मथुरा: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद के मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपत्ति दाखिल करें. श्री कृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी मामलों की इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही सुनवाई की जाएगी.
श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर मुस्लिम पक्ष ने 14 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले 23 मई 2023 को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी चाहिए. यह उनके विषय हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े हुए 18 मामले विचाराधीन हैं. जो हिंदू संगठन और अधिवक्ता द्वारा दायर किए गए हैं.
याचिका में क्या की गई थी मांग: श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के बीच 1974 में हुए डिक्री समझौते को रद किया जाए. मंदिर परिसर में बने अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाए. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट केशव कटरा मंदिर की जमीन पर बना हुआ है. जमीन का मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के पास है तो अधिकार भी ट्रस्ट के पास ही होना चाहिए. डिक्री करने का अधिकार दोनों संस्था को नहीं है. इसलिए इसे रद किया जाए.
अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्रीकृष्ण जन्म स्थान का भाग है. मौके के मुताबिक वाली जो संपत्ति है, कुल संपत्ति का खेवट नंबर 255, खसरा संख्या 825 है, इसमें ईदगाह शामिल है उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मलकियत के रूप में दर्ज है. प्रॉपर्टी हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका, अब नगर निगम की सीमा के अंदर है.
नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मलकियत से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है, कोर्ट में कोई दस्तावेज जमा नहीं कराए हैं.
क्या है मौजूदा स्थिति: श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर 2020 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई, जिसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया.
अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त मंदिर बनाया जाए. बनारस के राजा पटनी मल ने खरीदी थी जमीन ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीदा.
1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर दुखित हुए स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा था कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को पत्र लिखकर जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा था.
कब बना मंदिर: 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना हुई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईद का मस्जिद कमेटी द्वारा किया गया. मांग की गई है कि 1974 में हुई डिक्री को रद किया जाए.
मंदिर परिसर में बने अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाए. क्योंकि श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद को डिग्री करने का कोई अधिकार नहीं है. मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के पास है.
अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने याचिका दाखिल की थी. 11 जनवरी को ऑर्डर हुआ था. सभी याचिका पर संयुक्त सुनवाई की जाएगी. उसे ऑर्डर के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी.
उस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि आप वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट में जाएं. वहीं पर ही सभी मामले की सुनवाई होगी. यह हाईकोर्ट का विषय है. सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाह से जुड़े हुए मामले की पैरवी करें.
श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष पांडेय ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत अच्छा फैसला सुनाया है. सनातन धर्म की जीत हुई है. मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की गई है. हिंदू धर्म की जीत हुई है. अब श्री कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े सभी मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुने जाएंगे. अयोध्या हमारी हो चुकी है, अब मथुरा की बारी है.