देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की व्यवस्था, तो कभी मंदिरों से जुड़े मामले अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. इन पर खूब सियासत भी होती है. अब एक बार फिर से नया मामला दिल्ली में केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर का निर्माण है, जिसे लेकर संत समाज, पुरोहित समेत विपक्ष ने हल्ला बोलना शुरू कर दिया है. मामले ने तूल पकड़ा तो मंदिर समिति और खुद सीएम धामी को आगे आकर अपना पक्ष रखना पड़ रहा है. धर्म से जुड़ा इस तरह का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले इसी तरह के एक मामले ने भी सुर्खियां बटोरी थी.
हरिद्वार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, विरोध में उतरे थे तीर्थ पुरोहित: वैसे उत्तराखंड में यह पहला मामला नहीं है, जब किसी धार्मिक स्थल के नाम पर अन्य जगह पर धार्मिक स्थल बनाकर प्रचार-प्रसार किया गया हो. हरिद्वार गंगा सभा से जुड़े लोग बीते कई सालों से एक ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं. इस मामले को लेकर गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्र से लेकर अन्य पंडा पुरोहित लगातार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पत्राचार कर चुके हैं.
दरअसल, पूरा मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मुरादनगर में गंग नहर का है. यहां छोटा हरिद्वार नाम से गंग नहर किनारे एक धार्मिक स्थल बनाया गया है. यहां कुछ साल पहले हूबहू हरकी पैड़ी की तरह ही मंदिर, घंटाघर आदि तैयार कर घाट बनाए गए हैं. इसके बाद धीरे-धीरे इस जगह को छोटा हरिद्वार के नाम से प्रचारित किया गया. ऐसे में इसे छोटा हरिद्वार के नाम से पुकारा जाने लगा.
आलम ये है कि धीरे-धीरे यहां वो सब कुछ होने लगा, जो हरिद्वार, हरकी पैड़ी और ब्रह्मकुंड पर होता है. जहां गंग नहर में ही अस्थि विसर्जन समेत तमाम कर्मकांड करवाए जाते हैं, जिससे यात्री भ्रमित हो रहे हैं. जिसका हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित आपत्ति जता चुके हैं. साथ ही इसे भोले-भाले श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है. पंडा पुरोहित का कहना था कि जिस स्थान का कोई महत्व नहीं था और वहां कोई धार्मिक स्थल मौजूद ही नहीं था, वहां पर तमाम कर्मकांड और अस्थि विसर्जन तक के कार्य किए जा रहे हैं.
महंत पर लगा था महिलाओं के चेंजिंग रूम में कैमरे लगाने का आरोप: पुरोहितों का कहना था कि इससे न केवल लोगों की आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है बल्कि, हरिद्वार के महत्व को भी कम करने की कोशिश की जा रही है. हाल ही में मुरादनगर का गंग नहर (कथित छोटा हरिद्वार) सुर्खियों में आया था. इसकी वजह महिलाओं के चेंजिंग रूम की तरफ कैमरा लगाकर उनकी अश्लील वीडियो बनाने और लाइव देखने का आरोप था. यह आरोप महंत पर लगा था.
चारधाम का रास्ता रामनगर से करने पर विचार: अभी हाल में ही चारधाम यात्रा मार्ग रामनगर से भी शुरू करने की चर्चाएं हो रही थी. इसको लेकर राज्य सरकार की तरफ से बात भी आगे बढ़ाई जा रही थी, लेकिन अब नैनीताल डीएम वंदना सिंह ने साफ कर दिया है कि फिलहाल रामनगर से कोई भी ऐसा मार्ग यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के लिए नहीं निकाला जा रहा है. जो भी खबरें चलाई जा रही हैं, वो असत्य हैं. हालांकि, उनका कहना था कि रामनगर से कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने वाले वैकल्पिक मार्ग का सर्वे जरूर भविष्य में करवाया जाएगा. ताकि, अन्य जगहों से आने वाले श्रद्धालु एक ही मार्ग से गढ़वाल और कुमाऊं से जुड़ सकें.
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण का मामला: दिल्ली के बुराड़ी (हिरंकी) में केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है, जिसे श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट बना रहा है. इसकी तैयारियां इतनी तेजी से चल रही हैं कि दिल्ली आने वाले मार्गों पर बड़े-बड़े होर्डिंग तक लगा दिए गए हैं. केदारनाथ, बदरीनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित और रुद्रप्रयाग, ऊखीमठ, ओंकारेश्वर के आस पास रहने वाले लोग इस पर ऐतराज जता रहे हैं. उन्होंने ऐतराज जताया है कि आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उसी दिन क्यों दिल्ली में उस कार्यक्रम में गए, जब उत्तराखंड से 5 जवान शहीद हो गए थे. इतना ही नहीं उसी दिन केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन भी हुआ था.
कांग्रेस का आरोप है कि न केवल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली के कार्यक्रम में पहुंचे हैं बल्कि, मंदिर ट्रस्ट को केदारनाथ से शिला ले जाने की परमिशन भी दी. उधर, पूरे मामले पर तीर्थ पुरोहित समाज तो विरोध में उतरा ही, संतों में सर्वोच्च पद पर बैठे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे धर्म ग्रंथों के साथ खिलवाड़ बताया है. वहीं, मामले में सीएम धामी का कहना है कि पूरी दुनिया में केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग एक ही हो सकता है. इसके अलावा कोई भी उसका स्थान नहीं बदल सकता. मंदिरों के प्रतीकात्मक कई जगहों पर बने हैं, लेकिन केदारनाथ ज्योतिर्लिंग एक ही हो सकता है.
12 करोड़ में बनेगा दिल्ली में केदारनाथ धाम: वहीं, केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के प्रबंधक जितेंद्र फुलारा का कहना है कि वो कोई फर्जी काम नहीं कर रहे हैं, उन्होंने अपने ट्रस्ट को रजिस्टर्ड करवा रखा है. केदारनाथ धाम बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन है. केदारनाथ भगवान में सभी की आस्था है. अगर दिल्ली में यह मंदिर बन रहा है तो इससे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. यहां पर पूजा पाठ के अलावा दूसरा कोई काम नहीं होगा. इस मंदिर को बनाने में शुरुआती दौर में अनुमानित 12 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है. यह सभी दान ट्रस्ट के लोग और मंदिर से जुड़े लोग दे रहे हैं.
हूबहू नहीं पर भगवान शिव उसी सूरत में होंगे विराजमान: केदारनाथ मंदिर की शैली पर जितेंद्र फुलारा कहते हैं यह मंदिर बिल्कुल केदारनाथ मंदिर की तरह बनेगा यह कहा नहीं जा सकता है. क्योंकि, वहां पर जो पत्थर लगे हैं, वो सैकड़ों साल पुराने हैं. हूबहू ऐसा मंदिर बनाना पॉसिबल नहीं है. केदारनाथ एक ही है और वो उत्तराखंड में है. यहां पर हम भगवान शिव का दूसरा स्थान बना रहे हैं. जैसे अन्य मंदिर दूसरे राज्यों में बने हुए हैं. दिल्ली के केदारनाथ धाम को लेकर किसी का कोई विरोध नहीं होना चाहिए.
ये भी पढ़ें-
- विवादों में मुरादनगर का छोटा हरिद्वार, उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों ने खोला मोर्चा, फ्रॉड का लगाया आरोप
- हरिद्वार न जा सकने वाले कांवड़ यहां से ले जाते हैं गंगाजल, सावन में होती भारी भीड़
- 'सरकार का कोई लेना-देना नहीं... इनकी भी होगी जांच' दिल्ली केदारनाथ मंदिर विवाद पर बीकेटीसी का बयान
- दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण पर छिड़ा विवाद, पुरोहितों ने खोला मोर्चा, कांग्रेस बोली- सनातन का अपमान