श्रीनगर: कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान को जेल से रिहा कर दिया गया. तीन महीने पहले जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा उसके खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) को रद्द कर दिया था जिसके बाद यह रिहाई हुई. सुल्तान को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से मंजूरी लेने और अंततः जेल से बाहर आने में 78 दिन लग गए. आसिफ उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिला जेल में कैद था. जेल अधीक्षक ने यूपी में मीडिया से पुष्टि की कि सुल्तान को उसके परिवार को जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर और पुलिस एजेंसियों से मंजूरी पत्र मिलने के बाद रिहा कर दिया गया.
आसिफ को 2018 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में आतंकवादियों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. जमानत के लिए अपील के बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने उसे 2021 में जमानत दे दी, लेकिन जेके प्रशासन ने उन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया और उसे जम्मू-कश्मीर के बाहर अंबेडकर नगर जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया. जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर को उसके ऊपर लगे पीएसए रद्द कर दिया, लेकिन पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर को उन्हें मंजूरी देने में 78 दिन लग गए.
जब आसिफ को गिरफ्तार किया गया तो वह मासिक पत्रिका कश्मीर नैरेटर के साथ काम कर रहा था. ये अब बंद हो चुकी है. आसिफ ने मारे गए हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी पर एक समाचार लिखा था, जो उसकी गिरफ्तारी का कारण बना. 2018 में उसके पैतृक स्थान बटमालू में भी एक मुठभेड़ हुई थी जिसमें एक पुलिसकर्मी मारा गया था.
पुलिस ने आसिफ को गिरफ्तार कर लिया और उस पर आतंकवादियों को मुठभेड़ स्थल तक मदद पहुंचाने का आरोप लगाया गया. उसके परिवार और वकील ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में इन आरोपों से इनकार किया, जिसने उन्हें अप्रैल 2022 में जमानत दे दी. आसिफ को तब जेल हुई थी जब उसकी बेटी छह महीने की थी. हाय पिता मुहम्मद सुल्तान के हवाले से मीडिया ने बताया कि आज उनकी बेटी छह साल की हो गई है लेकिन वह अपने पिता को नहीं पहचानती.