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विश्व डाक दिवस: डिजिटलाइजेशन के इस दौर में कोसों दूर छूट गई चिट्ठियां, बदल गया डाकघर का स्वरूप

9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. आज के आधुनिक दौर में चिट्ठियां और डाकियों का महत्व बदलता जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

WORLD POST DAY 2024
विश्व डाक दिवस 2024 (photo- ETV Bharat)

देहरादून (उत्तराखंड): एक दौर हुआ करता था, जब लोगों को आपस में जोड़ने और सूचना का आदान-प्रदान करने का काम चिट्ठियां करती थी. इन चिट्ठियों को डाकिया घर-घर लेकर जाता था, जिसमें उसकी अहम भूमिका हुआ करती थी, लेकिन बीते कुछ सालों से तेजी से बढ़ते डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डाकियों की भूमिका घटती जा रही है, क्योंकि, इस डिजिटलाइजेशन के दौर में चिट्ठियां कोसों दूर छूट गई हैं. यही वजह है कि डाक विभाग अपने ढांचे को बचाने के लिए लगातार नए-नए प्रयास कर रहा है.वर्तमान में फैक्स, ई-मेल, मोबाइल के प्रचलन से तेजी से चिट्ठियों के दौर को पीछे छोड़ दिया है.

9 अक्टूबर को मनाया जाता है विश्व डाक दिवस: हर साल 9 अक्टूबर को ‘विश्व डाक दिवस’ मनाया जाता है, ताकि लोगों को डाक के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ डाक की सेवाएं जन-जन तक पहुंचाई जा सकें. 9 अक्टूबर 1874 को स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन हुआ था. साथ ही साल 1969 में टोक्यो और जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में 9 अक्टूबर के दिन को चयनित किया गया था. यही वजह है कि हर साल 9 अक्टूबर को 'विश्व डाक दिवस' मनाया जाता है.

कोसों दूर छूट गई चिट्ठियां (Video- ETV Bharat)

1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना भारत: हालांकि, भारत देश एक जुलाई 1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. यहीं नहीं भारत, एशियाई का पहला ऐसा देश है, जो सबसे पहले यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा है. साथ ही भारतीय डाक, देश के उन प्रमुख और पुराने विभागों में शामिल है, जो 18वीं शताब्दी से चली आ रही है.

डाक विभाग लगातार अपने आप को कर रहा अपग्रेड: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते अभी भी तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है. ऐसे में उन क्षेत्रों में भी डाक विभाग एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. यही वजह है कि डाक विभाग अपने आपको अपग्रेड करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष फोकस कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी डाकिया एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि, ग्रामीण क्षेत्रों में डाकिया इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक एप के जरिए बच्चों का आधार एनरोलमेंट और आधार कार्ड में पता अपग्रेड संबंधित काम भी कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीणों को बैंकिंग सेवा से जोड़ रहे हैं.

वर्तमान में व्यक्तिगत चिट्ठियों का महत्व कम: भारतीय डाक सेवा के उत्तराखंड सर्किल निदेशक अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डाकिया की भूमिका अभी खत्म नहीं हो रही है, लेकिन इतना जरूर है कि डाकिया का स्वरूप बदल गया है. पहले डाकिया का मूलभूत कार्य चिट्ठियों को बांटना होता था. वर्तमान समय में व्यक्तिगत चिट्ठियों का महत्व कम हो गया है, लेकिन कमर्शियल लेटर और सरकारी डाक अभी भी पोस्टल डिपार्टमेंट के जरिए ही वितरित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि डाक विभाग वर्तमान समय में पार्सल के क्षेत्र में तेजी से प्रसार कर रहा है, क्योंकि मौजूदा समय में ई-कॉमर्स का चलन काफी अधिक बढ़ गया है. ऐसे में ई-कॉमर्स से जुड़े तमाम कंपनियों के साथ मिलकर डाक विभाग काम कर रहा है. सुदूर क्षेत्रों में आज भी तमाम ई-कॉमर्स डाक विभाग के जरिए ही पहुंचते हैं.

मोबाइल से पहुंच बना रहे डाकिया: अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डाक विभाग भी ऑनलाइन सुविधा दे रहा है, इसके लिए डाकियों को मोबाइल देकर हाईटेक कर दिया गया है. ऐसे में डाकिया एप बेस्ड ट्रांजेशन करते हैं. दरअसल, डाक विभाग की ओर से इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक. साल 2018 में खोला गया था, जिसकी ओर से तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं.

उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में 214 आधार सेंटर कर रहे काम:अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डिजिटलाइजेशन के इस दौर में भारत सरकार ने डाक विभाग को वित्तीय समावेशन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है, क्योंकि देश का काफी हिस्सा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बसता है. इसी क्रम में उत्तराखंड का भी अधिकांश हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां पर डाक विभाग की पहुंच है. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद डाक घरों को टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर ग्रामीणों को ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि लोगों को बैंकिंग सर्विसेज से जोड़ा जा सके. उन्होंने कहा कि इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में 214 आधार सेंटर काम कर रहे हैं. साथ ही कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में भी डाकघर काम कर रहे हैं, जिसमें करीब 50 सीएससी सर्विस डाक घरों से प्रोवाइड किए जा रहे हैं.

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देहरादून (उत्तराखंड): एक दौर हुआ करता था, जब लोगों को आपस में जोड़ने और सूचना का आदान-प्रदान करने का काम चिट्ठियां करती थी. इन चिट्ठियों को डाकिया घर-घर लेकर जाता था, जिसमें उसकी अहम भूमिका हुआ करती थी, लेकिन बीते कुछ सालों से तेजी से बढ़ते डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डाकियों की भूमिका घटती जा रही है, क्योंकि, इस डिजिटलाइजेशन के दौर में चिट्ठियां कोसों दूर छूट गई हैं. यही वजह है कि डाक विभाग अपने ढांचे को बचाने के लिए लगातार नए-नए प्रयास कर रहा है.वर्तमान में फैक्स, ई-मेल, मोबाइल के प्रचलन से तेजी से चिट्ठियों के दौर को पीछे छोड़ दिया है.

9 अक्टूबर को मनाया जाता है विश्व डाक दिवस: हर साल 9 अक्टूबर को ‘विश्व डाक दिवस’ मनाया जाता है, ताकि लोगों को डाक के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ डाक की सेवाएं जन-जन तक पहुंचाई जा सकें. 9 अक्टूबर 1874 को स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन हुआ था. साथ ही साल 1969 में टोक्यो और जापान में आयोजित सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के रूप में 9 अक्टूबर के दिन को चयनित किया गया था. यही वजह है कि हर साल 9 अक्टूबर को 'विश्व डाक दिवस' मनाया जाता है.

कोसों दूर छूट गई चिट्ठियां (Video- ETV Bharat)

1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना भारत: हालांकि, भारत देश एक जुलाई 1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. यहीं नहीं भारत, एशियाई का पहला ऐसा देश है, जो सबसे पहले यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था. जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा है. साथ ही भारतीय डाक, देश के उन प्रमुख और पुराने विभागों में शामिल है, जो 18वीं शताब्दी से चली आ रही है.

डाक विभाग लगातार अपने आप को कर रहा अपग्रेड: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते अभी भी तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है. ऐसे में उन क्षेत्रों में भी डाक विभाग एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. यही वजह है कि डाक विभाग अपने आपको अपग्रेड करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष फोकस कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी डाकिया एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि, ग्रामीण क्षेत्रों में डाकिया इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक एप के जरिए बच्चों का आधार एनरोलमेंट और आधार कार्ड में पता अपग्रेड संबंधित काम भी कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीणों को बैंकिंग सेवा से जोड़ रहे हैं.

वर्तमान में व्यक्तिगत चिट्ठियों का महत्व कम: भारतीय डाक सेवा के उत्तराखंड सर्किल निदेशक अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डाकिया की भूमिका अभी खत्म नहीं हो रही है, लेकिन इतना जरूर है कि डाकिया का स्वरूप बदल गया है. पहले डाकिया का मूलभूत कार्य चिट्ठियों को बांटना होता था. वर्तमान समय में व्यक्तिगत चिट्ठियों का महत्व कम हो गया है, लेकिन कमर्शियल लेटर और सरकारी डाक अभी भी पोस्टल डिपार्टमेंट के जरिए ही वितरित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि डाक विभाग वर्तमान समय में पार्सल के क्षेत्र में तेजी से प्रसार कर रहा है, क्योंकि मौजूदा समय में ई-कॉमर्स का चलन काफी अधिक बढ़ गया है. ऐसे में ई-कॉमर्स से जुड़े तमाम कंपनियों के साथ मिलकर डाक विभाग काम कर रहा है. सुदूर क्षेत्रों में आज भी तमाम ई-कॉमर्स डाक विभाग के जरिए ही पहुंचते हैं.

मोबाइल से पहुंच बना रहे डाकिया: अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डिजिटलाइजेशन के इस दौर में डाक विभाग भी ऑनलाइन सुविधा दे रहा है, इसके लिए डाकियों को मोबाइल देकर हाईटेक कर दिया गया है. ऐसे में डाकिया एप बेस्ड ट्रांजेशन करते हैं. दरअसल, डाक विभाग की ओर से इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक. साल 2018 में खोला गया था, जिसकी ओर से तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं.

उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में 214 आधार सेंटर कर रहे काम:अनसूया प्रसाद चमोला ने बताया कि डिजिटलाइजेशन के इस दौर में भारत सरकार ने डाक विभाग को वित्तीय समावेशन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है, क्योंकि देश का काफी हिस्सा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बसता है. इसी क्रम में उत्तराखंड का भी अधिकांश हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां पर डाक विभाग की पहुंच है. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद डाक घरों को टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर ग्रामीणों को ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि लोगों को बैंकिंग सर्विसेज से जोड़ा जा सके. उन्होंने कहा कि इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में 214 आधार सेंटर काम कर रहे हैं. साथ ही कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में भी डाकघर काम कर रहे हैं, जिसमें करीब 50 सीएससी सर्विस डाक घरों से प्रोवाइड किए जा रहे हैं.

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