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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जाति जनगणना रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर तथ्य मांगे

Karnataka Caste Census Report : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने गुरुवार को विवादास्पद जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट ग्रहण की. कांग्रेस सरकार की इस पहल से आगामी लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विवाद पैदा होने की संभावना है. हालांकि, अब इस मामले में हाईकोर्ट ने भी हस्तक्षेप कर दिया है.

caste census report
कर्नाटक उच्च न्यायालय की प्रतीकात्मक तस्वीर . (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 2, 2024, 9:17 AM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार को कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से जाति जनगणना रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संबंध में आवश्यक तथ्यों पर मंगलवार तक एक हलफनामा दाखिल करने को कहा. मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति टी जी शिवशंकर गौड़ा की खंडपीठ ने 2015 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जीआर गुरुमथ ने अदालत को बताया कि आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े पहले ही जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंप चुके हैं. उन्होंने आगे कहा कि याचिका में सर्वेक्षण कराने के आदेश को ही चुनौती दी गयी है.

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राज्य सरकार के पास ऐसी कोई जनगणना करने की कोई कानूनी या संवैधानिक क्षमता नहीं है. अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम में संशोधन किया था और यह संशोधन भी राज्य को जाति जनगणना करने का अधिकार नहीं देता है.

दूसरी ओर, सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संबंध में उन्हें कोई निर्देश नहीं मिले हैं. पीठ ने सरकारी वकील से याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील की दलील की पुष्टि करने या इंकार करने को कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ताओं शिवराज कंशेट्टी और तीन अन्य ने दावा किया था कि राज्य सरकार द्वारा जाति जनगणना का आदेश देना संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा कि आयोग केवल तभी सर्वेक्षण कर सकता है जब किसी विशेष पिछड़ी जाति को शामिल करने/बहिष्कृत करने के संबंध में कोई शिकायत/अनुरोध हो और उसके पास सभी जातियों का सर्वेक्षण करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि संविधान केवल भारत संघ को जाति जनगणना करने का अधिकार देता है.

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जीआर गुरुमथ ने अदालत को बताया कि आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े पहले ही जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंप चुके हैं. उन्होंने आगे कहा कि याचिका में सर्वेक्षण कराने के आदेश को ही चुनौती दी गयी है.

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राज्य सरकार के पास ऐसी कोई जनगणना करने की कोई कानूनी या संवैधानिक क्षमता नहीं है. अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम में संशोधन किया था और यह संशोधन भी राज्य को जाति जनगणना करने का अधिकार नहीं देता है.

दूसरी ओर, सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संबंध में उन्हें कोई निर्देश नहीं मिले हैं. पीठ ने सरकारी वकील से याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील की दलील की पुष्टि करने या इंकार करने को कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ताओं शिवराज कंशेट्टी और तीन अन्य ने दावा किया था कि राज्य सरकार द्वारा जाति जनगणना का आदेश देना संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा कि आयोग केवल तभी सर्वेक्षण कर सकता है जब किसी विशेष पिछड़ी जाति को शामिल करने/बहिष्कृत करने के संबंध में कोई शिकायत/अनुरोध हो और उसके पास सभी जातियों का सर्वेक्षण करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि संविधान केवल भारत संघ को जाति जनगणना करने का अधिकार देता है.

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