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कोटा कोचिंग संचालक नितिन विजय आज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे रिट, रखेंगे ये मांग - NEET UG 2024 CONTROVERSY

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 10, 2024, 11:41 AM IST

NEET UG 2024 CONTROVERSY, NEET UG 2024 की परीक्षा को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कैंडिडेट्स पहले ही आपत्ति जता चुके हैं. अब करीब 20 हजार कैंडिडेट्स कोटा के शिक्षाविद नितिन विजय के जरिए सुप्रीम कोर्ट को अपनी अर्जी देने वाले हैं. इसमें उन्होंने मांग की है कि नीट दोबारा हो या फिर ग्रेसिंग मार्क को खत्म कर दिया जाए.

NEET UG 2024 CONTROVERSY
नीट परीक्षा में घोटाला (Photo : Etv bharat)

कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की NEET UG 2024 परीक्षा विवादों के घेरे में है. इस परीक्षा को कई कैंडिडेट और फैकल्टी नीट स्कैम नाम दे रहे हैं. करीब 20 हजार कैंडिडेट्स ने कोटा के शिक्षाविद नितिन विजय के जरिए सुप्रीम कोर्ट के लिए अपनी अर्जी दी है. इसमें उन्होंने मांग की है कि नीट दोबारा हो या ग्रेसिंग मार्क खत्म किया जाए. यह अर्जी मोशन एजुकेशन के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे. नितिन विजय का कहना है कि नीट यूजी एक्जाम में अनियमितताओं को लेकर चलाए जा रहे डिजिटल सत्याग्रह के तहत करीब बीस हजार स्टूडेंट्स ने अपनी शिकायत दी है.

एनटीए के माहौल में पारदर्शिता नहीं : नितिन विजय ने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी-एनटीए माने या न माने, पेपर में चीटिंग हुई है और यह क्लियर है. एनटीए ने बहुत से स्टूडेंट्स के साथ अन्याय किया है. इसके खिलाफ स्टूडेंट्स के साथ मिलकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा. इस मामले में हम शनिवार को एनटीए के दफ्तर में भी स्टूडेंट्स की शिकायत लेकर पहुंचे. वहां तनाव साफ़ देखा जा सकता था और माहौल में पारदर्शिता नजर नहीं आ रही थी. काफी जद्दोजहद के बाद एनटीए के एक सीनियर अधिकारी ने नीट विद्यार्थियों की शिकायत ली. इसकी कोई रसीद भी नहीं दी गई. एनटीए स्टाफ और सुरक्षा अधिकारियों को इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग पर भी आपत्ति थी. वहां एक छात्रा अभिभावकों के साथ नजर आई. उसको मार्कशीट में 605 नंबर आए थे जबकि उसका कहना था कि ओएमआर शीट में उसके 652 नंबर आ रहे थे. ओएमआर शीट की पीडीएफ ऑनलाइन नजर नहीं आ रही है. एनटीए स्टाफ बता रहा था कि ओएमआर शीट में आग लग गई, इसलिए ऐसा हुआ. बाद में हंगामे जैसी स्थति के बाद उसे ओएमआर शीट दिखाई गई लेकिन स्टाफ ने हमारी टीम को उससे बात नहीं करने दी.

इसे भी पढ़ें : नीट यूजी 2024 को लेकर जारी है विरोध, NTA झेल रही चौतरफा हमला - NEET UG Controversy

एनटीए के पास ग्रेस नंबर देने का ठोस आधार नहीं : 2018 के कोर्ट के जिस फैसले के आधार पर एनटीए ने यह ग्रेस नंबर दिए हैं, उसमें ऊपर ही ऊपर लिखा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग के मामले में यह लागू नहीं होगा. किस स्टूडेंट का कितना समय बर्बाद हुआ, एनटीए ने यह सेंटर पर लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर तय किया है लेकिन पूरी टीम भी यह फुटेज देखने में लगे तो दो साल लग जाएंगे. इसलिए एनटीए की ओर से टाइम लूज होने पर ग्रेस नंबर देने का कोई आधार या तर्क नहीं है.

इसे भी पढ़ें : NEET UG 2024: NSUI ने की परीक्षा रद्द कर CBI जांच की मांग, छेड़ा हस्ताक्षर अभियान - demand of CBI inquiry by NSUI

ग्रेस मार्क्स पर आपत्ति : नितिन विजय ने बताया कि ग्रेस मार्क्स की वजह से इतने ज्यादा कैंडिडेट टॉपर की लिस्ट तक पहुंच गए. कई कैंडिडेट के मार्क्स अच्छे होकर भी उनकी रैंकिंग काफी नीचे हो गई. याचिका में ग्रेस मार्क्स पर कई सवाल उठाए गए हैं. जैसे-एनटीए ने सेंटर्स पर सीसीटीवी फुटेज, वहां के कर्मचारियों की रिपोर्ट और कैंडिडेट की एफिशिएंसी के आधार पर ग्रेस मार्क्स देने की बात कही है, लेकिन इसके लिए क्या नियम या फॉर्मूला लगाया, नंबर किस आधार पर दिए, यह समझ से परे है. उदाहरण के लिए किसी स्टूडेंट का 15 मिनट पेपर लेट हुआ तो उसे मिनट के हिसाब से मार्क्स दिए गए या फिर कोई और तरीका निकाला गया, यह स्पष्ट नहीं है. केवल यह कह दिया गया है कि बच्चों का पेपर लेट हुआ. उनके लेट होने के समय और एक्यूरेसी के आधार पर ग्रेसिंग मार्क्स दिए गए. इसमें विसंगति यह है कि पेपर में कैंडिडेट सबसे पहले आसान सवाल ही सॉल्व करता है और नीट में तो आमतौर पर सबसे पहले बायोलॉजी का ही पेपर सॉल्व करते हैं. सबसे ज्यादा समय और एफर्ट लास्ट में और हार्ड सवालों में लगता है. फिर शुरुआती समय के आधार पर कैंडिडेट की बाद की एफिशिएंसी को कैसे जांचा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : कोई पेपर लीक नहीं हुआ, पूरी परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी: NTA महानिदेशक - NEET Exam Paper Leak

कैंडिडेट्स के ये सवाल उठाए हैं इस याचिका में :

  • इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 कैंडिडेट रहें. पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे आ गए ?
  • कैंडिडेट को 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए गए ? क्योंकि कैंडिडेट सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक मिलते.
  • एनटीए की तरफ से 14 जून को रिजल्ट जारी होने की संभावित डेट बताई गई थी, लेकिन 10 दिन पहले ही चार जून की शाम को परिणाम जारी कर दिया गया. इसकी क्या वजह है?
  • एक सेंटर से 8 स्टूडेंट्स की फर्स्ट रैंक कैसे आ गई. झज्जर (हरियाणा) वाले एक सेंटर के 8 कैंडिडेट टॉप-100 में हैं. इनमें से 6 की पहली रैंक आई. खास बात यह है कि इनके रोल नंबर की सीक्वेंस एक ही है. उनके फॉर्म एक साथ भरे गए हैं और एक ही सेंटर है. इसके अलावा मेघालय, बहादुरगढ़ (हरियाणा), दंतेवाड़ा, बालोद (छत्तीसगढ़‌), सूरत (गुजरात) और चंडीगढ़ से भी शिकायतें हैं. कुल मिलकर इसमें बड़ा ब्लंडर हुआ है.
  • नीट की कट ऑफ बहुत अधिक बढ़ोतरी क्यों हुई? इसमें एक ही साल में 27 अंकों का बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह रिकॉर्ड है. पिछले साल जहां 605 नंबर पर 26 हजार 485 कैंडिडेट थे, इस साल वे 76 हजार कैसे हो गए. यह समझ से बाहर की बात है कि एक ही साल में बच्चे एक साथ तीन गुना इंटेलीजेंट कैसे हो गए.
  • नितिन विजय ने बताया कि सवाल यह भी है कि ऑफलाइन पेपर में सीसीटीवी फुटेज या परीक्षा सेंटर में मौजूद कर्मियों के आधार पर कैसे स्टूडेंट्स की एक्यूरेसी निकाली जा सकती है.

इसे भी पढ़ें : ऑनलाइन होने वाले एग्जाम क्लेट के रूल को ऑफलाइन NEET UG में लागू करना गलत: डॉ. बृजेश माहेश्वरी - Protest over NEET UG results

ग्रेसिंग मार्क्स को लेकर एनटीए कोर्ट के निर्देश का हवाला दे रहा है. ये निर्देश क्लैट के लिए साल 2018 में दिए थे. वह ऑनलाइन एग्जाम था, जबकि नीट ऑफलाइन एग्जाम है. उस निर्देश का हवाला देते हुए ग्रेस मार्क्स देना कैसे सही हो सकता है. ग्रेस मार्क्स देने का नियम भी समझ नहीं आया. पेपर लेट बांटा गया तो टाइम ज्यादा देते, नंबर क्यों दिए. ग्रेस मार्क कोई जिक्र बुलेटिन में नहीं है. ग्रेस मार्क्स भी उन्हीं को मिले हैं, जिन्होंने शिकायत की. जिन बच्चों ने शिकायत नहीं की, उनका क्या कसूर है.

इसे भी पढ़ें : NEET के परिणाम पर मचा घमासान, अशोक गहलोत बोले- गड़बड़ी की आशंका, जांच करे केंद्र और NTA - Ashok gehlot on NEET Result

कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की NEET UG 2024 परीक्षा विवादों के घेरे में है. इस परीक्षा को कई कैंडिडेट और फैकल्टी नीट स्कैम नाम दे रहे हैं. करीब 20 हजार कैंडिडेट्स ने कोटा के शिक्षाविद नितिन विजय के जरिए सुप्रीम कोर्ट के लिए अपनी अर्जी दी है. इसमें उन्होंने मांग की है कि नीट दोबारा हो या ग्रेसिंग मार्क खत्म किया जाए. यह अर्जी मोशन एजुकेशन के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे. नितिन विजय का कहना है कि नीट यूजी एक्जाम में अनियमितताओं को लेकर चलाए जा रहे डिजिटल सत्याग्रह के तहत करीब बीस हजार स्टूडेंट्स ने अपनी शिकायत दी है.

एनटीए के माहौल में पारदर्शिता नहीं : नितिन विजय ने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी-एनटीए माने या न माने, पेपर में चीटिंग हुई है और यह क्लियर है. एनटीए ने बहुत से स्टूडेंट्स के साथ अन्याय किया है. इसके खिलाफ स्टूडेंट्स के साथ मिलकर हमारा संघर्ष जारी रहेगा. इस मामले में हम शनिवार को एनटीए के दफ्तर में भी स्टूडेंट्स की शिकायत लेकर पहुंचे. वहां तनाव साफ़ देखा जा सकता था और माहौल में पारदर्शिता नजर नहीं आ रही थी. काफी जद्दोजहद के बाद एनटीए के एक सीनियर अधिकारी ने नीट विद्यार्थियों की शिकायत ली. इसकी कोई रसीद भी नहीं दी गई. एनटीए स्टाफ और सुरक्षा अधिकारियों को इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग पर भी आपत्ति थी. वहां एक छात्रा अभिभावकों के साथ नजर आई. उसको मार्कशीट में 605 नंबर आए थे जबकि उसका कहना था कि ओएमआर शीट में उसके 652 नंबर आ रहे थे. ओएमआर शीट की पीडीएफ ऑनलाइन नजर नहीं आ रही है. एनटीए स्टाफ बता रहा था कि ओएमआर शीट में आग लग गई, इसलिए ऐसा हुआ. बाद में हंगामे जैसी स्थति के बाद उसे ओएमआर शीट दिखाई गई लेकिन स्टाफ ने हमारी टीम को उससे बात नहीं करने दी.

इसे भी पढ़ें : नीट यूजी 2024 को लेकर जारी है विरोध, NTA झेल रही चौतरफा हमला - NEET UG Controversy

एनटीए के पास ग्रेस नंबर देने का ठोस आधार नहीं : 2018 के कोर्ट के जिस फैसले के आधार पर एनटीए ने यह ग्रेस नंबर दिए हैं, उसमें ऊपर ही ऊपर लिखा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग के मामले में यह लागू नहीं होगा. किस स्टूडेंट का कितना समय बर्बाद हुआ, एनटीए ने यह सेंटर पर लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर तय किया है लेकिन पूरी टीम भी यह फुटेज देखने में लगे तो दो साल लग जाएंगे. इसलिए एनटीए की ओर से टाइम लूज होने पर ग्रेस नंबर देने का कोई आधार या तर्क नहीं है.

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ग्रेस मार्क्स पर आपत्ति : नितिन विजय ने बताया कि ग्रेस मार्क्स की वजह से इतने ज्यादा कैंडिडेट टॉपर की लिस्ट तक पहुंच गए. कई कैंडिडेट के मार्क्स अच्छे होकर भी उनकी रैंकिंग काफी नीचे हो गई. याचिका में ग्रेस मार्क्स पर कई सवाल उठाए गए हैं. जैसे-एनटीए ने सेंटर्स पर सीसीटीवी फुटेज, वहां के कर्मचारियों की रिपोर्ट और कैंडिडेट की एफिशिएंसी के आधार पर ग्रेस मार्क्स देने की बात कही है, लेकिन इसके लिए क्या नियम या फॉर्मूला लगाया, नंबर किस आधार पर दिए, यह समझ से परे है. उदाहरण के लिए किसी स्टूडेंट का 15 मिनट पेपर लेट हुआ तो उसे मिनट के हिसाब से मार्क्स दिए गए या फिर कोई और तरीका निकाला गया, यह स्पष्ट नहीं है. केवल यह कह दिया गया है कि बच्चों का पेपर लेट हुआ. उनके लेट होने के समय और एक्यूरेसी के आधार पर ग्रेसिंग मार्क्स दिए गए. इसमें विसंगति यह है कि पेपर में कैंडिडेट सबसे पहले आसान सवाल ही सॉल्व करता है और नीट में तो आमतौर पर सबसे पहले बायोलॉजी का ही पेपर सॉल्व करते हैं. सबसे ज्यादा समय और एफर्ट लास्ट में और हार्ड सवालों में लगता है. फिर शुरुआती समय के आधार पर कैंडिडेट की बाद की एफिशिएंसी को कैसे जांचा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : कोई पेपर लीक नहीं हुआ, पूरी परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी: NTA महानिदेशक - NEET Exam Paper Leak

कैंडिडेट्स के ये सवाल उठाए हैं इस याचिका में :

  • इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 कैंडिडेट रहें. पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे आ गए ?
  • कैंडिडेट को 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए गए ? क्योंकि कैंडिडेट सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक मिलते.
  • एनटीए की तरफ से 14 जून को रिजल्ट जारी होने की संभावित डेट बताई गई थी, लेकिन 10 दिन पहले ही चार जून की शाम को परिणाम जारी कर दिया गया. इसकी क्या वजह है?
  • एक सेंटर से 8 स्टूडेंट्स की फर्स्ट रैंक कैसे आ गई. झज्जर (हरियाणा) वाले एक सेंटर के 8 कैंडिडेट टॉप-100 में हैं. इनमें से 6 की पहली रैंक आई. खास बात यह है कि इनके रोल नंबर की सीक्वेंस एक ही है. उनके फॉर्म एक साथ भरे गए हैं और एक ही सेंटर है. इसके अलावा मेघालय, बहादुरगढ़ (हरियाणा), दंतेवाड़ा, बालोद (छत्तीसगढ़‌), सूरत (गुजरात) और चंडीगढ़ से भी शिकायतें हैं. कुल मिलकर इसमें बड़ा ब्लंडर हुआ है.
  • नीट की कट ऑफ बहुत अधिक बढ़ोतरी क्यों हुई? इसमें एक ही साल में 27 अंकों का बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह रिकॉर्ड है. पिछले साल जहां 605 नंबर पर 26 हजार 485 कैंडिडेट थे, इस साल वे 76 हजार कैसे हो गए. यह समझ से बाहर की बात है कि एक ही साल में बच्चे एक साथ तीन गुना इंटेलीजेंट कैसे हो गए.
  • नितिन विजय ने बताया कि सवाल यह भी है कि ऑफलाइन पेपर में सीसीटीवी फुटेज या परीक्षा सेंटर में मौजूद कर्मियों के आधार पर कैसे स्टूडेंट्स की एक्यूरेसी निकाली जा सकती है.

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ग्रेसिंग मार्क्स को लेकर एनटीए कोर्ट के निर्देश का हवाला दे रहा है. ये निर्देश क्लैट के लिए साल 2018 में दिए थे. वह ऑनलाइन एग्जाम था, जबकि नीट ऑफलाइन एग्जाम है. उस निर्देश का हवाला देते हुए ग्रेस मार्क्स देना कैसे सही हो सकता है. ग्रेस मार्क्स देने का नियम भी समझ नहीं आया. पेपर लेट बांटा गया तो टाइम ज्यादा देते, नंबर क्यों दिए. ग्रेस मार्क कोई जिक्र बुलेटिन में नहीं है. ग्रेस मार्क्स भी उन्हीं को मिले हैं, जिन्होंने शिकायत की. जिन बच्चों ने शिकायत नहीं की, उनका क्या कसूर है.

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