पटना : बिहार में छठे चरण का चुनाव संपन्न हो गया. आठ लोकसभा सीटों के लिए मतदाताओं ने वोट डाले. एनडीए के समक्ष अपने किले को बचाने की चुनौती है, तो महागठबंधन खाता खोलना चाहती है. वोटिंग प्रतिशत को देखकर राजनीतिक दल थोड़े सुकून में होंगे. छठे चरण में कुल मिलाकर 55.45 प्रतिशत वोटिंग दर्ज किया गया. 2019 के मुकाबले 3% कम मतदान दर्ज किया गया.
छठे चरण की टफ फाइट : छठे चरण का चुनाव कई दिग्गजों के लिए महत्वपूर्ण है. छठे चरण की सभी आठ सीटें फिलहाल एनडीए के पास हैं, लेकिन महागठबंधन की ओर से भी जोरअमाइश हुई है. छठे चरण के चुनाव में मुख्य रूप से पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, डॉ संजय जयसवाल, लवली आनंद, हिना शहाब और जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के भाग्य का फैसला होना है.
राधामोहन सिंह Vs राजेश कुशवाहा : पूर्वी चंपारण से छह बार सांसद रह चुके राधा मोहन सिंह को एनडीए ने उम्मीदवार बनाया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राधा मोहन सिंह 3 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल किए थे. राधा मोहन सिंह पिछले तीन टर्म से चुनाव जीत रहे हैं. इस बार भी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. राधा मोहन सिंह का मुकाबला विकासशील इंसान पार्टी उम्मीदवार राजेश कुशवाहा से है. राजेश कुशवाहा पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और महागठबंधन नेताओं को कुशवाहा वोट में सेंधमारी का भरोसा है.
पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में जहां तक जातिगत समीकरण की बात है, तो 27 प्रतिशत के साथ पिछड़ा वर्ग पहले स्थान पर और 14 प्रतिशत संख्या के बदौलत दलित महादलित के साथ मुस्लिम मतदाता हैं. इसके अलावा 10 प्रतिशत के साथ अतिपिछड़ा मतदाता तीसरे नंबर और भूमिहार मतदाता 8 प्रतिशत संख्या के साथ चौथे नंबर पर हैं. यादव और राजपूत मतदाताओं की संख्या 7 प्रतिशत है. वहीं ब्राह्मण और कायस्थ मतदाताओं की संख्या 5 प्रतिशत है. बाकी की अन्य जातियों की संख्या तीन प्रतिशत है.
क्या कहता है पूर्वी चंपारण का मतदान प्रतिशत : पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में 40.61% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था, तो 2024 में आंकड़ा बढ़कर 57.16% हो गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में 57.30 वोटिंग प्रतिशत रहा. 2019 के मुकाबले ये तीन प्रतिशत कम वोटिंग हुआ.
संजय जायसवाल Vs मदन मोहन तिवारी : पश्चिमी चंपारण से भाजपा ने डॉक्टर संजय जायसवाल को भारतीय जनता पार्टी ने फिर से मैदान में उतारा है. डॉक्टर संजय जयसवाल पिछले तीन टर्म से चुनाव जीते आ रहे हैं. पार्टी ने उन्हें चौथी बार मैदान में उतारा है. संजय जायसवाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में डॉक्टर संजय जायसवाल को 293906 वोटों से जीत हासिल हुई थी. संजय जायसवाल का मुकाबला कांग्रेस पार्टी के नेता मदन मोहन तिवारी से है. महागठबंधन को ब्राह्मण वोटों से उम्मीद है अगर सेंधमारी हुई तो लड़ाई टक्कर की हो सकती है.आपको बता दें कि संजय जयसवाल फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को भी चुनाव में शिकस्त दे चुके हैं.
पश्चिम चंपारण लोकसभा का जातिगत समीकरण : में वैश्य के वर्चस्व वाला सीट मानी जाती है. जातिगत समीकरण की अगर बात कर लें तो यहां मुस्लिम आबादी लगभग 310000 के आसपास है. वैश्य की आबादी लगभग ढाई लाख के आसपास है. यादव की ढाई लाख के आसपास हैं. ब्राह्मण वोटर 150000 के इर्द गिर्द हैं. कुशवाहा वोटरों की संख्या भी ढाई लाख के आसपास है, तो वहीं राजपूत, भूमिहार और कायस्थ वोटर एक लाख के आसपास हैं.
क्या कहता है पश्चिमी चंपारण का मतदान प्रतिशत : जहां तक वोटिंग प्रतिशत का सवाल है तो 2009 के चुनाव में 42.5% लोगों ने मतदान किए थे. 2014 के चुनाव में आंकड़ा बढ़कर 60.49 प्रतिशत हो गया, 2019 में लगभग 62 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. 2024 लोकसभा चुनाव की बात कर लें तो इस बार कुल मिलाकर 59.75% मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया. 2019 के मुकाबले 2% कम मतदान दर्ज किया गया.
सिवान में त्रिकोणीय मुकाबला : सिवान लोकसभा सीट पर सब की निगाहें टिकी हैं. दिवंगत शहाबुद्दीन की पत्नी ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. सिवान लोकसभा सीट पर मोहम्मद शहाबुद्दीन चार बार सांसद रहे लेकिन मोहम्मद शहाबुद्दीन के राजनीतिक विरासत को हिना शहाब आगे नहीं बढ़ा सकी हैं. सिवान लोकसभा सीट हॉट सीट बनी हुई है. सिवान लोकसभा सीट पर भी दो महिला मजबूती से डटी हैं. जदयू के टिकट पर विजयलक्ष्मी देवी मैदान में हैं तो राष्ट्रीय जनता दल ने अवध बिहारी चौधरी को उतारा है. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही हैं.
सिवान का जातीय समीकरण : आपको बता दें कि हिना शहाब ने 2024 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट के ऑफर को ठुकरा दिया था. सिवान लोकसभा सीट पर अगर जातिगत समीकरण की बात कर ले तो यहां मुस्लिम आबादी 3 लाख के आसपास है. यादव भी ढाई लाख के आसपास हैं. कुशवाहा वोटर की संख्या 1 लाख 25 हजार के आसपास है, जबकि सहनी भी 80000 हैं. सिवान में सवर्ण वोटरों की संख्या लगभग चार लाख है, तो ढाई लाख ईबीसी वोटर भी हैं.
क्या कहता है सिवान का मतदान प्रतिशत : 2009 के लोकसभा चुनाव में सिवान में 50.5% वोटिंग दर्ज किए गए थे, जबकि 2019 में आंकड़ा बढ़कर 56.53% हो गया. 2019 आते-आते आंकड़ा 60% के आसपास पहुंच गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में सिवान में 52.50% वोटिंग दर्ज किया गया. 2019 के मुकाबले 2024 में वोटिंग में 7% की कमी आई.
वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ का मानना है कि ''सिवान में मुख्य मुकाबला विजयलक्ष्मी और हिना शहाब के बीच है. राजपूत ने हिना शहाब को समर्थन दिया है. अवध बिहारी चौधरी लड़ाई से बाहर दिख रहे हैं. विजयलक्ष्मी को कुशवाहा वोट का सहारा है.''
लवली आनंद Vs रितु जायसवाल : शिवहर लोकसभा सीट पर दो महिलाओं के बीच मुकाबला है. एनडीए की ओर से जदयू की टिकट पर लवली आनंद चुनाव लड़ रहीं हैं, तो उनके मुकाबले के लिए महागठबंधन ने रितु जायसवाल को मैदान में उतारा है. लवली आनंद के पति आनंद मोहन शिवहर से एक बार सांसद रह चुकी हैं और वह बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी हैं. रितु जायसवाल मुखिया का चुनाव जीतने के बाद चर्चा में आई थीं और उनके पति नौकरशाह रह चुके हैं.
शिवहर में मुकाबला दिलचस्प : लालू प्रसाद यादव ने बनिया वोट बैंक में सेंधमारी के लिए रितु जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है. शिवहर को बिहार का चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है. यहां 2 लाख से अधिक राजपूत वोटर हैं. जातिगत समीकरण की अगर बात कर लें तो यहां सबसे अधिक आबादी वैश्यों की है. लगभग 25% वैश्य नेताओं का राजनीतिक भविष्य तय करते हैं दूसरे स्थान पर मुस्लिम वोटर हैं जिनकी आबादी लगभग 18% है.
शिवहर का मतदान प्रतिशत : 2009 के लोकसभा चुनाव में शिवहर में 45.15% लोगों ने वोटिंग किया था, जबकि 2014 में आंकड़ा बढ़कर 56.73% हो गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 60% लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था, तब 2024 के लोकसभा चुनाव में 56.30 प्रतिशत वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. 2019 के मुकाबले 2024 में 3.50 प्रतिशत की कमी वोटिंग में दर्ज की गई.
जनार्दन सिंह सिग्रीवाल Vs आकाश कुमार : महाराजगंज का महाराज कौन होगा यह देखना भी दिलचस्प होगा. महाराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा नेता और वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल मैदान में हैं. वह तीसरी बार मैदान में है और उनका मुकाबला इस बार कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र आकाश कुमार से है. आकाश कुमार भूमिहार जाति से हैं और वह दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में आकाश कुमार संजय जयसवाल से चुनाव हारे थे.
महाराजगंज का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक राजपूत मतदाता हैं. जिनकी संख्या करीब 4 लाख 38 हजार है. इसके बाद दूसरे नंबर पर भूमिहार मतदाता हैं. इनकी संख्या 3.50 लाख के करीब है. 2 लाख 75 हजार ब्राह्मण और करीब ढाई लाख यादव मतदाता हैं. महाराजगंज लोकसभा सीट पर 2009 में 45.70% वोटिंग दर्ज किए गए थे, जबकि 2014 में 51.56% वोटिंग हुई 2019 में आंकड़ा 53 .81 प्रतिशत तक पहुंच गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में 51.27 प्रतिशत वोटिंग हुई. 2024 में 2% से के आसपास वोटिंग में कमी दर्ज की गई.
वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ का कहना है कि ''महाराजगंज लोकसभा सीट पर जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का पलड़ा भारी है. महागठबंधन के उम्मीदवार आकाश प्रभावी साबित नहीं होते दिख रहे हैं. पिछली बार हार भी चुके हैं और अंतिम क्षणों में इन्हें टिकट मिली थी.''
आलोक सुमन Vs प्रेमनाथ चंचल : गोपालगंज लोकसभा सीट पर एनडीए ने वर्तमान सांसद डॉक्टर आलोक सुमन को मैदान में उतारा है. गोपालगंज लोकसभा सीट कभी कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी, लेकिन 2009 में सीट को रिजर्व कर दिया गया और तब से गोपालगंज लोकसभा सीट पर एनडीए का कब्जा रहा. महागठबंधन की ओर से गोपालगंज सीट पर विकासशील इंसान पार्टी की ओर से चंचल पासवान को उम्मीदवार बनाया है.
गोपालगंज लोकसभा का समीकरण : यहां मतदाताओं की कुल संख्याा 20 लाख 29 हजार 422 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 27 हजार 437 है जबकि 10 लाख 1 हजार 902 महिला मतदाता हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण वोटर्स की है. एक आंकड़े के मुताबिक 17 फीसदी ब्राह्मण, 14 फीसदी मुसलमान, 13 फीसदी यादव और 13 फीसदी राजपूत मतदाता हैं. इसके अलावा कोइरी 4 फीसदी, कुर्मी 3 फीसदी और भूमिहार 5 फीसदी हैं.
गोपालगंज का मतदान प्रतिशत : 2009 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज लोकसभा सीट पर 37.40% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था. 2014 में 54.60 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया तो 2019 में आंकड़ा बढ़कर 55.71% हो गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में 50.70 प्रतिशत मतदान हुए. 2019 की तुलना में 5% वोटिंग कम दर्ज की गई है.
वीणा देवी Vs मुन्ना शुक्ला : वैशाली लोकसभा सीट को लालू प्रसाद यादव ने दिलचस्प बना दिया है. राष्ट्रीय जनता दल ने बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है. मुन्ना शुक्ला का मुकाबला लोक जनशक्ति पार्टी सांसद वीणा देवी से है. वैशाली लोकसभा सीट पर राजपूत और भूमिहार के बीच लड़ाई है.
वैशाली का जातीय समीकरण : लालू प्रसाद यादव भूमिहार वोट में डेंट कर एनडीए को चकमा देना चाहते हैं. वैशाली लोकसभा सीट पर राजपूत और यादव वोटरों का दबदबा है. राजपूत वोटर जहां बीजेपी के साथ है, वहीं यादव वोटर लालू यादव के पक्ष में है. भूमिहार और मुस्लिम मतदाता भी यहां निर्णायक स्थिति में हैं.
वैशाली का मतदान प्रतिशत : 2009 के लोकसभा चुनाव में 48.86% लोगों ने मतदान किया था. 2014 के चुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 59.5% हो गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 61.91 पहुंच गया. 2024 लोकसभा चुनाव की अगर बात कर लें तो 58.50 प्रतिशत मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. 2019 की तुलना में दो प्रतिशत कम वोटिंग दर्ज की गई.
सुनील कुशवाहा Vs दीपक यादव : वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर दोनों ही गठबंधन ने किसी नामी गिरामी चेहरे को मैदान में नहीं उतरा है. वाल्मिकिनगर लोकसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया तब से लेकर आज तक वाल्मीकिनगर सीट पर एनडीए का कब्जा रहा है. वाल्मीकिनगर ब्राह्मण बहुल लोकसभा सीट मानी जाती है. जनता दल यूनाइटेड की ओर से पूर्व सांसद सुनील कुमार कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया गया है, तो राष्ट्रीय जनता दल ने दीपक यादव को मैदान में उतारा है.
वाल्मीकिनगर का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो वाल्मीकिनगर में सबसे ज्यादा 3 लाख मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं ढाई लाख के आसपास ब्राह्मण वोटर्स हैं. इसके अलावा डेढ़ लाख यादव, डेढ़ लाख मल्लाह और करीब ढाई लाख दलित मतदाता है. साथ ही थारू जनजाति के भी 2 लाख मतदाता हैं जो चुनावी परिणाम तय करने में काफी अहम माने जाते हैं.
वाल्मीकिनगर में 4 फीसदी कम पड़े वोट : वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर 2009 में 46.99% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया था तो 2014 में 61.80% मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में 61.97% लोगों ने वोटिंग किया. 2024 के लोकसभा चुनाव में 58.25 प्रतिशत वोटिंग हुई. 2019 की तुलना में 4% वोटिंग कम हुई.
एक्सपर्ट ओपिनियन : वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ के मुताबिक वोटिंग कम होने का नुकसान सत्ताधारी दल को होता है. वोटिंग कम होने का मतलब है की जीत हार का अंतर कम होगा. लालू प्रसाद ने नया समीकरण साधने की कोशिश की है. ऐसे में ये उसका भी लिटमस टेस्ट होगा. लड़ाई वैशाली, महाराजगंज और सिवान में है. बाकी की पांच सीट पर एनडीए के उम्मीदवार भारी हैं. सभी सीटों पर मोदी इफेक्ट कम कर रहा है.
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