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Kerala: सबरीमला में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन पर रोक, HC ने कहा- पूजा स्थल पर यह स्वीकार्य नहीं

केरल के सबरीमला में डोली कर्मियों की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया. बाद में डोली कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली.

Kerala High Court bans strikes and protests in Sabarimala in Dolly workers case
सबरीमला में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन पर रोक (File Photo - ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 10 hours ago

एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला क्षेत्र में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सबरीमला पूजा स्थल है और वहां ऐसी चीजें स्वीकार नहीं की जा सकतीं. अदालत का यह आदेश तब आया है, जब सबरीमला में अपनी सेवाओं के लिए प्रीपेड प्रणाली शुरू करने की त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) की योजना के विरोध में पालकी या डोली कर्मियों (dolly workers) ने हड़ताल शुरू कर दी है.

पंपा और सन्निधानम में विरोध प्रदर्शन और हड़ताल पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हड़ताल से भक्तों के पूजा करने के अधिकार पर असर पड़ता है. अगर डोली कर्मचारियों को कोई शिकायत है, तो उन्हें संबंधित लोगों के समक्ष रखना चाहिए था.

कोर्ट ने पूछा, "कई लोग सबरीमला आने में कई दिन या हफ्ते लगा देते हैं. अगर बुजुर्ग, विकलांग और बीमार लोग इस तरह से आते हैं और उन्हें डोली सेवा नहीं मिलती है, तो वे क्या करेंगे?" हाईकोर्ट ने कहा कि यह कहना संभव नहीं है कि तीर्थयात्रियों को ले जाया नहीं जाएगा या उन्हें छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

अदालत ने यह भी पूछा कि अगर तीर्थयात्रियों को कुछ हो जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. अदालत ने कहा, "सबरीमला एक पूजा स्थल है. वहां कोई हड़ताल या विरोध स्वीकार्य नहीं है. भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए और मुख्य पुलिस समन्वयक तथा देवस्वोम बोर्ड यह सुनिश्चित करें."

डोली कर्मियों के विरोध का कारण

सबरीमला में उनकी सेवाओं के लिए प्रीपेड सिस्टम शुरू करने की त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड की योजना के विरोध में डोली कर्मियों ने हड़ताल शुरू कर दी है. हड़ताल पंपा (Pampa) से शुरू हुई. कर्मियों का कहना है कि बोर्ड ने प्रीपेड सिस्टम के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी. कमजोर श्रद्धालुओं को डोली के जरिये पहाड़ी पर ले जाने वाले कर्मियों ने बोर्ड पर बिना किसी चर्चा के निर्णय लेने का भी आरोप लगाया.

पंपा और सन्निधानम के बीच तीर्थयात्रियों की यात्रा में डोली कर्मी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर बुजुर्ग या बीमार भक्त जो सबरीमला के कठिन मार्ग पर नहीं चल सकते. प्रत्येक डोली दो खंभों पर लगी बेंत की कुर्सी होती है, जिसे चार लोग कंधे पर लेकर जाते हैं.

पांच किलोमीटर लंबी यह यात्रा आमतौर पर लगभग 90 मिनट में पूरी होती है. वर्तमान में, 80 किलोग्राम तक वजन वाले भक्तों के लिए 4,000 रुपये, 80 से 100 किलोग्राम के बीच के लोगों के लिए 5,000 रुपये और 100 किलोग्राम से अधिक वजन वाले लोगों के लिए 6,000 रुपये डोली सेवा के लिए निर्धारित हैं.

डोली कर्मियों ने वापस ली हड़ताल
वहीं, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) अरुण एस नायर के साथ चर्चा के बाद डोली कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली. एडीएम ने उन्हें लिखित रूप में अपनी मांगें पेश करने का निर्देश दिया. उन्होंने कर्मियों से यह भी वादा किया कि उन्हें टीडीबी अधिकारियों और पुलिस के सामने अपनी मांगें रखने का मौका दिया जाएगा. इस आश्वासन के बाद कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली.

यह भी पढ़ें- राष्ट्रपति मुर्मू ने पुरी जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की, आम श्रद्धालु की तरह सड़क पर चलीं

एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला क्षेत्र में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सबरीमला पूजा स्थल है और वहां ऐसी चीजें स्वीकार नहीं की जा सकतीं. अदालत का यह आदेश तब आया है, जब सबरीमला में अपनी सेवाओं के लिए प्रीपेड प्रणाली शुरू करने की त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) की योजना के विरोध में पालकी या डोली कर्मियों (dolly workers) ने हड़ताल शुरू कर दी है.

पंपा और सन्निधानम में विरोध प्रदर्शन और हड़ताल पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हड़ताल से भक्तों के पूजा करने के अधिकार पर असर पड़ता है. अगर डोली कर्मचारियों को कोई शिकायत है, तो उन्हें संबंधित लोगों के समक्ष रखना चाहिए था.

कोर्ट ने पूछा, "कई लोग सबरीमला आने में कई दिन या हफ्ते लगा देते हैं. अगर बुजुर्ग, विकलांग और बीमार लोग इस तरह से आते हैं और उन्हें डोली सेवा नहीं मिलती है, तो वे क्या करेंगे?" हाईकोर्ट ने कहा कि यह कहना संभव नहीं है कि तीर्थयात्रियों को ले जाया नहीं जाएगा या उन्हें छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

अदालत ने यह भी पूछा कि अगर तीर्थयात्रियों को कुछ हो जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. अदालत ने कहा, "सबरीमला एक पूजा स्थल है. वहां कोई हड़ताल या विरोध स्वीकार्य नहीं है. भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए और मुख्य पुलिस समन्वयक तथा देवस्वोम बोर्ड यह सुनिश्चित करें."

डोली कर्मियों के विरोध का कारण

सबरीमला में उनकी सेवाओं के लिए प्रीपेड सिस्टम शुरू करने की त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड की योजना के विरोध में डोली कर्मियों ने हड़ताल शुरू कर दी है. हड़ताल पंपा (Pampa) से शुरू हुई. कर्मियों का कहना है कि बोर्ड ने प्रीपेड सिस्टम के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी. कमजोर श्रद्धालुओं को डोली के जरिये पहाड़ी पर ले जाने वाले कर्मियों ने बोर्ड पर बिना किसी चर्चा के निर्णय लेने का भी आरोप लगाया.

पंपा और सन्निधानम के बीच तीर्थयात्रियों की यात्रा में डोली कर्मी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर बुजुर्ग या बीमार भक्त जो सबरीमला के कठिन मार्ग पर नहीं चल सकते. प्रत्येक डोली दो खंभों पर लगी बेंत की कुर्सी होती है, जिसे चार लोग कंधे पर लेकर जाते हैं.

पांच किलोमीटर लंबी यह यात्रा आमतौर पर लगभग 90 मिनट में पूरी होती है. वर्तमान में, 80 किलोग्राम तक वजन वाले भक्तों के लिए 4,000 रुपये, 80 से 100 किलोग्राम के बीच के लोगों के लिए 5,000 रुपये और 100 किलोग्राम से अधिक वजन वाले लोगों के लिए 6,000 रुपये डोली सेवा के लिए निर्धारित हैं.

डोली कर्मियों ने वापस ली हड़ताल
वहीं, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) अरुण एस नायर के साथ चर्चा के बाद डोली कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली. एडीएम ने उन्हें लिखित रूप में अपनी मांगें पेश करने का निर्देश दिया. उन्होंने कर्मियों से यह भी वादा किया कि उन्हें टीडीबी अधिकारियों और पुलिस के सामने अपनी मांगें रखने का मौका दिया जाएगा. इस आश्वासन के बाद कर्मियों ने हड़ताल वापस ले ली.

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