पटना:देश में चुनाव का माहौल है और इस राजनीतिक घड़ी में बिहार के लोग उत्साहित ना रहे ऐसा हो ही नहीं सकता. एक तरफ जहां सियासी पार्टियों चुनाव की तैयारी कर रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी चुनावी तैयारी में जुड़ गए हैं. ऐसे लोग साल 2 साल पहले से अपनी चुनावी जमीन तैयार कर रहे हैं.
चुनावी समर के लिए तैयार हैं किरण प्रभाकर: अपनी चुनावी जमीन तैयार करने का मतलब यह है कि वह अपने टारगेट लोकसभा क्षेत्र में समाज सेवा कर रहे हैं. ऐसे ही एक समाजसेवी किरण प्रभाकर हैं. मल्टीनेशनल कंपनी की मालकिन है. लगातार दिल्ली में रहती थी, लेकिन, इस चुनावी माहौल में वह बिहार शिफ्ट कर चुकी हैं.
'नौकरी से समृद्धि आती है': किरण प्रभाकर ने अपना लोकसभा क्षेत्र काराकाट को चुना है और डंके के चोट पर यह कहती है कि वह काराकाट से चुनाव लड़ेंगी. किरण प्रभाकर ने ईटीवी से खास बातचीत करते हुए यह कहा कि मैं बिहार में पली बढ़ी हूं. रोहतास जिले की रहने वाली हूं. मेरे पास सारी सुख सुविधाएं हैं. लेकिन, जिस तरह से मेरे गांव में शिक्षा, बेरोजगारी,किसानों की पैदावार की कमी है. ऐसी स्थिति में मैंने तय किया कि मुझे अपने गांव के लिए कुछ करना है.
"मैं गांव के लिए काम कर रही हूं. हमने गांव के लिए जो समृद्धि के पैमाने तय किए हैं उसमें बेरोजगारों को रोजगार, किसानों का पैदावार बढ़ाना, जो हमारे गांव में ध्वस्त मंदिर है उनका जिर्णोद्धार करना, पर्यावरण बचाने के लिए पेड़ लगाना, लड़कियों की शिक्षा पर लगातार काम करना आदि शामिल हैं. इसी बीच मुझे एक बात लगी कि लोगों को नौकरी दी जाए. इससे वह समृद्ध होंगे."-किरण प्रभाकर, समाजसेवी
कैसे पड़ा नौकरी वाली दीदी नाम?: जब किरण प्रभाकर से यह पूछा गया कि आपको नौकरी वाली दीदी भी कहते हैं तो वह बताती है कि कि हमने गांव के लिए जो समृद्धि के पैमाने तय किए हैं उसमें बेरोजगारों को रोजगार, किसानों का पैदावार बढ़ाना, जो हमारे गांव में ध्वस्त मंदिर है उनका जीर्णोद्धार करना है. मुझे एक बात लगी कि लोगों को नौकरी दिया जाए तो वह समृद्ध होंगे और मैंने एक छोटा सा प्रयास शुरू किया है. अलग-अलग कंपनियों में 700 लोगों का सिलेक्शन हुआ था. यहां से 500 लोग काम करने गए हैं.
101 मंदिर के जीर्णोद्धार का लक्ष्य: किरण प्रभाकर से जब यह पूछा गया कि आखिर आप मंदिर क्यों बनवाती हैं? मंदिर का जीर्णोद्धार क्यों करती है, तो वह कहती है कि गांव में यह धारणा है कि गांव में एक मंदिर होता है जो गांव की रक्षा करती है और मैं उससे कनेक्ट हूं. इसलिए मैंने संकल्प लिया है कि 101 मंदिर का जीर्णोद्धार करूंगी और लगातार मैं प्रयासरत हूं.
काराकाट से चुनाव लड़ने का किरण ने बताया कारण: मैं 45 मंदिर की यात्रा कर चुकी हूं. इसमें 16-17 मंदिर में जीर्णोद्धार का काम कर रही हूं. जब उनसे पूछा गया कि आप कोई भी क्षेत्र चुन सकती थी फिर आपने काराकाट लोकसभा क्षेत्र ही क्यों चुना तो,उन्होंने बताया कि मेरा जन्म काराकाट में हुआ है. मेरे लोगों से काराकाट जुड़ा हुआ है, मैं वहीं पर काम करूंगी. मैं जो काम करने आई हूं मैने वहां से शुरुआत कर दिया है. मैं उसे साकार रूप दे रही हूं.
काराकाट से ही चुनाव लड़ूंगी: उनसे पूछा गया कि राजनीति में आना चाहती हैं तो किरण प्रभाकर ने बताया कि बिना राजनीति में आये इतने बड़े सपने को मैं पूरा नहीं कर सकती हूं. हम काम करते रहेंगे, पूरा जीवन बिता देंगे, जो सपना साकार करने की बात में लगातार कर रही हूं, वह बिना राजनीति में आए नहीं हो सकता है.
'मैं सबसे अलग हूं': किरण प्रभाकर से जब यह पूछा गया कि काराकाट का सामाजिक समीकरण आपके मुताबिक नहीं है क्योंकि, बिहार में रोटी-बेटी और वोट जात में ही दी जाती है तो उन्होंने कहा कि मैं सबसे अलग हूं. मैं उस तरह से नहीं सोचती हूं. लोग बार-बार इस चीज को रिपीट करते हैं, मैं उससे अलग हूं. मुझे उसकी परवाह नहीं है.
'जाति व्यवस्था खराब': समाजसेवी ने कहा कि मैं जाति बंधन को तोड़ना और हटाना चाहती हूं. जाति व्यवस्था बहुत ही खराब है. यह हमारे राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए बहुत ही खराब है. एक तरह से जहर है. जब क्षेत्र का वर्गीकरण किया जाता है तो जाति के नेता को लाया जाता है. लेकिन, एक जाति का नेता तमाम क्षेत्र जातियों का विकास नहीं कर सकता है.
जातीय गणना से सिर्फ सियासी पार्टियों को फायदा: उन्होने बताया कि जाति का गणना किसी के लिए फायदेमंद नहीं है. ना तो देश के लिए, न समाज के लिए, यह समाज में रहने वाले किसी के लिए भी अच्छी बात नहीं है. इससे सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को ही फायदा हो रहा है. इससे कुछ राजनीतिक पार्टियों को जरूर फायदा हो रहा है. इसे अपना ग्रुप तैयार कर रहे हैं.
'जाति को लेकर भी लोगों का भ्रम टूटेगा': उन्होंने कहा कि इससे अपने लिए लोगों को अंधभक्त बना रहे हैं. एक दिन जाति को लेकर भी लोगों का भ्रम टूटेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इसका भ्रम तोड़ूंगी. मैं जाति से भूमिहार हूं. मैं किसी दूसरी जाति को प्यार दूंगी तो उसके पास भी दिल है दिमाग है. वह भी मुझे उतना ही प्यार देगा. मैं क्षेत्र में आई हूं, वह किसी भी जाति का है, वह मेरा भाई है, मेरा बंधु है और मैं उसकी हेल्प किसी भी हाल में करूंगी.
दिल में भाजपा है: किरण प्रभाकर ने एक ब्राउसर भी बनाया है जिसमें अपने क्षेत्र में किए गए कामों को लिखा है और उस पर अपनी फोटो भी एक राजनेता की तरह लगाई है. जब उनसे यह पूछा गया कि आपने यह ब्राउज़र बनाया है जो राजनेताओं की तरह है तो आपकी किस पार्टी में आपकी दिलचस्पी है तो उन्होंने बताया कि बचपन से जो दिल में धड़कता है वह भाजपा है. भाजपा की जो सोच है वह हमारे संस्कृति को दिखाता है.
"भाजपा की जो सोच है वह हमारे देश की भले की बात है. भाजपा की सोच की वजह से बड़े-बड़े नेता हुए हैं और हम पूरे विश्व में उन पर गर्व करते हैं. बीजेपी ऐसी पार्टी है जो धर्म की बात करती है. सनातन की बात करती है. इस तरह की जो बातें करते हैं तो लोग यह कहते हैं कि वह भाजपा के हैं, तो यह अच्छी बात है कि मुझे भाजपा पसंद है. भाजपा मेरे दिल के करीब है और मैं जब भी जाऊंगी मैं भाजपा में ही जाऊंगी."- किरण प्रभाकर, समाजसेवी
टिकट नही भी मिलेगा तो भी काम करेंगे : जब उनसे पूछा गया कि आपकी भाजपा में बात हो गई है? शामिल हो चुकी हैं? तो उन्होंने कहा कि मैं अभी भाजपा में शामिल नहीं हूं, लेकिन मैं गई थी एक डेट लेने के लिए, मैं जल्द ही ज्वाइन करूंगी और मैं आपको बता दूं कि बहुत से दूसरी पार्टियों के नेता आरजेडी, लेफ्ट सबके नेता मेरे साथ भाजपा में शामिल होंगे.
'मुझे भगवान महादेव पर भरोसा है': जब उनसे पूछा गया कि भाजपा सत्तारूढ़ दल है, केंद्र में उनकी सरकार है, गठबंधन का समीकरण है वह काराकाट में आपके खिलाफ जा रहा है. ऐसे में यदि टिकट न मिले तो क्या करेंगी, तो उन्होंने बताया कि मुझे भगवान महादेव पर भरोसा है जो भी रिजल्ट होगा, जो भी परिणाम आएगा वह मेरे लिए अच्छा होगा. मैं चाहती हूं कि यदि मुझे टिकट मिलेगा तो मैं आधिकारिक रूप से बहुत बढ़िया काम कर सकती हूं और यह बहुत अच्छा होगा.
'मुझे टिकट मिलने का पूरा चांस है'- किरण प्रभाकर: यदि टिकट नहीं मिले तो तो कहीं ना कहीं और अच्छा होगा और यह सब कुछ महादेव के ऊपर निर्भर है. भाजपा के नेता भी मेरे पूरे काम को समझेंगे तो मुझे नहीं लगता कि वह मुझे टिकट देने से पीछे हटेंगे. मेरे काम के प्रति उनको यह जानकारी होनी चाहिए कि मैं क्या कर रही हूं और उन्हें मेरे ऊपर विश्वास होना चाहिए और मुझे टिकट मिलने का पूरा चांस है. भले कोई भ्रम पाल रहा हो लेकिन अंत में कुछ चीजें बदलती हैं.
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