तों से निकाले गए तेल का कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जा सकता है. साथ ही इससे सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है. इसके इस्तेमाल से उत्तराखंड के किसान, बेरोजगार युवा आमदनी कर सकते हैं. इसका उत्पादन, फिल्ट्रेशन आमदनी का अच्छा जरिया है.
लैंटाना से ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा: हैप्रेक संस्था के शोधार्थी जयदेव चौहान ने ईटीवी भारत से बात चीत करते हुए बताया पहाड़ो में लैंटाना खेती खत्म करने के साथ ही जैव विविधता को भी नुकसान पहुंचा रहा है. इससे खेती बड़ी तेजी के साथ बर्बाद हो रही है .ऐसे में लैंटाना पर शोध के दौरान पता चला है कि इसके पत्तों से निकलने वाला तेल फसल में कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इसका तेल ऑर्गेनिक कीटनाशक का काम करता है. जयदेव बताते हैं कि अगर लैंटाना से निकलने वाले तेल का प्रयोग फसलों में कीटनाशक के रूप में किया जाए, तो इससे धीरे-धीरे उपयोग कर इसके फैलाव को कम किया जा सकता है. साथ ही, किसान जो खेती में केमिकल वाले कीटनाशक का प्रयोग करते हैं, उसकी जगह लैंटाना के तेल का प्रयोग कर ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, किसान लैंटाना के तेल से अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
हजारों रुपये प्रति लीटर बिकता तेल: लैंटाना के तेल की कीमत बाजार में लगभग 5,000 रुपये प्रति लीटर है. किसान एक छोटे लघु उद्योग के रूप में ऑयल कलेक्शन यूनिट स्थापित करें, तो इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसकी यूनिट लगाने के लिए भी किसान को मात्र 1500 0रुपये तक कि मसिने लगानी पड़ती है. इसके पत्तों का तेल निकालने से पहले उन्हें दो घंटे तक धूप में सुखाना पड़ता है. जिसके बाद इसके सूखे पत्तों का तेल निकाल लिया जाता है. यह तेल कम मात्रा में ही निकलता है.
कीटनाशक से साथ ही बनाये जा रहे दूसरे प्रोडक्ट: कीटनाशक के रूप में प्रयोग करने के लिए, लैंटाना के 1 मिलीलीटर तेल को 20 लीटर पानी में घोलकर इसका छिड़काव किया जा सकता है. इस घोल का उपयोग फसल, अमरूद, अनार और अन्य फलदार पौधों पर भी किया जा सकता है. इसके उपयोग से फलों और सब्जियों में कीड़े नहीं लगते हैं. लैंटाना तेल का उपयोग केवल कीटनाशक के रूप में ही नहीं, बल्कि सौंदर्य प्रसाधन और मालिश के उत्पादों को बनाने के लिए भी किया जा रहा है. इसलिए धीरे धीरे बाजार में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. जिसके चलते इसकी कीमतों में भी वृद्धि हो रही है. लैंटाना का औद्योगिक उपयोग कर पहाड़ों में इसके फैलाव को भी रोका जा सकता है. खेती के लिए अभिशाप मानी जाने वाली लैंटाना घास किसानों की आर्थिकी का एक बेहतर जरिया बन सकती है.
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