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प्लास्टिक के चावल क्या वाकई होते हैं? वायरल वीडियो से फैली शंका का इन्होंने किया समाधान - Plastic rice Video

Plastic rice in Uttarakhand पिछले दिनों यूपी और बिहार में प्लास्टिक के चावल का शोर हुआ था. अब उत्तराखंड में एक वीडियो वायरल होने के बाद फिर से प्लास्टिक चावल का जिन्न बाहर निकल आया है. लोगों में प्लास्टिक के चावल वाली खबर को जानने की उत्सुकता देखी जा रही है. उत्तराखंड के क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी विजय डोभाल ने इस बारे में लोगों की जिज्ञासा का समाधान किया है. इस खबर में जानिए क्या वाकई प्लास्टिक के चावल हैं.

Plastic rice in Uttarakhand
प्लास्टिक के चावलों का सच! (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 2, 2024, 7:33 AM IST

Updated : Jul 2, 2024, 7:42 AM IST

प्लास्टिक के चावल का वायरल सच (Video- ETV Bharat)

श्रीनगर: उत्तराखंड के पौड़ी जिले से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो देखते ही देखते देश भर में चर्चा का विषय बन गया. दरअसल इस वीडियो में एक महिला प्लास्टिक के चावल होने की बात कह रही है. महिला का कहना है कि उसने कंट्रोल की दुकान से चावल लिए. महिला को पकाने के बाद जब चावलों में कुछ अलग बात लगी तो उसने घर पर बाकायदा प्रयोग कर डाला.

महिला ने बनाया था वीडियो: महिला वीडियो में कहती है कि उसे चावलों के प्लास्टिक का होने का संदेह हुआ. इसके बाद उसने इन पर प्रयोग करके सच्चाई जानने की कोशिश की. महिला ने चावलों को जलाया. महिला का कहना है कि जलाने पर चावल पिघल गए. इससे इस महिला ने निष्कर्ष निकाला कि ये चावल प्लास्टिक के हैं. एक कहावत है कि 'अफवाहों के दो नहीं हजार पैर होते हैं.' बस क्या था, महिला का बनाया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों को भी लगा कि क्या ये वाकई प्लास्टिक के चावल हैं.

खाद्य अधिकारी ने क्या कहा? जब अफवाह सुरसा के मुंह की तरह फैलती ही चली गई तो क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी ने इस पर सफाई दी. क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी विजय डोभाल ने स्पष्ट किया कि यह प्लास्टिक के नहीं बल्कि फोर्टिफाइड चावल हैं. इन चावलों को FSSAI द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार सामान्य चावल में मिलाया जाता है. विजय डोभाल ने कहा कि यह चावल प्लास्टिक के चावल न होकर फोर्टिफाइड चावल कर्नेल हैं. इन्हें बीते दो-तीन सालों से केंद्र सरकार के निर्देश पर सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेताओं के माध्यम से राशन कार्ड धारकों को वितरित किया जा रहा है. उन्होंने उपभोक्ताओं से अनुरोध किया कि फोर्टिफाइड चावल को बीनते, समय धोते समय एवं बनाते समय अलग न फेंकें, बल्कि उसका नियमित रूप से सेवन करें. ताकि प्रतिदिन के आहार में आयरन, विटामिन एवं फोलिक एसिड की संतुलित मात्रा मिलती रहे.

क्या हैं फोर्टिफाइड चावल कर्नेल: फोर्टिफाइड चावल कर्नेल को सामान्य चावल को पीसकर उसमें FSSAI द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार आयरन, विटामिन एवं फोलिक एसिड मिलाकर मशीनों द्वारा चावल का आकार दिया जाता है. प्रति 100 किलो चावल में 1 किलो फोर्टिफाइड चावल कर्नेल मिलाया जाता है. यह चावल आयरन, विटामिन एवं फोलिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. आयरन, एनीमिया रोग से बचाव में सहायक होता है. फोलिक एसिड विटामिन बी9 की कमी दूर करता है. यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में प्लास्टिक के चावलों का वीडियो वायरल, हरकत में आया विभाग, बताई क्या है सच्चाई

प्लास्टिक के चावल का वायरल सच (Video- ETV Bharat)

श्रीनगर: उत्तराखंड के पौड़ी जिले से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो देखते ही देखते देश भर में चर्चा का विषय बन गया. दरअसल इस वीडियो में एक महिला प्लास्टिक के चावल होने की बात कह रही है. महिला का कहना है कि उसने कंट्रोल की दुकान से चावल लिए. महिला को पकाने के बाद जब चावलों में कुछ अलग बात लगी तो उसने घर पर बाकायदा प्रयोग कर डाला.

महिला ने बनाया था वीडियो: महिला वीडियो में कहती है कि उसे चावलों के प्लास्टिक का होने का संदेह हुआ. इसके बाद उसने इन पर प्रयोग करके सच्चाई जानने की कोशिश की. महिला ने चावलों को जलाया. महिला का कहना है कि जलाने पर चावल पिघल गए. इससे इस महिला ने निष्कर्ष निकाला कि ये चावल प्लास्टिक के हैं. एक कहावत है कि 'अफवाहों के दो नहीं हजार पैर होते हैं.' बस क्या था, महिला का बनाया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों को भी लगा कि क्या ये वाकई प्लास्टिक के चावल हैं.

खाद्य अधिकारी ने क्या कहा? जब अफवाह सुरसा के मुंह की तरह फैलती ही चली गई तो क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी ने इस पर सफाई दी. क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी विजय डोभाल ने स्पष्ट किया कि यह प्लास्टिक के नहीं बल्कि फोर्टिफाइड चावल हैं. इन चावलों को FSSAI द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार सामान्य चावल में मिलाया जाता है. विजय डोभाल ने कहा कि यह चावल प्लास्टिक के चावल न होकर फोर्टिफाइड चावल कर्नेल हैं. इन्हें बीते दो-तीन सालों से केंद्र सरकार के निर्देश पर सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेताओं के माध्यम से राशन कार्ड धारकों को वितरित किया जा रहा है. उन्होंने उपभोक्ताओं से अनुरोध किया कि फोर्टिफाइड चावल को बीनते, समय धोते समय एवं बनाते समय अलग न फेंकें, बल्कि उसका नियमित रूप से सेवन करें. ताकि प्रतिदिन के आहार में आयरन, विटामिन एवं फोलिक एसिड की संतुलित मात्रा मिलती रहे.

क्या हैं फोर्टिफाइड चावल कर्नेल: फोर्टिफाइड चावल कर्नेल को सामान्य चावल को पीसकर उसमें FSSAI द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार आयरन, विटामिन एवं फोलिक एसिड मिलाकर मशीनों द्वारा चावल का आकार दिया जाता है. प्रति 100 किलो चावल में 1 किलो फोर्टिफाइड चावल कर्नेल मिलाया जाता है. यह चावल आयरन, विटामिन एवं फोलिक एसिड जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. आयरन, एनीमिया रोग से बचाव में सहायक होता है. फोलिक एसिड विटामिन बी9 की कमी दूर करता है. यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है.
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Last Updated : Jul 2, 2024, 7:42 AM IST
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