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अबू धाबी के इस मंदिर की क्यों हो रही है इतनी चर्चा, जानें

BAPS Hindu temple in Abu Dhabi : अब से थोड़ी देर बाद अबू धाबी स्थित बीएपीएस मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. 18 फरवरी से इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. संयुक्त अरब अमीरात का यह पहला पारंपरिक हिंदू मंदिर है. क्या है इस मंदिर की खासियत, और क्यों हो रही इसकी इतनी चर्चा, एक नजर.

Abu Dhabi Hindu Mandir
अबू धाबी हिंदू मंदिर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 14, 2024, 2:06 PM IST

नई दिल्ली : यूएई में रहने वाले हिंदुओं के लिए आज बड़ा दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां (अबू धाबी) पर स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े एक विशाल मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं. इस मंदिर की खूब चर्चा हो रही है. आइए मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारियों पर एक नजर डालते हैं. मंदिर बीएपीएस द्वारा बनाया गया है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
आबू धाबी स्थित हिंदू मंदिर (साभार- बीएपीएस फेसबुक)

क्या है बीएपीएस - बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था.

कितने बड़े क्षेत्र में बनाया गया है मंदिर - इस मंदिर को 27 एकड़में बनाया गया है. इनमें से 13 एकड़ में मंदिर और बाकी के क्षेत्रों में पार्किंग और अन्य सुविधाओं का विकास किया गया है. मंदिर निर्माण का कार्य 2019 से चल रहा है. यह खाड़ी क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है. हालांकि, दुबई में तीन मंदिर पहले से हैं, लेकिन अबू धाबी का यह पहला मंदिर है. यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
मंदिर में की गई नक्काशी (साभार- बीएपीएस फेसबुक)

जमीन के लिए किसने दी जमीन - संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने इस मंदिर को बनवाने के लिए जमीन दान में दी है.

मंदिर बनवाने में कुल कितना खर्च हुआ - मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर बनवाने में अब तक कुल 700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक 18 लाख ईंटों का प्रयोग किया गया है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
बाहर से ऐसा दिख रहा मंदिर (साभार- फेसबुक)

मंदिर की खासियत - मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए नक्काशी का काम किया गया है. संगमरमर का प्रयोग किया गया है. राजस्थान से बलुआ पत्थर ले जाए गए हैं. मंदिर बनवाने को लेकर पहल 2015 में उस समय की गई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी पीएम बनने के बाद पहली बार अबू धाबी गए थे.

मंदिर की ऊंचाई 32.92 मीटर है. इस मंदिर में दो घुमट, जिसे गुंबद भी कहा जाता है, बना हुआ है. इसमें सात शिखर हैं. यूएई में सात अमीरात हैं, संभवतः इन शिखर के जरिए एक संदेश देने की कोशिश की गई हो. 12 समरन और 402 स्तंभ भी हैं.

Abu Dhabi Hindu Mandir
मंदिर के अंदरूनी भाग का दृश्य (साभार- फेसबुक)

दीवारों पर नक्काशी - दीवारों पर जो नक्काशी की गई है, उनमें रामायण, महाभारत, शिवपुराण, भागवतम की कहानियों को उकेरा गया है. नक्काशी के जरिए स्वामीनारायण की जीवनी भी उकेरी गई है.

मंदिर परिसर में एक झरना भी बनाया गया है. यह गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रतीक है.

किससे मिलती जुलती है मंदिर- विशेषज्ञ बताते हैं कि मंदिर की आकृति खजुराहो के प्राचीन मदिर की तर्ज पर है. दावा किया जा रहा है कि पिछले 700 सालों में इसी तर्ज पर और कहीं भी मंदिर नहीं बनाया गया है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी (साभार- फेसबुक)

सेंसर का प्रयोग - इस मंदिर की नींव में 100 सेंसर का प्रयोग किया गया है. पूरे मंदिर में 350 से अधिक सेंसर का प्रयोग किया गया है. इन सेंसर की वजह से भूकंप, तापमान और दबाव की जानकारी मिलती रहेगी. इस मंदिर को बनवाने में किसी भी स्टील, लोहे या फिर सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है. सिर्फ पत्थरों के प्रयोग से इस मंदिर को बनाया गया है. प्राकृतिक सामग्रियों का अधिक से अधिक प्रयोग किया गया है. यह मंदिर एक हजार साल तक खड़ा रहेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
आबू धाबी स्थित हिंदू मंदिर (साभार- फेसबुक)

कब से हुई थी बीएपीएस की शुरुआत- औपचारिक रूप से 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने बीएपीएस की शुरुआत की थी. वह चाहते थे कि भगवान स्वामीनारायण की शिक्षाओं और उनके योगदान का दायर बढ़े. इसलिए बीएपीएस की असल शुरुआत 18वीं सदी में ही हो गई थी. भगवान स्वामीनारायण ने ही इसकी शुरुआत की थी. उनका मूल सिद्धान्त व्यावहारिक आध्यात्मिकता पर आधारित था. उनका नाम- सहजानंद स्वामी था. वह मूल रूप से अयोध्या के छपिया के रहने वाले थे. उनका जन्म रामनवमी को हुआ था. दुनियाभर में इसके 3850 से अधिक केंद्र हैं. 1971 के बाद स्वामी महाराज के नेतृत्व में बीएपीएस का व्यापक विस्तार हुआ.

Abu Dhabi Hindu Mandir
आबू धाबी स्थित हिंदू मंदिर (साभार- फेसबुक)

ये भी पढ़ें : भक्ति के रंग में रंगे ऋषि सुनक, अक्षरधाम मंदिर में पत्नी संग स्वामी नारायण के किए दर्शन

ये भी पढ़ें : पीएम मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति को बताया 'अपना भाई', कई एएमयू साइन

नई दिल्ली : यूएई में रहने वाले हिंदुओं के लिए आज बड़ा दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां (अबू धाबी) पर स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े एक विशाल मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं. इस मंदिर की खूब चर्चा हो रही है. आइए मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारियों पर एक नजर डालते हैं. मंदिर बीएपीएस द्वारा बनाया गया है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
आबू धाबी स्थित हिंदू मंदिर (साभार- बीएपीएस फेसबुक)

क्या है बीएपीएस - बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था.

कितने बड़े क्षेत्र में बनाया गया है मंदिर - इस मंदिर को 27 एकड़में बनाया गया है. इनमें से 13 एकड़ में मंदिर और बाकी के क्षेत्रों में पार्किंग और अन्य सुविधाओं का विकास किया गया है. मंदिर निर्माण का कार्य 2019 से चल रहा है. यह खाड़ी क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है. हालांकि, दुबई में तीन मंदिर पहले से हैं, लेकिन अबू धाबी का यह पहला मंदिर है. यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
मंदिर में की गई नक्काशी (साभार- बीएपीएस फेसबुक)

जमीन के लिए किसने दी जमीन - संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने इस मंदिर को बनवाने के लिए जमीन दान में दी है.

मंदिर बनवाने में कुल कितना खर्च हुआ - मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर बनवाने में अब तक कुल 700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक 18 लाख ईंटों का प्रयोग किया गया है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
बाहर से ऐसा दिख रहा मंदिर (साभार- फेसबुक)

मंदिर की खासियत - मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए नक्काशी का काम किया गया है. संगमरमर का प्रयोग किया गया है. राजस्थान से बलुआ पत्थर ले जाए गए हैं. मंदिर बनवाने को लेकर पहल 2015 में उस समय की गई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी पीएम बनने के बाद पहली बार अबू धाबी गए थे.

मंदिर की ऊंचाई 32.92 मीटर है. इस मंदिर में दो घुमट, जिसे गुंबद भी कहा जाता है, बना हुआ है. इसमें सात शिखर हैं. यूएई में सात अमीरात हैं, संभवतः इन शिखर के जरिए एक संदेश देने की कोशिश की गई हो. 12 समरन और 402 स्तंभ भी हैं.

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मंदिर के अंदरूनी भाग का दृश्य (साभार- फेसबुक)

दीवारों पर नक्काशी - दीवारों पर जो नक्काशी की गई है, उनमें रामायण, महाभारत, शिवपुराण, भागवतम की कहानियों को उकेरा गया है. नक्काशी के जरिए स्वामीनारायण की जीवनी भी उकेरी गई है.

मंदिर परिसर में एक झरना भी बनाया गया है. यह गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रतीक है.

किससे मिलती जुलती है मंदिर- विशेषज्ञ बताते हैं कि मंदिर की आकृति खजुराहो के प्राचीन मदिर की तर्ज पर है. दावा किया जा रहा है कि पिछले 700 सालों में इसी तर्ज पर और कहीं भी मंदिर नहीं बनाया गया है.

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मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी (साभार- फेसबुक)

सेंसर का प्रयोग - इस मंदिर की नींव में 100 सेंसर का प्रयोग किया गया है. पूरे मंदिर में 350 से अधिक सेंसर का प्रयोग किया गया है. इन सेंसर की वजह से भूकंप, तापमान और दबाव की जानकारी मिलती रहेगी. इस मंदिर को बनवाने में किसी भी स्टील, लोहे या फिर सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है. सिर्फ पत्थरों के प्रयोग से इस मंदिर को बनाया गया है. प्राकृतिक सामग्रियों का अधिक से अधिक प्रयोग किया गया है. यह मंदिर एक हजार साल तक खड़ा रहेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है.

Abu Dhabi Hindu Mandir
आबू धाबी स्थित हिंदू मंदिर (साभार- फेसबुक)

कब से हुई थी बीएपीएस की शुरुआत- औपचारिक रूप से 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने बीएपीएस की शुरुआत की थी. वह चाहते थे कि भगवान स्वामीनारायण की शिक्षाओं और उनके योगदान का दायर बढ़े. इसलिए बीएपीएस की असल शुरुआत 18वीं सदी में ही हो गई थी. भगवान स्वामीनारायण ने ही इसकी शुरुआत की थी. उनका मूल सिद्धान्त व्यावहारिक आध्यात्मिकता पर आधारित था. उनका नाम- सहजानंद स्वामी था. वह मूल रूप से अयोध्या के छपिया के रहने वाले थे. उनका जन्म रामनवमी को हुआ था. दुनियाभर में इसके 3850 से अधिक केंद्र हैं. 1971 के बाद स्वामी महाराज के नेतृत्व में बीएपीएस का व्यापक विस्तार हुआ.

Abu Dhabi Hindu Mandir
आबू धाबी स्थित हिंदू मंदिर (साभार- फेसबुक)

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