रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव में मंईयां सम्मान योजना का असर सबने देखा. हर माह एक हजार रु. की सम्मान राशि के बदले आधी आबादी ने ऐसी कृपा बरसाई कि विधानसभा की 81 सीटों में से 56 (झामुमो-34, कांग्रेस-16, राजद-04 और भाकपा माले-02) सीटें इंडिया गठबंधन की झोली में चली गई.
हेमंत सोरेन एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे. यह योजना इस कदर हावी रही कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सारी स्ट्रेटजी फेल हो गई. ना बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा चला और ना रोटी, माटी, बेटी का. पूरे चुनाव में मंईयां सम्मान योजना छाई रही.
अब इस फॉर्मूले को दिल्ली चुनाव में आजमाने की तैयारी चल रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनाव पूर्व घोषणा कर दी है कि उनकी सरकार दिल्ली की महिलाओं को हर माह एक हजार रु. देगी. दिल्ली कैबिनेट ने महिला सम्मान योजना को मंजूरी भी दे दी है. केजरीवाल ने यहां तक कह दिया है कि आप (AAP) की सरकार बनने पर यह राशि 1000 रु. से बढ़ाकर 2,100 रु. प्रति माह कर दी जाएगी.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि झारखंड से प्रभावित होकर ही दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए योजना की घोषणा हुई है. अब हर राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. विनोद पांडेय का कहना है कि हेमंत सोरेन ने महिलाओं को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की है. इस योजना की बदौलत ना सिर्फ महिलाएं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था समृद्ध होगी. जब आधी आबादी को बराबरी का हक देने की बात होती है तो उनके लिए योजनाएं बनाते वक्त कोताही की जाती है. लेकिन झारखंड सरकार ने महिलाओं के जन्म से मृत्यु तक सम्मान देने की व्यवस्था की है.
कैसे झारखंड से प्रभावित है केजरीवाल का पॉलिटिकल मूव
अरविंद केजरीवाल का आधी आबादी पर आधारित यह पॉलिटिकल मूव झारखंड से प्रभावित नजर आ रहा है. फर्क इतना भर है कि हेमंत सोरेन ने ट्राईबल फ्लेवर देते हुए मंईयां (बच्चियां/बहनें/बेटियां) शब्द का इस्तेमाल कर मंईयां सम्मान योजना का नाम दिया था. जबकि केजरीवाल ने मंईयां शब्द की जगह महिला शब्द को जोड़ा है. हेमंत ने भी शुरुआती दौर में प्रतिमाह एक हजार रु. देने की घोषणा की थी. केजरीवाल ने भी एक हजार रु. प्रति माह देने की घोषणा की है.
झारखंड चुनाव के दौरान मंईयां सम्मान योजना इस कदर हावी रही कि भाजपा को गोगो-दीदी योजना की घोषणा करनी पड़ी. भाजपा की ओर से कहा गया कि अगर सरकार बनी तो महिलाओं को 2100 रु. प्रति माह दिए जाएंगे. इसके जवाब में हेमंत सोरेन को आनन फानन में कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर मंईयां योजना की राशि को 1000 रु से बढ़ाकर 2500 रु करना पड़ा. हालांकि अरविंद केजरीवाल यह दांव पहले ही चल चुके हैं. उन्होंने वादा किया है कि दिल्ली में एक बार फिर आप की सरकार बनी तो महिलाओं को 2100 रु. प्रति माह दिए जाएंगे.
अरविंद केजरीवाल के मुताबिक इस योजना का लाभ 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को मिलेगा. पूर्व में हेमंत सरकार ने लाभार्थियों की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की थी. जिसे बाद में घटाकर 18 साल कर दिया गया.
दिल्ली में मुफ्त बस यात्रा योजना बना चुकी है रिकॉर्ड
दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल बखूबी जानते हैं कि आधी आबादी को कब और कैसे साधना है. साल 2019 में भाई दूज के दिन उन्होंने मुफ्त बस यात्रा योजना शुरु की थी. यह योजना एक कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है. इसकी बदौलत पिछले पांच वर्षों में 150 करोड़ से अधिक बार महिलाएं दिल्ली की डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा का लाभ उठा चुकी हैं. महिलाओं के बीच सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ा है, जिसमें 15 फीसदी नई महिला यात्रियों के जुड़ने के साथ 25 फीसदी महिलाएं नियमित रूप से बसों में सफर करती हैं.
दरअसल, चुनाव के दौरान आधी आबादी को साधने की सबसे पहली कोशिश मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने की थी. इसकी बदौलत वहां भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला. छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना का असर दिखा. अभी महाराष्ट्र में लड़की बहिन योजना का असर दिख चुका है. भाजपा के इस फॉर्मेट को सबसे पहले हेमंत सोरेन ने झारखंड में एडॉप्ट किया, उन्हें चुनाव में इसका जबरदस्त फायदा मिला. अब दिल्ली सरकार झारखंड के नक्शे कदम पर चल पड़ी है. अब देखना है कि भाजपा और कांग्रेस का क्या रुख होता है.
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