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सामने आई सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर बने देवी कुंड मंदिर विवाद की हकीकत, इस वजह से चर्चा में आया था ये स्थान - Devi Kund Temple Controversy

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 18, 2024, 5:17 PM IST

Bageshwar Devi Kund Temple Controversy, Dehradun: उत्तराखंड के बागेश्वर में सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर बने मंदिर विवाद पर मंदिर समिति ने सफाई दी है. सफाई के बाद मंदिर के निर्माण और पवित्र कुंड में स्नान विवाद की धुंधली तस्वीर साफ हो गई है. स्थानीय प्रशासन ने भी मामला स्पष्ट किया है.

Devi Kund Temple Controversy
देवी कुंड मंदिर विवाद (PHOTO- ETV Bharat GRAPHICS)
बागेश्वर देवी कुंड मंदिर विवाद (Video-ETV Bharat)

देहरादूनः उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित सुंदरढुंगा ग्लेशियर में क्या अवैध रूप से मंदिर का निर्माण किया गया? क्या किसी को इस मंदिर निर्माण की कोई खबर नहीं लगी? कुछ ऐसे ही सवाल तीन दिन से उत्तराखंड में चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन सवालों को लेकर तमाम चर्चाएं की जा रही हैं. मामले ने जोर पकड़ा तो स्थानीय प्रशासन को पूरे मामले पर जांच के आदेश देने पड़े. जिसके बाद अब तस्वीर साफ होती जा रही है.

Devi Kund Temple Controversy
सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर मंदिर का निर्माण किया है. (PHOTO- Temple Committee)

ये है विवाद: बागेश्वर के सुंदरढुंगा ग्लेशियर में स्थित देवी कुंड के पास बने मंदिर निर्माण का मुद्दा 16 जुलाई को अचानक सुर्खियों में आया. यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है. यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. हालांकि, यह कोई नई जगह नहीं है. सालों से यहां पर्वतारोहियों का दल ट्रेकिंग के लिए आता रहता है. बताया जाता है कि बागेश्वर के लगभग 10 से 12 गांव के लोग इस स्थान को बेहद पवित्र मानते हैं.

Devi Kund Temple Controversy
मंदिर के पास ही स्थित है पवित्र कुंड. (PHOTO- Temple Committee)

क्यों पैदा हुआ विवाद: इस स्थान को लेकर विवाद तब उत्पन हुआ जब कुछ लोगों ने ग्लेशियर पर बने मंदिर की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया. धीरे-धीरे मामला बढ़ा तो लोगों ने आवाज उठानी शुरू की. सवाल उठा कि आखिरकार इतने ऊंचाई वाले इलाके और प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण कैसे हो गया? आनन-फानन में जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने भी इस पूरे मामले की जांच बैठा दी.

Devi Kund Temple Controversy
बाबा योगी चैतन्य आकाश ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मदद की (PHOTO- Temple Committee)

लोगों का गुस्सा तब और भड़क गया जब एक संत के द्वारा मंदिर के ही पास बने देवी कुंड में स्नान का वीडियो देखा गया. लेकिन अब इन सभी विवाद को लेकर न केवल संत ने माफी मांगी है बल्कि इसके अलावा मंदिर निर्माण कब, कैसे, क्यों और किसने कराया, ये भी साफ हो गया है.

Devi Kund Temple Controversy
मंदिर निर्माण के लिए मंदिर समिति द्वारा एकत्र किया गया चंदे की रशीद (PHOTO- Temple Committee)

पहले भी स्थान रहा चर्चा में: यह स्थान इतना खूबसूरत और पवित्र होने के साथ-साथ अलौकिक भी है. पर्वतारोही अक्सर यहां ट्रेकिंग के लिए आते हैं. हालांकि, कई बार यह ट्रेक लोगों के लिए खतरा भी बन चुका है. साल 2021 में पश्चिम बंगाल के चार ट्रेकर भी इस ग्लेशियर में बर्फीले तूफान के कारण मौत हो गई थी. इससे पहले भी यहां कई बार इसी तरह के हादसे हो चुके हैं.

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मंदिर निर्माण के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल हुए ग्रामीण. (PHOTO- Temple Committee)

कैसे और किसने बनवाया मंदिर: दरअसल, मंदिर जीर्णोद्धार की जानकारी स्थानीय प्रशासन भी है. लेकिन जनविरोध को देखते हुए प्रशासन ने फौरी तौर पर जांच करवाने और सभी पहलुओं को गंभीरता से रखने का निर्देश दिया है. इस मंदिर का निर्माण दरअसल बागेश्वर जिले के ही ग्रामीणों ने करवाया है. ऐसा नहीं है कि यहां पर मंदिर अचानक बना है, बल्कि सालों से इस स्थान पर एक मंदिर हुआ करता था. हालांकि, उसका आकार इतना बड़ा नहीं था. छोटे से मंदिर होने के साथ ही यहां पर हर साल स्थानीय लोग और यहां आने वाले पर्वतारोहियों का रुकना होता था. लेकिन लगभग 4 साल पहले अत्यधिक बारिश, तूफान और ग्लेशियर टूटने के कारण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था.

Devi Kund Temple Controversy
सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर हर साल ट्रेकिंग के लिए आते हैं पर्वतारोही (PHOTO- Temple Committee)

मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को 30 किमी पैदल चलना पड़ता था. ऐसे में मंदिर का जीर्णोद्धार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए ग्रामीणों ने एक समिति बनाई और समिति ने तय किया कि माता के मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा. हालांकि, इन सब में महत्वपूर्ण भूमिका रही योगी चैतन्य आकाश की. योगी ने स्थानीय निवासियों से कहा कि उन्हें लगभग कुछ महीने पहले सपने में आकर मां ने दर्शन दिए थे. चैतन्य आकाश ने ग्रामीणों से कहा था कि मंदिर का निर्माण बेहद जरूरी है. ग्रामीणों को जब योगी चैतन्य आकाश ने पूरी बात बताई तो ग्रामीण भी योगी के साथ खड़े हो गए. आसपास के लगभग तीन से चार गांव ने यह निर्णय लिया कि एक समिति बनाकर इस मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा.

समिति के अध्यक्ष चंदन सिंह बताते हैं कि,

मुझे याद है जब एक-एक गांव में जाकर इस मंदिर के निर्माण को लेकर हमने बैठक की थी. सभी ग्रामीण बेहद खुश थे. हम चाहते थे कि किसी तरह से इस मंदिर को दोबारा से बनवाया जाए. अच्छी बात यह रही कि सभी ग्रामीण एक साथ एक मंच पर आए, जिसमें बाबा योगी चैतन्य आकाश को संरक्षक बनाया गया और अलग-अलग ग्रामीणों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई. हमने बकायदा मंदिर के निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा किया और 9 जुलाई 2024 को मंदिर का कार्य पूरा हुआ. इस बात की इस पूरे क्षेत्र में इतनी खुशी थी कि लोगों ने ढोल नगाड़े बजाए और बागेश्वर के तमाम जनप्रतिनिधियों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी खुशी जाहिर करते हुए इस चित्र को पोस्ट किया.

ऐसे शुरू हुआ विवाद: दरअसल, कुछ लोगों ने योगी चैतन्य आकाश की एक साल पुरानी तस्वीर को सोशल मीडिया पर ये कहकर शेयर कर दिया कि योगी पवित्र कुंड में स्नान कर रहे हैं. जबकि एक साल पहले ही ग्रामीणों द्वारा यह बात योगी चैतन्य आकाश को बता दी गई थी. उसके बाद उन्होंने कभी भी इस कुंड में स्नान नहीं किया.

सामने आए योगी चैतन्य: हालांकि, अब मामला बढ़ने के बाद खुद योगी चैतन्य आकाश सामने आए हैं. उनका कहना है कि मंदिर का निर्माण उन्होंने अकेले नहीं किया है, बल्कि सभी ग्रामीणों ने बड़ी खुशी से इस मंदिर के निर्माण में सहभागिता दी है. लेकिन कुछ लोग राजनीति के चक्कर में उनका पुराना फोटो शेयर करके लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम कर रहे हैं. हालांकि, ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है. योगी ने बताया कि यहां किसी तरह का कोई भी अवैध निर्माण नहीं किया गया है. जिस जगह पर ग्रामीणों की आस्था का मंदिर पहले से ही बना हुआ था, उस मंदिर के टूट जाने के बाद अगर दोबारा से मंदिर का निर्माण कर दिया गया है तो यह कोई अपराध नहीं है. योगी चैतन्य आकाश कहते हैं कि अगर फिर भी लोगों को लगता है कि उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच रही है तो वह सार्वजनिक तौर पर सभी से माफी मांगते हैं.

सीएम से भी मिले थे मंदिर से जुड़े लोग: खास बात ये है कि जिस वक्त इस मंदिर का निर्माण हुआ और लोगों की आस्था को स्थानीय नेताओं ने देखा तो सभी ने इसका स्वागत भी किया था. खुद मंदिर समिति से जुड़े लोग और योगी चैतन्य आकाश भी बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के देहरादून स्थित आवास पर हुई इस मुलाकात के दौरान इस मंदिर का ही स्मृति चिह्न मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेंट किया था. हालांकि, मामला बढ़ाने और विवाद होने के बाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिलाधिकारी बागेश्वर को इस पूरे मामले पर जांच करने के आदेश और स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है.

जानिए डीएम ने क्या कहाः ग्लेशियर पर बने इस मंदिर निर्माण और कुंड विवाद को लेकर जिलाधिकारी ने एसडीएम को जांच सौंपने के साथ ही एक राजस्व की टीम मौके पर भेजी है. इस बात की तस्दीक करने के लिए कहा गया है कि आखिरकार मंदिर निर्माण किस तरह से किया गया है. इसके पीछे की क्या वजह है. हालांकि, जिलाधिकारी बागेश्वर अनुराधा पाल कहती हैं कि मंदिर पहले से वहां पर मौजूद था. लेकिन यह देखना होगा कि अब जो मंदिर बनाया गया है वो किस तरह का है और उसमें किस तरह का निर्माण किया गया है. अगर इस पूरे मामले पर कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बने देवी कुंड मंदिर का नवनिर्माण, कहीं विरोध तो कहीं समर्थन, सामने आए योगी चैतन्य आकाश

बागेश्वर देवी कुंड मंदिर विवाद (Video-ETV Bharat)

देहरादूनः उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित सुंदरढुंगा ग्लेशियर में क्या अवैध रूप से मंदिर का निर्माण किया गया? क्या किसी को इस मंदिर निर्माण की कोई खबर नहीं लगी? कुछ ऐसे ही सवाल तीन दिन से उत्तराखंड में चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन सवालों को लेकर तमाम चर्चाएं की जा रही हैं. मामले ने जोर पकड़ा तो स्थानीय प्रशासन को पूरे मामले पर जांच के आदेश देने पड़े. जिसके बाद अब तस्वीर साफ होती जा रही है.

Devi Kund Temple Controversy
सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर मंदिर का निर्माण किया है. (PHOTO- Temple Committee)

ये है विवाद: बागेश्वर के सुंदरढुंगा ग्लेशियर में स्थित देवी कुंड के पास बने मंदिर निर्माण का मुद्दा 16 जुलाई को अचानक सुर्खियों में आया. यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है. यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. हालांकि, यह कोई नई जगह नहीं है. सालों से यहां पर्वतारोहियों का दल ट्रेकिंग के लिए आता रहता है. बताया जाता है कि बागेश्वर के लगभग 10 से 12 गांव के लोग इस स्थान को बेहद पवित्र मानते हैं.

Devi Kund Temple Controversy
मंदिर के पास ही स्थित है पवित्र कुंड. (PHOTO- Temple Committee)

क्यों पैदा हुआ विवाद: इस स्थान को लेकर विवाद तब उत्पन हुआ जब कुछ लोगों ने ग्लेशियर पर बने मंदिर की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया. धीरे-धीरे मामला बढ़ा तो लोगों ने आवाज उठानी शुरू की. सवाल उठा कि आखिरकार इतने ऊंचाई वाले इलाके और प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण कैसे हो गया? आनन-फानन में जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने भी इस पूरे मामले की जांच बैठा दी.

Devi Kund Temple Controversy
बाबा योगी चैतन्य आकाश ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मदद की (PHOTO- Temple Committee)

लोगों का गुस्सा तब और भड़क गया जब एक संत के द्वारा मंदिर के ही पास बने देवी कुंड में स्नान का वीडियो देखा गया. लेकिन अब इन सभी विवाद को लेकर न केवल संत ने माफी मांगी है बल्कि इसके अलावा मंदिर निर्माण कब, कैसे, क्यों और किसने कराया, ये भी साफ हो गया है.

Devi Kund Temple Controversy
मंदिर निर्माण के लिए मंदिर समिति द्वारा एकत्र किया गया चंदे की रशीद (PHOTO- Temple Committee)

पहले भी स्थान रहा चर्चा में: यह स्थान इतना खूबसूरत और पवित्र होने के साथ-साथ अलौकिक भी है. पर्वतारोही अक्सर यहां ट्रेकिंग के लिए आते हैं. हालांकि, कई बार यह ट्रेक लोगों के लिए खतरा भी बन चुका है. साल 2021 में पश्चिम बंगाल के चार ट्रेकर भी इस ग्लेशियर में बर्फीले तूफान के कारण मौत हो गई थी. इससे पहले भी यहां कई बार इसी तरह के हादसे हो चुके हैं.

Devi Kund Temple Controversy
मंदिर निर्माण के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल हुए ग्रामीण. (PHOTO- Temple Committee)

कैसे और किसने बनवाया मंदिर: दरअसल, मंदिर जीर्णोद्धार की जानकारी स्थानीय प्रशासन भी है. लेकिन जनविरोध को देखते हुए प्रशासन ने फौरी तौर पर जांच करवाने और सभी पहलुओं को गंभीरता से रखने का निर्देश दिया है. इस मंदिर का निर्माण दरअसल बागेश्वर जिले के ही ग्रामीणों ने करवाया है. ऐसा नहीं है कि यहां पर मंदिर अचानक बना है, बल्कि सालों से इस स्थान पर एक मंदिर हुआ करता था. हालांकि, उसका आकार इतना बड़ा नहीं था. छोटे से मंदिर होने के साथ ही यहां पर हर साल स्थानीय लोग और यहां आने वाले पर्वतारोहियों का रुकना होता था. लेकिन लगभग 4 साल पहले अत्यधिक बारिश, तूफान और ग्लेशियर टूटने के कारण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था.

Devi Kund Temple Controversy
सुंदरढुंगा ग्लेशियर पर हर साल ट्रेकिंग के लिए आते हैं पर्वतारोही (PHOTO- Temple Committee)

मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को 30 किमी पैदल चलना पड़ता था. ऐसे में मंदिर का जीर्णोद्धार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए ग्रामीणों ने एक समिति बनाई और समिति ने तय किया कि माता के मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा. हालांकि, इन सब में महत्वपूर्ण भूमिका रही योगी चैतन्य आकाश की. योगी ने स्थानीय निवासियों से कहा कि उन्हें लगभग कुछ महीने पहले सपने में आकर मां ने दर्शन दिए थे. चैतन्य आकाश ने ग्रामीणों से कहा था कि मंदिर का निर्माण बेहद जरूरी है. ग्रामीणों को जब योगी चैतन्य आकाश ने पूरी बात बताई तो ग्रामीण भी योगी के साथ खड़े हो गए. आसपास के लगभग तीन से चार गांव ने यह निर्णय लिया कि एक समिति बनाकर इस मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा.

समिति के अध्यक्ष चंदन सिंह बताते हैं कि,

मुझे याद है जब एक-एक गांव में जाकर इस मंदिर के निर्माण को लेकर हमने बैठक की थी. सभी ग्रामीण बेहद खुश थे. हम चाहते थे कि किसी तरह से इस मंदिर को दोबारा से बनवाया जाए. अच्छी बात यह रही कि सभी ग्रामीण एक साथ एक मंच पर आए, जिसमें बाबा योगी चैतन्य आकाश को संरक्षक बनाया गया और अलग-अलग ग्रामीणों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई. हमने बकायदा मंदिर के निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा किया और 9 जुलाई 2024 को मंदिर का कार्य पूरा हुआ. इस बात की इस पूरे क्षेत्र में इतनी खुशी थी कि लोगों ने ढोल नगाड़े बजाए और बागेश्वर के तमाम जनप्रतिनिधियों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी खुशी जाहिर करते हुए इस चित्र को पोस्ट किया.

ऐसे शुरू हुआ विवाद: दरअसल, कुछ लोगों ने योगी चैतन्य आकाश की एक साल पुरानी तस्वीर को सोशल मीडिया पर ये कहकर शेयर कर दिया कि योगी पवित्र कुंड में स्नान कर रहे हैं. जबकि एक साल पहले ही ग्रामीणों द्वारा यह बात योगी चैतन्य आकाश को बता दी गई थी. उसके बाद उन्होंने कभी भी इस कुंड में स्नान नहीं किया.

सामने आए योगी चैतन्य: हालांकि, अब मामला बढ़ने के बाद खुद योगी चैतन्य आकाश सामने आए हैं. उनका कहना है कि मंदिर का निर्माण उन्होंने अकेले नहीं किया है, बल्कि सभी ग्रामीणों ने बड़ी खुशी से इस मंदिर के निर्माण में सहभागिता दी है. लेकिन कुछ लोग राजनीति के चक्कर में उनका पुराना फोटो शेयर करके लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम कर रहे हैं. हालांकि, ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है. योगी ने बताया कि यहां किसी तरह का कोई भी अवैध निर्माण नहीं किया गया है. जिस जगह पर ग्रामीणों की आस्था का मंदिर पहले से ही बना हुआ था, उस मंदिर के टूट जाने के बाद अगर दोबारा से मंदिर का निर्माण कर दिया गया है तो यह कोई अपराध नहीं है. योगी चैतन्य आकाश कहते हैं कि अगर फिर भी लोगों को लगता है कि उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच रही है तो वह सार्वजनिक तौर पर सभी से माफी मांगते हैं.

सीएम से भी मिले थे मंदिर से जुड़े लोग: खास बात ये है कि जिस वक्त इस मंदिर का निर्माण हुआ और लोगों की आस्था को स्थानीय नेताओं ने देखा तो सभी ने इसका स्वागत भी किया था. खुद मंदिर समिति से जुड़े लोग और योगी चैतन्य आकाश भी बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के देहरादून स्थित आवास पर हुई इस मुलाकात के दौरान इस मंदिर का ही स्मृति चिह्न मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेंट किया था. हालांकि, मामला बढ़ाने और विवाद होने के बाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिलाधिकारी बागेश्वर को इस पूरे मामले पर जांच करने के आदेश और स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है.

जानिए डीएम ने क्या कहाः ग्लेशियर पर बने इस मंदिर निर्माण और कुंड विवाद को लेकर जिलाधिकारी ने एसडीएम को जांच सौंपने के साथ ही एक राजस्व की टीम मौके पर भेजी है. इस बात की तस्दीक करने के लिए कहा गया है कि आखिरकार मंदिर निर्माण किस तरह से किया गया है. इसके पीछे की क्या वजह है. हालांकि, जिलाधिकारी बागेश्वर अनुराधा पाल कहती हैं कि मंदिर पहले से वहां पर मौजूद था. लेकिन यह देखना होगा कि अब जो मंदिर बनाया गया है वो किस तरह का है और उसमें किस तरह का निर्माण किया गया है. अगर इस पूरे मामले पर कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बने देवी कुंड मंदिर का नवनिर्माण, कहीं विरोध तो कहीं समर्थन, सामने आए योगी चैतन्य आकाश

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