तिरुवनंतपुरम: वायनाड में भूस्खलन मामले में उचित सहायता न देने के लिए केरल ने केंद्र सरकार की आलोचना की है. राजस्व मंत्री के राजन ने केंद्र पर चूरलमाला के लिए एक भी रुपया न देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र केरल से दुश्मन की तरह व्यवहार न करे. दोनों एक ही संविधान का हिस्सा हैं. आपदा आने पर केंद्र को राज्य के संरक्षक देवदूत के रूप में भी काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भूस्खलन से संबंधित सभी विवरण प्रस्तुत किए हैं. ऐसे में अगर उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में कोई समस्या है, तो केंद्र को लिखित रूप से सूचित करना चाहिए. हमें अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है कि केरल सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में कोई गलती है.
मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्र ने आंकड़ों में दिए विवरण के बारे में यह नहीं बताया कि वह केरल द्वारा दिए गए ज्ञापन की जांच करने के बाद कितना प्रदान कर सकता है. राज्य ने भूस्खलन से हुए नुकसान के आंकड़े बिना किसी चूक के केंद्र को सौंप दिए. बाद में राज्य ने मानदंडों के अनुसार आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन भी केंद्र को सौंप दिया.
आवंटित राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं
के राजन ने कहा कि हालांकि, भूस्खलन से प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास के लिए राज्य को आवंटित राशि के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि विपक्ष और सत्ताधारी दल को मिलकर काम करना चाहिए ताकि वायनाड में भूस्खलन से बचे लोगों को आवश्यक केंद्रीय सहायता मिल सके.
जल्द से जल्द सहायता मुहैया कराई जाए
केरल में सत्तारूढ़ पार्टी एलडीएफ और विपक्षी पार्टी यूडीएफ की मांग है कि वायनाड में भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. केरल की मांग है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर राहत और पुनर्वास के लिए जल्द से जल्द जरूरी सहायता मुहैया कराई जाए.
हालांकि, केंद्र ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है. इससे केरल में केंद्र की व्यापक आलोचना भी हुई.
30 जुलाई को आई इस आपदा ने वायनाड के अट्टामाला के कुछ हिस्सों के साथ-साथ तीन गांवों- पुंचरीमट्टम, चूरलमाला और मुंडक्कई के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया. सरकार के अनुसार इसआपदा ने 231 लोगों की जान ले ली, जबकि 47 लोग अभी भी लापता हैं.
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